![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhapWANIU-jFjMmZqpzNM-OLJ0GqQQMI-h2wXzIx6m0MemcBiembXWj9oj6JzgMv6h1SV1zm4r9j3wuZxLius4RM6dGblH99ZxfT3mJ87GN-C4eraknDoNCmO0Cc3JEinZOHAxV2Fvw10uS/s1600/download+(20).jpg)
प्रगाढ़ हरित अवलंब की छत्र छाया में
सत्व पूर्ण एक नीरवता है,
अविच्छिन्न .....!!
हथेलियों पर आक्रोश
ग्रहण करती हुई,
ग्रहण करती हुई,
सायास प्रकाश बचाने के प्रयास में
अकंपित अविचलित रहती हूँ मैं
प्रलयकारी इस वेग में भी .......!!
और इस तरह बचा ले जाती हूँ
तूफान के बीच भी
अंजुरी में सँजोयी
वो दिये की लौ
*********************************************
सभी का जीवन उज्ज्वल प्रकाशमय हो ....विजयदशमी की अनेक शुभकामनायें !!
अंजुरी में सँजोयी
वो दिये की लौ
जो अंततः
उज्ज्वल कर देती है
हमारा जीवन .......!!
*********************************************
सभी का जीवन उज्ज्वल प्रकाशमय हो ....विजयदशमी की अनेक शुभकामनायें !!
आपको भी शुभकामनाएँ
ReplyDeleteविजयादशमी पर्व की अनंत शुभकामनायें
ReplyDeleteहृदय से आभार शास्त्री जी !!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति आदरणीय धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ ~ ( ब्लॉग पोस्ट्स चर्चाकार )
सहेजे रहें ...शुभकामनायें
ReplyDeleteअद्भुत प्रेरक प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपको भी शुभकामनायें ...
ReplyDelete