धरणी का संताप देख
वरुण हुए करुण
सघन घन में भरा आह्लाद
करुणा सारी बरसा जाने को
वसुंधरा की हर पीड़ा हर लाने को
उमड़ घुमड़ ...गरज गरज
बूंद बूंद
बरसने को हो रहे आकुल
चतुर चितेरा मनभावन
बरस रहा है सावन
पीत दूब प्रीत पा
हरित हो रही ....!!!!!
दूब का रंग हरा हुआ
पल्लव से वृक्ष भरा हुआ
इंद्रधनुष के रंगों मे
हँस के निखर रही है धरा
चम्पा की सुरभी बिखेर
चहक रही है धरा
नदिया की धारा में सिमटी समाई
मांझी के गीत सी
झनकती बूंद
चल पड़ी फिर
नाचती झूमती गाती ...समुंदर तक
वरुण हुए करुण
सघन घन में भरा आह्लाद
करुणा सारी बरसा जाने को
वसुंधरा की हर पीड़ा हर लाने को
उमड़ घुमड़ ...गरज गरज
बूंद बूंद
बरसने को हो रहे आकुल
चतुर चितेरा मनभावन
बरस रहा है सावन
पीत दूब प्रीत पा
हरित हो रही ....!!!!!
दूब का रंग हरा हुआ
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इंद्रधनुष के रंगों मे
हँस के निखर रही है धरा
चम्पा की सुरभी बिखेर
चहक रही है धरा
मांझी के गीत सी
झनकती बूंद
चल पड़ी फिर
नाचती झूमती गाती ...समुंदर तक