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उज्ज्वल मन कहे ....
अनुभास सो प्रकाश छायो.......
मन रमायो.......
अनुराग है छायो......
ले हरी नाम ......
मन मनन गुनन की बेला ....
काहे निकला अकेला ....?
मन कहाँ अकेला ......??
मन पंछी बन गाये ......
मन सरिता बन बह जाये .....
मन फूल बने खिल जाये ............
मन सूरज सा ...मन रश्मि सा ....मन तारों सा ....मन चन्दा सा .....
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मन मे तरंग जब जागे .......
कुछ स्पंदन जो दे जाये .....
मन झूम झूम रम जाये ....
उर सरोज सा दिखलाए ......!!
कविता सी गुन गुन गाये ......!!
कविता सी गुन गुन गाये .....!!
झर झर झरते उस अमृत सा ...
ReplyDelete-------------------------------
जितनी तारीफ़ की जाए वो कम है...
मन को दिव्य शांति का एहसास कराती रचना
बाह: सुन्दर भावो के साथ खुबसूरत चित्र..बहुत सुन्दर..अनुपमाजी..
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteविश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर देश के नेताओं के लिए दुआ कीजिये - ब्लॉग बुलेटिन आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम देश के नेताओं के लिए दुआ करते है ... आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
बहुत आभार शिवम भाई .....
Deleteबहुत उम्दा शब्दचित्र!
ReplyDeletedil khush ho gaya ......bahut accha ....
ReplyDeleteचारों तरफ अगर की खुशबू,प्रातःकालीन छटा और प्रार्थना के स्वर .... अक्सर तुम्हारे लिखे को मैं गुनगुना उठती हूँ
ReplyDeleteशब्द चित्रों की उम्दा प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
शब्द प्रार्थना बन जायें जब
ReplyDeleteसुंदर ..प्रवाहमयी भाव
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteहमारा मन भी गुनगुनाने लगा.....गाने लगा...
सादर
अनु
संगीत के सुरों में डूबी गुन गुन ...माँ को विभोर कर गई अनुपमा जी बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteमन के कितने रूप हैं और कितने सुंदर है सभी -एक अलोकिक रचना
ReplyDeleteमन ही उजियारा जब-जब जागे,जग उजियारा होय !
ReplyDeleteकुछ स्पंदन जो दे जाये .....
ReplyDeleteमन झूम झूम रम जाये ....
उर सरोज सा दिखलाए ......!!
कविता सी गुन गुन गाये
bahut hi sundar geet..
मन मे तरंग जब जागे .......
ReplyDeleteकुछ स्पंदन जो दे जाये .....
मन झूम झूम रम जाये ....
उर सरोज सा दिखलाए ......!!
कविता सी गुन गुन गाये ......!!
कविता सी गुन गुन गाये .....!!
BEAUTIFUL LINES WITH GREAT FEELINGS
शब्द और चित्र दोनों अद्भुत...बधाई
ReplyDeleteनीरज
बेहद सुन्दर।
ReplyDeleteप्रेम की चाशनी में पगी मधुर सी रचना...प्रकृति के सभी रूपों में मन उसी को देखता है...मन ही देवता मन ही ईश्वर..यह गीत भी स्मरण हो आया..आभार!
ReplyDeleteमन सूरज सा ...मन रश्मि सा ....मन तारक सा ....मन चन्दा सा .....
ReplyDeleteझर झर झरते उस अमृत सा ....!!!!!
सुंदर संगीतमयी प्रस्तुति हेतु आभार..........
वाह ... बहुत ही उत्कृष्ट लेखन ।
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति ..........
ReplyDeleteजब मन में हरि हैं बसे तब मन कहाँ है अकेला...जितनी तारीफ़ की जाए कम है
ReplyDeleteअनूपम प्रस्तुति अनुपमा जी...बधाई!!
ये कविता कहाँ है..ये तो कोई मधुर गीत सा है...सुबह सुबह मन प्रसन्न हो गया दीदी!!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति । मन गुनुननाने लगा है ।
ReplyDeleteमन को तरंगित करते भाव ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुबह की ओस गुलाब की पंखुरियों में मोती की तरह चमक रही है .पक्षियों का कलरव और और अविरल सुगन्धित पवन ह्रदय में प्रसन्नता भर रहे है .आपकी कविता पढने के बाद सुखानुभूति से ह्रदय गदगद हो जाता है . बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteमुझे शास्त्रीय संगीत का कोई ज्ञान नहीं है..यदि जीवन कभी सुअवसर देता मैं आपसे बस थोड़ा सा जानना चाहूंगी आमने-सामने से . आपकी कविता उसी लय की होती है..
ReplyDeleteअनुपमा जी आपके ब्लॉग का लुक देख कर ही मन प्रसन्न हो जाता है |रचना बहुत अच्छी लगी |
ReplyDeleteआशा
मन मे तरंग जब जागे .......
ReplyDeleteकुछ स्पंदन जो दे जाये .....
वाह !!
रचना भक्तिपूर्ण पर अलग से होती हैं ...बहुत खूब अनुपमा जी
ReplyDeleteItni sundar ki gaane ko mann kar gaya :)
ReplyDeleteमन को मनन हेतु प्रेरित करती प्रार्थनामयी सुंदर रचना।
ReplyDeleteसुंदर चित्रों से सजी बेहतरीन कविता.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मननीय शब्द चित्र..
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..