कह तो लूँ .....
पर कोयल की भांति कहने का ...
अपना ही सुख है ...
बह तो लूँ ......
पर नदिया की भांति बहने का .....
अपना ही सुख है ...
सह तो लूँ ....
पर सागर की भाँति सहने का ....
अपना ही सुख है ....
सुन तो लूँ ....
पर विहगों के कलरव सुनने का ...
अपना ही सुख है ...
गुन तो लूँ .....
पर मौन दिव्यता गुनने का ....
अपना ही सुख है ....
हँस तो लूँ ...
आँसू पी कर भी हंसने का ....
अपना ही सुख है ....
जी तो लूँ .....
पर रम कर के जीने का ...
अपना ही सुख है ...
रम तो लूँ ...
हरि भक्ति में रमने का ....
अपना ही सुख है ....
है न ...??
पर कोयल की भांति कहने का ...
अपना ही सुख है ...
बह तो लूँ ......
पर नदिया की भांति बहने का .....
अपना ही सुख है ...
सह तो लूँ ....
पर सागर की भाँति सहने का ....
अपना ही सुख है ....
सुन तो लूँ ....
पर विहगों के कलरव सुनने का ...
अपना ही सुख है ...
गुन तो लूँ .....
पर मौन दिव्यता गुनने का ....
अपना ही सुख है ....
हँस तो लूँ ...
आँसू पी कर भी हंसने का ....
अपना ही सुख है ....
जी तो लूँ .....
पर रम कर के जीने का ...
अपना ही सुख है ...
रम तो लूँ ...
हरि भक्ति में रमने का ....
अपना ही सुख है ....
है न ...??