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23 September, 2021

निकेत बनी हृदयावलि …!!

गगन से अविरल बरसते हुए

मेघों में ,

मन के भाव की

ललित पुलकावलि ,

जब जब नित नवल 

अलंकृत होती गई ,

बूँदन झरती आई ,

तब तब वो

अलौकिक शब्द

बने मुक्ताभ ,

निकेत बनी हृदयावलि …!!


अनुपमा त्रिपाठी 

     सुकृति

9 comments:

  1. बरसते मेघ की हृदयावलि
    बहुत सुन्दर

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  2. वर्षा का सुंदर चित्रण

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  3. सुंदर रचना है यह आपकी। कभी-कभी बरसती बूंदों के साथ एक हो जाने वाली हृदयावलि अश्रुपूरित भी होती है।

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  4. सुंदर,मनभावन सृजन,सादर नमन आपको

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  5. जब जब नित नवल 

    अलंकृत होती गई ,

    बूँदन झरती आई ,

    बहुत खूबसूरत रचना

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  6. नभ का न जाने कौन सा संदेश लाते हैं मेघ।

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  7. बहुत खूबसूरत

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  8. वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण । छटा बिखेरते शब्द ।

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