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26 July, 2021

सावन की बहार !!


 प्रत्येक प्रात की

 लालिमा में ,

मेरी आसक्ति से 

अनुरक्त अनुरति ,


हृदय  में ,

शब्दों के आवेग-संवेग  में ,

उमड़ती घुमड़ती घटा सी ,


छमाछम झमाझम ....

बूंदों की खनक ,

मेरे आँगन ....... 

आई हुई मन द्वार ,

 नव पात में,नव प्रात में 

प्रस्फुटित हरीतिमा की कतार ,

सावन की बहार !!


ओ  कविता 

अभिनन्दन करो स्वीकार ,

तुम बरसो ऐसे ही  बार बार  ......!! 


अनुपमा त्रिपाठी 

 "सुकृति "

24 comments:

  1. कवितांजलि, वर्षा को, फुहारों सी। सुघट सृजन।

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  2. ओ कविता
    अभिनन्दन करो स्वीकार ,
    तुम बरसो ऐसे ही बार बार ......
    .. हाजिर हूँ ..
    बहुत खूब!

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार(२८-०७-२०२१) को
    'उद्विग्नता'(चर्चा अंक- ४१३९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    Replies
    1. आपका हृदय से सादर धन्यवाद अनीता जी !!

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  4. बहुत सुंदर रचना

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  5. बहुत सुंदर रचना

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  6. अप्रतिम भाव ...

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  7. सावन की कविता है, कविता का सावन है ! बहुत सुंदर

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  8. Replies
    1. गगन जी सादर धन्यवाद आपकी टिपण्णी के लिए | दरअसल कई बार कुछ अजीब सी टिपण्णी भी आ जाती है इसलिए मॉडरेशन लगाया है |

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  9. स्वागत है अभिनंदन है तुम असो बार बार 😄
    ख़ूबसूर्स्ट अभिव्यक्ति

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  10. ओ कविता
    अभिनन्दन करो स्वीकार ,
    तुम बरसो ऐसे ही बार बार ......!!
    सावन की बारिश जैसी खूबसूरत अभिव्यक्ति ।

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  11. बहुत सुंदर रचना...

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  12. बहुत सुन्दर

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  13. हृदय स्पर्शी रचना!!

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  14. काव्य को मधुर निमंत्रण ही काव्य का आगमन है, सुंदर रचना!

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  15. सावन की घटाओं से मनोरम संवाद करती सुंदर रचना।

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  16. जब प्रकृति रचती है अपनी कूची से कोई रचना ... वो सबसे सुंदर होती है ... बरखा भी ऐसी ही एक रचना है ...

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  17. ओ कविता

    अभिनन्दन करो स्वीकार ,

    तुम बरसो ऐसे ही बार बार।

    वाह! मुग्ध करते भाव , सुंदर शब्द चयन ।
    सुंदर सृजन।

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  18. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 09 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  19. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!