
सिर्फ एहसास ही नहीं है,
सिर्फ शब्द ही नहीं है,
सिर्फ प्रेम ,ईर्ष्या ,द्वेष या
सिर्फ आक्रोश भी नहीं है
बल्कि संकुलता से परे ,
तुम्हारा वो सशक्त मौन है ,
मेरे चारों तरफ ,
जो तुम्हारे होने का प्रमाण देता है
अपनी ऊर्जस्वितता में,
और बांधे रखता है सदा ,
दुख सुख में ,
हमे इस अटूट बंधन में...!!
सिर्फ अहसास ही नहीं , सशक्त मौन का घेरा बांधे रखता है एक दूजे से एक दूजे को !
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति !
मौन के साये में लिपटे अहसास .... कितना कुछ कह जाते हैं न बिना कहे
ReplyDeleteबेहतरीन भाव
सुंदर ..एहसास बांधे रखता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteगुरु कैसा हो !
गणपति वन्दना (चोका )
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के - चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteहृदय से आभार रविकर जी मेरी कृति को चर्चा मंच पर लेने हेतु ...!!
Deleteसुंदर ..एहसास सुन्दर रचना
ReplyDeleteभावप्रणव और बेबाक प्रस्तुति।
ReplyDeletebehtareen!!!
ReplyDeleteमौन का वृत चारों और ...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ...
क्या बात वाह!
ReplyDeleteमेरे चारों तरफ ,
ReplyDeleteजो तुम्हारे होने का प्रमाण देता है
अपनी ऊर्जस्वितता में,
बहुत सुंदर भाव !
beautiful...........!!!
ReplyDeleteअहा ! बहुत प्यारी कविता है दीदी ! :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteमौन से बेहतर कोई भाषा नहीं
ReplyDeleteसुन्दर रचना
Bhaawpurn rachnaaaaa
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