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05 August, 2021

इक फलसफा है ज़िन्दगी ...!!

बातों ही बात में अपने आप को यूँ 
कहते  जाना

इक फलसफा है ज़िन्दगी तेरा इस तरह 

गुज़रते  जाना


वक़्त है कि चलता है ,रुकता नहीं किसी के लिए ,

दो घड़ी चैन देता है अपनों का यूँ 
ठहरते जाना , 


ज़िन्दगी एक है एक ही रहेगी लेकिन,

तुझ को छू कर मेरी खाइशों का यूँ बिखरते जाना,


रात का रंग सुरमें  की तरह सांवरा  है ,

भर के आँखों में ख़्वाबों  का यूँ संवरते जाना



अनुपमा त्रिपाठी

   "सुकृति "


13 comments:

  1. ज़िन्दगी एक है एक ही रहेगी लेकिन,
    तुझ को छू कर मेरी खाइशों का यूँ बिखरते जाना,//
    बहुत बढ़िया अनुपमा जी!
    जिन्दगी का गुज़र जाना सच है पर किसी का कुछ पल ठहर सूने एहसासों में रंग भर जाना भी बहुत सुकून भरा होता है🙏🙏❤️ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको !!

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (06-08-2021) को "आ गए तुम" (चर्चा अंक- 4148) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी मेरी कृति को मंच पर स्थान देने हेतु !!

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  3. मादक छुअन-सी .... बेहद खूबसूरत ।

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  4. सुंदर और गहनतम सृजन...। मन की गहराई तक पहुंचता हुआ...।

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  5. बहुत ही भावात्मक रचना

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  6. बहुत सुन्दर

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  7. सच कहा, समय का इस तरह बीत जाना, एक दर्शन ही तो है।

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  8. वक़्त है कि चलता है ,रुकता नहीं किसी के लिए ,

    दो घड़ी चैन देता है अपनों का यूँ
    ठहरते जाना ,
    इसीलिए अपनो के लिए थोड़ा वक्त निकालना ही चाहिए...
    लाजवाब सृजन।

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  9. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना

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  10. बहुत सुंदर रचना

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  11. वक़्त है कि चलता है ,रुकता नहीं किसी के लिए ,

    दो घड़ी चैन देता है अपनों का यूँ
    ठहरते जाना ,
    सुंदर सृजन आदरणीय , बहुत बधाइयाँ ।

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  12. जिंदगी से रूबरू कराती सुंदर गहन रचना।

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