नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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01 August, 2021

जिजीविषा !!



आसमान पर पंख फैलाए,
बादलों के उड़ने की गाथा,
असीम पुलकावलि है या 
जीवन की परिभाषा.... !!


वसुंधरा के उद्दाम ललाट पर 
सूरज की  ललाम आशा 
प्रातः की कवित्त विरुदावली  है या 
मेरी कविता की अभिलाषा !!


तुम्हारे शब्दों में उल्लसित 
मेरे व्योम की विभासा 
तुम्हारी कविता है 
या मेरी उड़ान की अपरिमित जिजीविषा !!



अनुपमा त्रिपाठी
 ''सुकृति ''



20 comments:

  1. प्रकृति के साथ एकाकार होकर ही जीवन में काव्य को अनुभव किया जा सकता है

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. अभिव्यक्ति की निखार चहुंओर प्रस्फुटित हो रही है । जिजीविषा यूं ही बनी रहे ।

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  4. यूँ ही कविता की अभिलाषा बानी रहे और प्रकृति प्रदत्त कविताएँ लिखती रहें ।
    बहुत सुंदर रचना

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  5. मुग्ध करती रचना - - नमन सह।

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  6. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (02-08-2021 ) को भारत की बेटी पी.वी.सिंधु ने बैडमिंटन (महिला वर्ग ) में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। (चर्चा अंक 4144) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. रविंद्र सिंह यादव जी आपका सादर धन्यवाद आपने मेरी रचना का चयन चर्चा मंच हेतु किया |

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  7. आपकी लिखी रचना सोमवार 2 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. सादर प्रणाम दी!! आपका हृदय से धन्यवाद मेरी रचना के चयन हेतु।

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  8. आहा अति मनमोहक भावपूर्ण प्रकृति और मन की युति से उत्पन्न सकारात्मक सृजन।

    प्रणाम
    सादर।

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  9. यह अपरिमित जिजीविषा ही है जो जूझने को प्रेरित करती है।

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  10. तुम्हारे शब्दों में उल्लसित
    मेरे व्योम की विभासा
    तुम्हारी कविता है
    या मेरी उड़ान की अपरिमित जिजीविषा !!--बहुत सुंदर रचना...।

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  11. भावपूर्ण रचना।

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  12. तुम्हारे शब्दों में उल्लसित
    मेरे व्योम की विभासा
    तुम्हारी कविता है
    या मेरी उड़ान की अपरिमित जिजीविषा !!वाह सुंदर कथन जो कि स्वयं में ही परिभाषित हो रहा है। भावभारी रचना।

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  13. तुम्हारी कविता है
    या मेरी उड़ान की अपरिमित जिजीविषा
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन।

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  14. वाह लाजबाव रचना

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  15. वसुंधरा के उद्दाम ललाट पर
    सूरज की ललाम आशा
    प्रातः की कवित्त विरुदावली है या
    मेरी कविता की अभिलाषा !!
    मनभावन , सुकोमल शब्दावली से सजी रचना | हार्दिक शुभकामनाएं अनुपमा जी |

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  16. बहुत ही प्यारी और भावनात्मक रचना

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  17. प्रकृति को प्रतीक बना कर मन के एहसासों को शब्दों के माध्यम से सुंदरता से ढ़ाला है आपने अनुपमा जी बहुत सुन्दर सृजन।

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  18. बेहद खूबसूरत सृजन

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!