बूंद बरसती ,
भर आह्लाद ,
धरा पर बूंद बूंद
शब्दातीत भावातीत
श्रवणातीत,
(कहने सुनने से परे)
और लहलहा उठता है प्रेम,
सृष्टि की हरीतिमा में
हरित मन की हर्षित प्रतिमा में
मेरे अंगना में
मेरी बगिया मे ,
मेरी हरी चूड़ियों में,
कुछ तुम्हारे शब्दों में,
बज उठी हो जैसे बूंदों की ताल,
धिनक धिन
किंकिणी झंकार
जीवंत है प्रेम
पावन सा ...
पावस ऋतु की वर्षा में भीगा ,
हर वर्ष इसी तरह ....!!
******************************************************
बारिश का रास्ता देखते देखते अब ब्लॉग पर ही बारिश डाली है .........शायद ईश्वर दिल्ली में कुछ बरसात भेज दें .....!!
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteधर्म संसद में हंगामा
क्या कहते हैं ये सपने ?
शब्द मेघ
ReplyDeleteख्यालों की बारिश
रिमझिम फुहारों का गीत
बहुत सुंदर रचना..,
ReplyDeleteबज उठी हो जैसे बूंदो की ताल...,
बढ़िया सुंदर रचना , पर बारिश का समय अब नहीं हैं वो तो निकल चुका , लेकिन ब्लॉग पर हो सकती है जी , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ ~ ( ब्लॉग पोस्ट्स चर्चाकार )
बहुत सुंदर ……
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट खामोश भावनाओं की ऊपज पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट खामोश भावनाओं की ऊपज पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।
ReplyDeleteसच में दीदी !! एकदम बारिश बारिश टाइप फीलिंग आ रही है कविता में, बारिश हो जाती तो और मज़ा आता !!
ReplyDeleteबहोत सुन्दर अनु .....बूंदों की लय सी...
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteसुंदर कोमल भाव
ReplyDeletesunder bhaaw...jald hi barish hogi..kintu yahan jo barish hui man ko khush kar gayi
ReplyDeleteवर्षा की रुनझुन सुनाती सुंदर कविता... अब तो बादल आपकी पुकार अनसुनी नहीं कर सकते...अनुपमा जी !
ReplyDeleteआनंद से सराबोर मन की सुखद अनुभूति।
ReplyDeleteबहुत खूब