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13 February, 2014

हर रूप तुम्हारा ,मन भाया हुआ.....!!


पतझड़ में आस सा
भरमाया  हुआ
बसंत में पलाश सा
मदमाया हुआ
ग्रीष्म में प्यास सा
अकुलाया हुआ
वर्षा में उल्लास सा
हुलसाया  हुआ
शरद में उजास सा
फैला हुआ
शीत में उदास सा
अलसाया  हुआ
हर  मौसम में ,
हर रूप तुम्हारा,
मन पर छाया हुआ ,
मन भाया हुआ.....!!

22 comments:

  1. मन को भा गया.....

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  2. उसका हर रूप मन भावन है..उसका तो सुंदर हर कण है

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  3. मनभावन लाजबाब, प्रस्तुति...!

    RECENT POST -: पिता

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  4. मनभावन लाजबाब, प्रस्तुति...!
    RECENT POST -: पिता

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  5. हर मौसम जब प्रेम की बयाद लिए हो तो प्रेम किसी एक दिन के मां ही क्यों ..
    लाजवाब रचना ...

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  6. प्रकृति बहुत कुछ सीखा देती है
    बहुत सुंदर रचना
    हार्दिक शुभकामनायें

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  7. प्रकृति बहुत कुछ सीखा देती है
    बहुत सुंदर रचना
    हार्दिक शुभकामनायें

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  8. सच में प्रभु के कितने रूप और हर रूप मनभावन .........

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  9. मेरी कृति को चर्चा मंच पर लेने हेतु हृदय से आभार राजेंद्र जी ....!!

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  10. बसंत सा आया हुआ
    मन पर छाया हुआ ......मनभावन सा......
    बहुत खूबसूरत प्रेमपगी रचना

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  11. बहुत सुंदर रचना

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  12. कविता इतनी सिम्पल सी भी हो सकती है, विश्वास नहीं होता! मगर वो कहावत है न कठिन कविता लिखना बहुत सिम्पल है, लेकिन सिम्पल कविता लिखना बड़ा कठिन... यह कविता इस कथन को सिद्ध करती है!!

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  13. वाह...सुन्दर...मनभावन....

    सस्नेह
    अनु

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  14. शानदार प्रस्तुति से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट "सपनों की भी उम्र होती है "पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

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  15. और आनंद ही आनंद है उसे, जिसके मन में है वो समाया हुआ. अति सुन्दर कृति.

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  16. बहुत ही प्यारी मनभावन रचना...
    अति सुन्दर....
    :-)

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  17. अति सुन्दर | चारों दिशों में सभी मौसमों में तू ही तू |

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  18. क्योंकि ये मन भी तो उसी में है समाया हुआ..

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