आज आपको एक राम भजन सुनाती हूँ .....!!
''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!
15 May, 2015
13 May, 2015
अनुभूति से अभिभूत ....!!
रवींद्रनाथ टैगोर ने भी परमब्रह्म तक पहुँचने के लिए संगीत को ही एकमात्र साधन कहा है --'' संगीत हमारी चित्तवृत्ति को अंतर्मुखी बनाकर हमें आत्मस्वरुप का नैसर्गिक बोध कराता है और आत्मस्वरुप का यह बोध ही मनुष्य को परमतत्व से जोड़ता है।"
''अनुभूति को अनुभूत करने में ही उसका अस्तित्व है ''
निसर्ग के इन्ही फूलों में रची बसी,
इन्हीं फूलों से
उड़कर,
उस आमद का करती
हूँ स्वागत,
उस सुरभि से ,
जोड़ जोड़ शब्द ,
सजती है मेरी
कल्पना,
भरती रंग मन अल्पना ,
उठती है …,चलती है
और फिर ,
ईश्वर की कृपा बरसती है ,
और....
और .......
ईश्वर की कृपा बरसती है ,
और....
और .......
अनायास नृत्य
करती है,
मेरी पंगु कविता
.....!!
10 May, 2015
एक माँ को नमन .....

जिसकी मासूम उदास आँखों से भी,
झांकती है एक हँसी …!!
वो अभी भी देखती है कुछ ख़ाब,
सूनी सी आँखों में रंग भर देते हैं जो ,
और फिर उसके पौधों का रंग हो उठता है ,
और भी हरा ,

फूल ही फूल ,
उसकी कविता में होते हैं
शब्द ही शब्द
उसकी बातों में होते हैं भाव ही भाव ,
उसकी अल्पना में होता है ,
पलाश का रंग .....
इस तरह खिलती है
खिलखिलाती है ...
और फिर से,
उसकी मासूम उदास आँखों में से
झांकती है एक हँसी ...
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