''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
वाह आपने तो बूंदों की परिभाषा ही बदलदी
वाह बेहद मनभावन क्षणिका
bahut sundar andaj hai aapka bahut pasand aaya
झड़ी सावन की...सौगात नीर बहावन की ...खुबसूरत और सच्चे एहसास !
सओगात नीर बहावन की -कितनी अनोखी सोगात है -बहुत मनभावन aditipoonam
कसकती सौगात - मार्मिक
wah wah wah;;;;;;;;;;;kya baat hai bahut acchi kavita..
बूँदो की बहुत सुन्दर परिभाषा...
अवर्णनीय
Really sweet, few but lyrical words. :)
बहुत सुन्दर....शुभा मुद्गल जी का वो धांसू गीत याद आ गया......रूत सावन घटा सावन की...ऐसे चमके बरसे...सादर..अनु
manbhavan..
विरह को बखूबी लिखा है ... सुंदर
बेहतरीन खूबशूरत क्षणिका,,,,,,RECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
बहुत ही भाव-प्रवण कविता । मेरे नए पोस्ट 'समय सरग पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
सुन्दर.
जब मन दुखी हो ...तो सारी सृष्टि साथ देती है ....सुन्दर !
बहुत ही प्यारी सी छोटी सी अभिव्यक्ति.... :)************प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
वाह, सबकी आवश्यकता है।
वाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति! आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!सूचनार्थ!
बहुत आभार शास्त्री जी ...!!
निशब्द...
बहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति
Splendid picture of the rainfall in the park and a very apt and appropriate poem.Thanks for reading my blog regularly and leaving your beautiful comments.Have a nice weekend Anupama. Regards Ram
waah...
बहुत सुंदर शब्द ,अर्थ ,भाव बिम्ब |आभार
सावन में विरह की वेदना अपने चरम पर होती हैं।
सावन की ये झड़ी मनोभावों को किसी दुसरे स्तर तक ले जाती है. बहुत सुंदर.
बूँदों की लड़ी में क्या कुछ रच गया...खूबसूरत मनभावन रचना !:-)~~सादर !!!
बहुत सुन्दर मनभावन...:-)
बेहतरीन अभिव्यक्ति वाह
हलचल पर अपना लिंक देख कर ह्रदय में खुशी की हलचल होती है ...!!बहुत आभार यशोदा जी ..
बरखा की नन्हीं बूदों से ही तो सब निखरता है फिर यह तो प्रेम है , सुन्दर रचना हेतु बधाई |
बहुत सुन्दर ...मेरी नई पोस्ट मे स्वागत है आप का
सावन की बूंदों के साथ विरह अभिव्यक्ति .शब्द भले कम हो लेकिन भाव प्रबल और मनोहारी है . बहुत सुन्दर दी .
मन को छू गईक्या कहने
बहुत मनभावन अभिव्यक्ति...
बहुत सुन्दर प्रकृति का चित्रण
शब्द और चित्र दोनों मन को भिगो गए।
बहुत आभार आप सभी को ...इस भाव को आप सभी ने पसंद किया ...!!
वाह ! चंद शब्दों में विरह की गाथा बारिश के बहाने..
नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!
वाह आपने तो बूंदों की परिभाषा ही बदलदी
ReplyDeleteवाह बेहद मनभावन क्षणिका
ReplyDeletebahut sundar andaj hai aapka bahut pasand aaya
ReplyDeleteझड़ी सावन की...
ReplyDeleteसौगात नीर बहावन की ...
खुबसूरत और सच्चे एहसास !
सओगात नीर बहावन की -कितनी अनोखी सोगात है -बहुत मनभावन aditipoonam
ReplyDeleteकसकती सौगात - मार्मिक
ReplyDeletewah wah wah;;;;;;;;;;;
ReplyDeletekya baat hai
bahut acchi kavita..
बूँदो की बहुत सुन्दर परिभाषा...
ReplyDeleteअवर्णनीय
ReplyDeleteReally sweet, few but lyrical words. :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteशुभा मुद्गल जी का वो धांसू गीत याद आ गया......
रूत सावन
घटा सावन की...ऐसे चमके बरसे...
सादर..
अनु
manbhavan..
ReplyDeleteविरह को बखूबी लिखा है ... सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन खूबशूरत क्षणिका,,,,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
बहुत ही भाव-प्रवण कविता । मेरे नए पोस्ट 'समय सरग पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteसुन्दर.
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ReplyDeleteजब मन दुखी हो ...तो सारी सृष्टि साथ देती है ....सुन्दर !
बहुत ही प्यारी सी छोटी सी अभिव्यक्ति.... :)
ReplyDelete************
प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
वाह, सबकी आवश्यकता है।
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
बहुत आभार शास्त्री जी ...!!
ReplyDeleteनिशब्द...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति
ReplyDeleteSplendid picture of the rainfall in the park and a very apt and appropriate poem.
ReplyDeleteThanks for reading my blog regularly and leaving your beautiful comments.
Have a nice weekend Anupama. Regards Ram
waah...
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द ,अर्थ ,भाव बिम्ब |आभार
ReplyDeleteसावन में विरह की वेदना अपने चरम पर होती हैं।
ReplyDeleteसावन की ये झड़ी मनोभावों को किसी दुसरे स्तर तक ले जाती है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
बूँदों की लड़ी में क्या कुछ रच गया...
ReplyDeleteखूबसूरत मनभावन रचना !:-)
~~सादर !!!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमनभावन...
:-)
बेहतरीन अभिव्यक्ति वाह
ReplyDeleteहलचल पर अपना लिंक देख कर ह्रदय में खुशी की हलचल होती है ...!!बहुत आभार यशोदा जी ..
ReplyDeleteबरखा की नन्हीं बूदों से ही तो सब निखरता है फिर यह तो प्रेम है , सुन्दर रचना हेतु बधाई |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...मेरी नई पोस्ट मे स्वागत है आप का
ReplyDeleteसावन की बूंदों के साथ विरह अभिव्यक्ति .शब्द भले कम हो लेकिन भाव प्रबल और मनोहारी है . बहुत सुन्दर दी .
ReplyDeleteमन को छू गई
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत मनभावन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रकृति का चित्रण
ReplyDeleteशब्द और चित्र दोनों मन को भिगो गए।
ReplyDeleteबहुत आभार आप सभी को ...
ReplyDeleteइस भाव को आप सभी ने पसंद किया ...!!
वाह ! चंद शब्दों में विरह की गाथा बारिश के बहाने..
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