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14 September, 2021

हे हिन्दी !!


 शीतल पवन के झोंखे से ,

मेरे  मन में  भी उपजी

उर्वरता की,

प्रस्फुटित हरियाली में

खिलते  हुए शब्दों  की उदात्त  भाषा,

हे  हिन्दी 

 तुम ही मेरी अभिव्यक्ति की अभिलाषा ..!!


मेरी संवेदनाओं में

अमर्त्य सी पैठती

सगर्व सुवर्ण संवर्धन सी

जागती चेतना का प्रभास

मेरा चिरंतन  प्रयास ..

तुम ही  मेरी  आस


वन्या की हरित हरियाली सा ,

जीवन तरु की हरी भरी छाया सा ,

नाद से अंतर्नाद अर्चन सा ,

निर्मल जल में अपने ही प्रतिबिम्ब सा ,

कण कण  में बसता अनुराग..

   तुम  से ही  मेरी  राग  !!


अनुपमा त्रिपाठी 

  " सुकृति"

11 comments:

  1. बहुत ही सुंदर सृजन।
    हिंदी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

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  2. हिंदी भाषा का सरस वंदन

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  3. हमारी हिन्दी को समर्पित अनुपम कृति । नैनाभिराम !

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  4. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 16.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    Replies
    1. मेरी रचना को चर्चा- मंच पर साझा करने हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद दिलबाग सिंह जी !!

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  5. हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

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  6. मन को कर शब्दों में अर्पण..हिन्दी ने सस्नेह बाँध लिया है।
    सुन्दर पंक्तियाँ।

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  7. बहुत सुंदर हिन्दी पर मान , हिन्दी का सम्मान।
    सुंदर शब्दों का अभिनव समर्पण।
    वाह!

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  8. हिंदी के प्रति अनुपम अनुराग। बेहतरीन।

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  9. हिंदी को समर्पित सुंदर, अनमोल, भाव प्रवण रचना ।

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!