स्मित बनफूलों का
सौम्य तारुण्य ...!!
चंपई गुलाबी पंखुड़ी पर ...
चाँदनी का
चांदी सा छाया लावण्य ...!!
भीनी भीनी सी खुशबू ले .....
बहती हुई ये अलमस्त पवन ...
बूंद बूंद बरस रहा है ...
मेघा का रस पावन ...
स्निग्ध चांदनी में डूबा
कल्पनातीत वैभव ....
सरसता हुआ मन ...!!
रुका हुआ क्षण ...!!
अनिमेष सुषमा का ,
कर रहा रसास्वादन .....!!!!
अंबर की रस फुहार ....
हो रही बार-बार ....
बरस रहा आसाढ़ ......
भीग रहा मन चेतन ...!!
कैसी अनुभूति है ...??
छुपी कोई अदृश्य आकृति है ....???
कौन है यहाँ
जो मुझे रोक लेता है ...????
नमन करने तुम्हारी कृति पर ...
और ...अपनी सीली सीली सी ...
मदमस्त सुरभि से ...
तुम्हारी उपस्थिति का भान कराता है ...
मेरे ह्रदय के आरव श्रृंगों को .....
भिगोने लगता है
वाणी के उजास से ......
चेतना आप्लावित होती है
अंतस तक ....!!
और इस तरह
तुम ही करते हो ....
मेरा मार्ग प्रदर्शन ....
और प्रशस्त भी ....!!
बहुत सुन्दर ..कितना कुछ कह दिया ... शब्दों में...अनुपमा जी
ReplyDeleteमेरे ह्रदय के आरव श्रृंगों को .....
ReplyDeleteभिगोने लगता है वाणी के उजास से ......
चेतना आप्लावित होती है अंतस तक ....!!
और इस तरह तुम ही करते हो ....
मेरा मार्ग प्रदर्शन ....और प्रशस्त भी ....!!
बहुत ही सुंदर.
रामराम.
बहुत सुन्दर,बेहतरीन भाव!
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....
मन को खुश करती रचना.
अनु
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteवाह अनुपममा जी बिलकुल आप ही की तरह अनुपम भाव संयोजन... कोमल एहसासों से बुनी बहुत ही सुंदर रचना।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर।
ReplyDeleteख़ूबसूरत शब्द, और आध्यात्मिक चेतना से भरी हुई रचना।
सादर
मधुरेश
सुन्दर।। ऐसे ही आगे बढ़ते चलिये!!
ReplyDeleteचवन्नी की विदाई के दो साल।
मोबाइल के लिए एक बेहतरीन वेबसाइट!!
हृदय से आभार शिवम भाई ....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर,लेखनी को शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/01/yaadain-yad-aati-h.html
कोमल मन भावों का अद्भुत चित्रण।
ReplyDeleteआपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल शनिवार 06/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार यशोदा ....!!
Deleteकितनी प्यारी रचना है. अंतर्मन को आक्लिन्न और आलोकित करती हुई.
ReplyDelete
ReplyDeleteआध्यात्म और प्रेम रस से सिंचित सुन्दर रचना !
latest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
ईश्वर की उपस्थिती का आभास प्रकृति के हर रूप में होता है .... उत्तम भावों से रची सुंदर रचना ।
ReplyDeletewaah...anupam shabd saundarya...apki har rachna ki khasiyat uska shabd vinyas hota hai..sundar aur sarthak rachna ke liye badhai.
ReplyDeleteमेरे ह्रदय के आरव श्रृंगों को .....
ReplyDeleteभिगोने लगता है वाणी के उजास से ......
चेतना आप्लावित होती है अंतस तक ....!!
और इस तरह तुम ही करते हो ....
मेरा मार्ग प्रदर्शन ....और प्रशस्त भी ....!!
बहुत सुंदर ! अनुपमा जी,सचमुच परमात्मा प्रकृति के माध्यम से हमें कुछ कहना चाहता है...
अंतर्मन को आलोकित करती हुई
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
वाह बहुत सुंदर, मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना... !!
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।।
ReplyDeleteसूबह सुबह, मन फ्रेश हो गया...
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
शब्दों के माध्यम से जड़, चेतन दोनों का स्पष्ट चित्रण कर जाती है आप. अद्भुत है दी .
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी मनभावन रचना...
ReplyDelete:-)
भींगी-भींगी सी अनुभूति..अद्भुत..
ReplyDeleteस्निग्ध चांदनी में डूबा कल्पनातीत वैभव ....
ReplyDeleteसरसता हुआ मन ...!!
रुका हुआ क्षण ...!!
अनिमेष सुषमा का कर रहा रसास्वादन .....!!!!
अंबर की रस फुहार ....हो रही बार-बार ....
बरस रहा आसाढ़ ......भीग रहा मन चेतन ...!!
चित्रण कोमल भाव लिए स्निग्ध प्रकृति का अनुपम चित्रण
सुंदर!
ReplyDeleteRefreshingly beautiful!
बहुत सुंदर और कोमल चित्रण आषाढी बरखा का ,साथ ही एक अलोकिक अनुभूति...बूंदों की रिमझिम में तो वैसे भी सबकुछ भीगा भीगा सा खूबसूरत
ReplyDeleteही लगता है .....साभार.....
वाह वाह बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteati sunder rchana.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबरसात और चंपा का खिलना वाह क्या खूब लिखा है ।
ReplyDeleteसुन्दर कोमल मनोहर रचना भाषिक और अर्थ सौंदर्य लिए .ॐ शान्ति .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.........बरस रहा आसाढ़ ......भीग रहा मन चेतन ...!!
ReplyDeleteशुभ वचनो हेतु हृदय से आभार .....!!
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