देख रही हूँ ...
शबनमी सर्द रात..
आती हुई ...
और फिर ....
और गहराती हुई ...
और गहराती हुई ...
नींद मुझसे कोसों दूर जाती हुई ....
एक याद पल-पल..
आती हुई ...
और फिर....
और पास आती हुई ...
आती हुई ...
और फिर....
और पास आती हुई ...
नाज़ुक से दिल को बहकाती हुई ...
और फिर ...
और उदास कर जाती हुई ...
फिर ...झींगुर की आवाज़....
और उदास कर जाती हुई ...
फिर ...झींगुर की आवाज़....
मन भरमाती हुई ....
जैसे ..जागते जीवन का राग..
सुनाती हुई ...
सुनाती हुई ...
और फिर.... सोई हुई आस जगाती हुई ...
आँखों ही आँखों में रात..
फिर जाती हुई ...!!
बीत जाती हुई ......!!
और फिर....
फिर जाती हुई ...!!
बीत जाती हुई ......!!
और फिर....
जागी हुई सी आस...मेरे पास छोड़ जाती हुई...........................................................................................................................................................
ओह ..यह सिलसिला भी यूँ ही चलता रहता है ... भावुक रचना
ReplyDeleteनाज़ुक से दिल को बहकाती हुई ...
ReplyDeleteदो बूँद आंसू गालों पर...
ढलकाती हुई ....
और फिर ...
और उदास कर जाती हुई ...
आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति पढकर
मन भावविभोर हो उठता है.
आस से ही सिलसिला बना रहता है.
आपकी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए मैं
क्या उपमा दूं,अनुपमा जी.
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आस...मेरे पास छोड़ जाती हुई.......
ReplyDeleteसुंदर!
आस विश्वास यूँ ही बना रहे जीवन में!
भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteइसी सिलसिले में बीतता जीवन ... गहरी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteraat ka sannata khuli aankhon ke bheetar kee uthaluthal ko kahta hai... subah ka intzaar hai
ReplyDeleteआँखों ही आँखों में रात..
ReplyDeleteफिर जाती हुई ...!!
बीत जाती हुई ......!!
आस...मेरे पास छोड़ जाती हुई.........बहुत ही भावपूर्ण रचना....
आज 10 - 11 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
सुन्दर चित्रात्मक कविता
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन कविता।
ReplyDeleteसादर
रात, नींद और आस का यह सफर न जाने कितने युगों से चल रहा है... हर रात के बाद सवेरा होता है और एक नए जीवन का आरम्भ...भावभीनी कविता !
ReplyDeletebahut sunder blog bhi,rachna bhi,bahut khoob likhti hai aap.hardik shubhkamnaye.
ReplyDeletesader,
dr.bhoopendra
rewa mp
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.
ReplyDeleteus aas ko kayam rakhna kitna zaroori hai...
ReplyDeletejise jhingur ki aawaaz surila karti hai aur sooraj ki kirane roshni pradan karti hai...
यही क्रम है,
ReplyDeleteजीवन कम है।
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 11-11-2011 को शुक्रवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
Matrimonial Site
:-) :-)
ReplyDeleteजीवन में इस तरह का सिलसिला चलता रहता है और जीवन भी।
ReplyDeleteis..aas ko sambhaal kar jeena ji jeevan hai
ReplyDeleteमनोभाव का सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteसंवेदनशील रचना.. सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर...
नमस्कार अनुपमा जी...बहुत दिनों बाद ब्लागजगत में लौटा हूँ...कुछ दिनों तक व्यस्तता के कारण दूर था....बहुत ही भावात्मक अभिव्यक्ति है आपकी...लाजवाब।
ReplyDeleteऔर कल फिर आयेगी
ReplyDeleteइठलाती हुई
या जरा झुंझलाती हुई
छोड़ कर जाये कहाँ
ये रात.
बहुत नाजुक से भावों को सँवार गई यह अभिव्यक्ति.
सही कहा आपने
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
bhavnatmak abhivyakti.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteआस है तो श्वास है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना ! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई! चित्र बहुत सुन्दर लगा!
ReplyDeleteनेता जी की जय हो.
ReplyDelete(माफ़ कीजियेगा सुनीता जी को हाथ
जोड़े आप यूँ ही तो नजर आ रही हैं)
मैंने तो अपना वोट आप ही को दिया जी.
आपकी रंगों से सजी हलचल भी कम तो नही.
sahej kar rakh leti hu main har beeti yaad
ReplyDeletejaane fir kabhi aise pal aaye na aaye
bahut sunder, dill ko chhoo jane wala lekhan
abhaar
Naaz
वाह दी ! दर्द भी और उससे निकलने कि उम्मीद भी तत्क्षण ही !
ReplyDeleteबहुत खूब यही तो है जीवन कि समग्रता !
भावपूर्ण....
ReplyDeleteसुभानाल्लाह वो हिज्र की रात का मंज़र........बहुत खूब|
ReplyDeleteचन्द्र भूषण गाफिल जी बहुत बहुत आभार ...मेरी कविता चर्चा -मंच पर लेने के लिए ....!!
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना।...
ReplyDeleteआप सभी ने इस जीवन यात्रा को पसंद किया बहुत बहुत धन्यवाद ...!!
ReplyDeleteराकेश जी आप को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहती हूँ|मेरी हलचल पर आपने वोट दिया ..!!आपका वोट बड़ा मूल्यवान है क्योंकि आप बहुत अच्छे से समीक्षा करते हैं ....|आपका कीमती वोट महत्वपूर्ण है ....स्नेह बनाये रखें ....!!
ReplyDeleteसंगीता जी आपका आभार ....तेताला पर इसे लिया ....!!
ReplyDeleteबहुत गहरी और लम्बी रात थी
ReplyDeleteसुन्दर वर्णन