1-
हृदय वही
पिघले मोम जैसा,
पाषाण नहीं ।
मोम-सा मन
आंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ।
3-
प्रवाह लिये
सरिता- सा हृदय
बहता गया ।
मेघ -घटाएँ.
छाई उर -अम्बर
6-
घटा सावन ,
7-
घटा सावन ,
भिगोये तन मन ..
प्रेम बरसे
प्रेम बरसे
मन मीन क्यों
आकुल रहती है
लिये पिपासा...?
मेरा हृदय
आस की डोर बँधा.
पतंग बना ।
waah.....bahut accha ...
ReplyDeleteअच्छे हाइकू .पहला और दूसरा खास पसंद आया.
ReplyDeleteबहुत बहुत प्यारे हायकू अनुपमा जी.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति....
सादर
अनु
बहुत सुन्दर.. कोमल शब्दों का चयन, भावों के अनुकूल.. !!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत हाइकु .... सभी एक से बढ़ कर एक .... गहनता लिए हुये
ReplyDeleteकोमल भावयुक्त बहुत खूबसूरत हाइकु ....
ReplyDelete1-
ReplyDeleteहृदय वही
पिघले मोम जैसा,
पाषाण नहीं ।
(मैं ने मानव को पूजा है ,पाषाणों से प्यार नहीं है )
मेघ -घटाएँ.
छाई उर -अम्बर
भाव बरसें ।
मन मीन क्यों
आकुल रहती है
लिये पिपासा...?
(बीन मैं तेरी बनूंगी ,बीन की झंकार भी )
7-
मेरा हृदय
आस की डोर बँधा.
पतंग बना ।'
(छूआ आसमां को )
बढ़िया हाइकु एक से आगे एक .
कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/09/blog-post_2719.html
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteमनमोहक सबके सब...
ReplyDeletenamaskaar bahut hi acche haiku hai sabhi
ReplyDeleteek se badh kr ek haikoo. badhayi.
ReplyDeleteकोमल शब्दों में भाव प्रधान अभिव्यक्ति -अच्छी लगी .
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट में आपका इंतजार है .जरुर आयें और अपनी राय से अवगत कराएँ.
भावपूर्ण सुन्दर हाइकू..आभार..
ReplyDeleteमन मीन क्यों
ReplyDeleteआकुल रहती है
लिये पिपासा...?
अतिसुन्दर
बहुत सुन्दर हाईकू, भाव बिखेरते।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकू ! भावपूर्ण कृति के लिए आभार !
ReplyDeleteशीर्षक के अनुरूप शब्दों का भाव पूर्ण चयन,,,हाइकू रचना मन को प्रभावित करती है,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST फिर मिलने का
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं... बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteमेरा हृदय
ReplyDeleteआस की डोर बँधा.
पतंग बना ।
सचमुच ह्रदय के अनेक रूप कह दू या कह दूँ ह्रदय की विशालता जिसमें समाया संसार
मनभावन हाइकु..... अति सुंदर
ReplyDeleteइस जापानी विधा में भी आपकी लेखनी ने कमाल किया दी . स्पष्ट और अद्भुत भाव. हर हायकू सन्देश देता हुआ . बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteगहन भाव लिए ... एक से बढ़कर एक हाइकू ...
ReplyDeleteI was very encouraged to find this site. I wanted to thank you for this special read. I definitely savored every little bit of it and I have bookmarked you to check out new stuff you post.
ReplyDeleteमोम-सा मन
ReplyDeleteआंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ...
इन छोटे छोटे लम्हों में बहुत कुछ समेत लिया ...
गज़ब हैं सभी हाइकू ..
मन के विभिन्न रूप छोटे छोटे हाइकू के माध्यम से...सुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeleteमोम-सा मन
ReplyDeleteआंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ...
...बहुत सुन्दर..सभी हाइकु बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...
मोम-सा मन
ReplyDeleteआंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ...
हृदय को बखूबी परिभाषित कर गए सभी हाइकु!!
komal bhav ki sunder rachna.....
ReplyDeleteबहुत प्यारे हाइकु बहुत पसंद आये
ReplyDeletebahut hi achhe
ReplyDeleteह्रदय को परिभाषित करते बड़े ही सुन्दर हाईकू ! बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteआपके 'अनुपम' हाइकू
ReplyDeleteहृदय से निकल
हृदय तक पहुंचे
हृदय में हुई
गदगद,
हृदय वाह वाह
कहे.
आपकी मेल के लिए आभार अनुपमा जी.
मेरे ब्लॉग पर भी कुछ हृदय से कहियेगा जी.
मोम-सा मन
ReplyDeleteआंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ।
3-
प्रवाह लिये
सरिता- सा हृदय
बहता गया ।
ह्रदय सदा मोम सा ही कोमल होता है जिसमे सरिता का प्रवाह होता है जहाँ कल कल की ध्वनि भी होती है बशर्ते धारा की निर्मलता बच्चे के मन जैसी हो . आपके लेखनी ने सदा ही प्रभावित किया है सुन्दर भावों के लिए आपका कोई सानी नहीं है
Beautiful compositions. I loved the second and eighth one.:) In fact second one is very very beautiful. :)
ReplyDeleteह्रदय के हर रूप को आपने शब्द दिया है |इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई -लिखती रहिये
ReplyDeleteमेरा हृदय
ReplyDeleteआस की डोर बँधा.
पतंग बना ।
ह्रदय के उदगार प्रभावित कर गए.
बहुत सुंदर.
आभार आप सभी का ह्रदय से ...हाइकु पर मेरा प्रथम प्रयास पसंद करने के लिए ...!!
ReplyDeleteमोम-सा मन
ReplyDeleteआंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ।
vah kya baat hai;;;
bahut sundar;;
मोम-सा मन
ReplyDeleteआंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया ।
प्रवाह लिये
सरिता- सा हृदय
बहता गया ।
एकसे एक सुंदर हाइकु...
:) ye haiku bhi .. pata nahi kya chij hai...
ReplyDeletewo bhaw nahi ubhar pate..
fir bhi ek nai vidha... naye aayam
maine bhi koshish ki hai...
post karunga...
aap to waise bhi idol ho:)
Awesome.. reached here while exploring n discovered gold..
ReplyDeleteThanks to the internet and specially you for writing those lines.. wating for more to come from you.
regards
sniel
मन की सूक्ष्मता से पड़ताल करते हुए, उसकी तरंगो को बड़े सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है आपने इन हाइकुओं में...बहुत-बहुत बधाई!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लगी..
ReplyDeleteअनुपमा जी,
ReplyDeleteजवाब नहीं आपके हाइकू का!
बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDelete