''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
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13 September, 2010
08 September, 2010
आंसू या मोती ....!!-19
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मीठे सुमधुर थे वो क्षण -
अब पल पल द्रवित होता है मन ....!
भूली बिसरी सी याद -
फिर कर गयी भ्रमण -
और भर आये नयन .......!
मनवा जब जब पीर पड़े-
तू काहे ना धीर धरे .....!
झर -झर असुअन नीर झरे-
इन असुअन का मोल ही क्या -
जब दुःख पड़ता तब-
आँखों से गिर जाते हैं-
नयनी तोरे नयना नीर भरे -
सयानी समझ -बूझ पग धरना -
मोती से इन असुंअन का -
मोल अनमोल समझना
अमिय की इस बूँद को -
नैनन में भर लेना ....!!
ह्रदय पीर बन जाये -
निर्झर नीर ...!!
नैनन से मन की गागर -
गागर जब बन जाये सागर ---
आंसू तब बन जाएँ मोती --
मोती फिर बन जाये माला -
और कविता रस का प्याला......!!
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