वैसा मन का रंग है ...
और जीवन ..का रंग है ...
कोई रंग ही नहीं ...
पर दिया अपना रंग मैंने इसे ...
और रंग दिया जीवन अपने ही रंग में ...
या ...
जैसा गीली माटी का रूप है ....
वैसा मन का रूप है ....
और जीवन का रूप है ...
अपना कोई स्वरूप ही नहीं....
पर चाक पर दिया -
एक रूप मैंने इसे ..
और ढाल लिया जीवन..
अपने मन के स्वरूप में ..
शीश महल की तरह ...
अपनी ही छब दिखाता है ये जीवन ....
विविध रंग-रूप में सिमटा...लिपटा..या फैला ....
मेरा ही प्रतिबिम्ब है जीवन ...
मेरा ही रंग ...मेरा ही रूप ...
चाहूं ओर ..मैं ही हूँ ..
मेरे ही हर दान से मिला..
प्रतिदान वरदान.....
हर रोध से मिला..
अवरोध ..प्रतिरोध...
हर क्रिया से मिली प्रतिक्रिया ...
और हर बिम्ब से मिला प्रतिबिम्ब ...
हाँ निश्चय ही .....
मेरा प्रतिबिम्ब ही है.. जीवन ...!!
Oct.,2011,when I was in U.K ,one of my articles was published in the news paper titled , ''The gift of music .''for ''Thought of the week.''Please spare a few minutes if u can.Thanks.
Hi..
ReplyDeleteMan main jo bhi, bhav hain hote..
Jeevan vaisa ban jaata..
Rang ghule jaise paani main..
Paani vaisa rang jaata..
Asthir man main, aashaon ke deep jalayega jo bhi..
Antarman ka kona kona, ashaon se bhar jaata..
Sundar Kavita..
Deepak Shukla..
sach kaha...jis roop me dhal jata hai jeewan. sunder abhivyakti.
ReplyDeleteमेरे ही हर दान से मिला..
ReplyDeleteप्रतिदान वरदान.....
हर रोध से मिला..
अवरोध ..प्रतिरोध...
हर क्रिया से मिली प्रतिक्रिया ...
और हर बिम्ब से मिला प्रतिबिम्ब ...
हाँ निश्चय ही .....
मेरा प्रतिबिम्ब है.. जीवन ..
बिलकुल सही .....
अनुपमा जी,
ReplyDeleteमेरा ही प्रतिबिम्ब है ...जीवन
बहुत खुबशुरत प्यारी लाजबाब रचना
सुंदर पोस्ट ..मुझे पसंद आई रचना ...
मेरे नए पोस्ट पर आइये स्वागत है ..
कविता के भाव अच्छे लगे।
ReplyDelete"All of us are bestowed with rare qualities, only thing is, we don’t identify them and somehow just get involved in our worldly life, too busy to note the very treasurers we hold inside us."
ReplyDeletewell said, anupama ji! The article is really inspiring, Thanks for sharing the link!
This poem is also very beautiful!
चिन्तन, कर्म एक दूसरे के साथ हाथों में हाथ डाले चलते रहते हैं और जीवन परिभाषित करते रहते हैं।
ReplyDeleteThanks Anupama ji for reading the article and giving me the extra bit of ur precious time .
ReplyDeleteहर बिम्ब से मिला प्रतिबिम्ब ...
ReplyDeleteहाँ निश्चय ही .....
मेरा प्रतिबिम्ब ही है.. जीवन ...!!
Wah !!! kya baat hai..Bahut sundar
थैंक्स,थैंक्स थैंक्स
ReplyDeleteफिर आता हूँ टिपण्णी करने.
विविध रंग-रूप में सिमटा...लिपटा..या फैला ....
ReplyDeleteमेरा ही प्रतिबिम्ब है जीवन ...
मेरा ही रंग ...मेरा ही रूप ...
मेरी ही दृष्टि ...छाई चाहूं ओर...
चाहूं ओर ..मैं ही हूँ .
bahut sunder bhav liye .bahut hi anupam rachanaa.badhaai aapko .
बहुत ही अच्छे भाव हैं कविता के।
ReplyDeleteसादर
जैसा गीली माटी का रूप है ....
ReplyDeleteवैसा मन का रूप है ....
और जीवन का रूप है ...sach yahi hai ... excellent likha hai
मेरे ही हर दान से मिला..
ReplyDeleteप्रतिदान वरदान.....
हर रोध से मिला..
अवरोध ..प्रतिरोध...
बहुत बढिया।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बहुत ही सुन्दर पोस्ट.....सच है हम जो सोचते हैं हम वही बन जाते हैं......हैट्स ऑफ इसके लिए |
ReplyDeleteशीश महल की तरह ...
ReplyDeleteअपनी ही छब दिखाता है ये जीवन ...
सच्ची और अच्छी रचना...बधाई
नीरज
मेरा भी प्रतिबिम्ब है जीवन ...उत्तम भाव ..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव हैं और चित्र भी
ReplyDeleteया जीवन प्रतिबिम्ब है . निश्चय ही अच्छी रचना .
ReplyDeleteआपने अपना रंग और रूप तो नही बतलाया
ReplyDeleteआपके प्रति बिम्ब से मैं तो यही समझ पाया
कि सत् चित आनंद अनुपम सुन्दर हैं आप
सुन्दर रचनाओं से हीं हरतीं हैं मन का संताप.
आपकी अनुपम प्रस्तुति को सादर नमन,अनुपमा जी.
डॉ॰ मोनिका शर्मा said...
ReplyDeleteमेरे ही हर दान से मिला..
प्रतिदान वरदान.....
हर रोध से मिला..
अवरोध ..प्रतिरोध...
हर क्रिया से मिली प्रतिक्रिया ...
और हर बिम्ब से मिला प्रतिबिम्ब ...
हाँ निश्चय ही .....
मेरा प्रतिबिम्ब है.. जीवन ..जीवन के सच को शब्दों में पिरो दिया आपने....
कल 27/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
जीवन की सजती छटा, रंगों का है राग…
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
सादर...
पर चाक पर दिया -
ReplyDeleteएक रूप मैंने इसे ..
और ढाल लिया जीवन..
अपने मन के स्वरूप में ..
मेरे ही हर दान से मिला..
प्रतिदान वरदान.....
हर रोध से मिला..
अवरोध ..प्रतिरोध...
हर क्रिया से मिली प्रतिक्रिया ...
और हर बिम्ब से मिला प्रतिबिम्ब ...
हाँ निश्चय ही .....
मेरा प्रतिबिम्ब ही है.. जीवन ...!!
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ .. जीवन दर्शन को कहती हुई ..
बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमेरे प्रतिबिम्ब पर आपके विचार ...
ReplyDeleteमानती हूँ आप सब का आभार ....
आते रहें बारम्बार ...
नये अंदाज़ के साथ बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है!
ReplyDeletebahut hi sundar rachana hai....
ReplyDeleteसुन्दर रचना .
ReplyDeleteबेहद सुन्दर अभिव्यक्ति......
ReplyDeleteऔर हर बिम्ब से मिला प्रतिबिम्ब ...
ReplyDeleteहाँ निश्चय ही .....
मेरा प्रतिबिम्ब ही है.. जीवन ...!!bahut khub.
bahut sunder!
ReplyDeleteयशवंत जी कि हलचल से एक बार फिर आपकी इस पोस्ट पर.
ReplyDeleteइस विनम्र निवेदन के साथ कि अपने बहुमूल्य विचार
मेरी पोस्ट पर प्रस्तुत कीजियेगा,जिसे आपने अपनी
हलचल में शामिल किया था.
प्रेरणा ...बहुत आभार आपने मेरी कविता का चयन किया ....!
ReplyDeletesarthak rachna...
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