जोगिया रंग ...
भर लाया प्रभास ....
भर लाया प्रभास ....
फैला उजास ....
छू कर मन ....
भाँती भाँती के रंग ....
भरते उमंग
छू कर मन ....
भाँती भाँती के रंग ....
भरते उमंग
कागा सुहाए ...
द्वार सँदेसा लाये ...
निज घट ..द्वार सँदेसा लाये ...
जब भोर मुस्काए ...
प्रकाश छाए
***
मन मंदिर ....
प्रज्ज्वल ज्योति जले
प्रज्ज्वल ज्योति जले
जियरा खिले ....
***
भोर जगाये ...
अंतःकरण खिले ....
मनवा गाये ...
***
भोर जगाये ...
अंतःकरण खिले ....
मनवा गाये ...
***
धूप छाँव सा ...
है सबका जीवन ....
मन क्यूँ डरे ....?
***
विविध रंग ....
विविध रंग ....
रंग चुरा लूं ....
भर दे जो जीवन ....
घट-घट में ....
***
ये वसुंधरा ......
विविध रंग भरी ...
सहेजो इसे ...
ये वसुंधरा ......
विविध रंग भरी ...
सहेजो इसे ...
***
रंगों से भरी ....
है प्रकृति सबकी ... .....
एकदम रंगारंग रचना :) इतने रंग न होते तो जीवन कितना बेरंग होता.
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ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण हाइकु
new postकोल्हू के बैल
बहुत बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteप्रकृति के सभी रंग एक साथ....
मानों इन्द्रधनुष धरती पर उतर आया हो...
सादर
अनु
रंग बिरंगे सुन्दर हाइकू..
ReplyDeleteरंग भरी,
ReplyDeleteदुनिया कहे,
जो रहे।
रंगों को बिम्बित करते सुंदर शब्द
ReplyDeleteबेहतरीन हाइकू | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बहुत उम्दा भावमय हाइकू
ReplyDeleterecent postकाव्यान्जलि: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच-1200 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
सादर बहुत आभार शास्त्री जी चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान दिया .....!!
Deletewaah...haaiku kahan apne aap men behad mushkil kaam hai..main to kai baar koshish kar ke haar chuka hun..aapse kuch seekhna hoga..bahut bahut badhai.
ReplyDeleteधूप छाँव सा ...
ReplyDeleteहै सबका जीवन ....
मन क्यूँ डरे ....?
विविध वर्णी चित्र जीवन के ,भाव जगत के दर्शन के स्पंदन लिए हैं ये हाइकू .बेहद सजीव प्रस्तुति .ताजगी देती सी .
वाह अद्भुत सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई
ReplyDeleteधूप छाँव सा ...
ReplyDeleteहै सबका जीवन ....
मन क्यूँ डरे ....?reality se bharpoor...
हृदय भक्ति ....
ReplyDeleteमन ओस की बूंद ...
पावन लगे.....
पावन एहसास बिखेरती उम्दा कृति ....
वाह ! अनुपमा जी, अंतर का प्रेम प्रकृति के रंगों के साथ घुलमिलकर कैसा अनोखा सृजन करवा रहा है..शुभकामनायें..!
ReplyDeleteरंग चुरा लूं ....
ReplyDeleteभर दे जो जीवन ....
घट-घट में ....
सभी हाइकु होली के रंग से विभिन्न भावों में रँगे हुए. बहुत भावपूर्ण. बधाई.
समेट रही हूँ आपके हर रंग को और रंग रही हूँ उसी में..
ReplyDeleteBahut sundar, I loved the 'Kagha suhai':)
ReplyDeleteप्राकृतिक उपमा से सुसज्जित सुन्दर रचना।
ReplyDeleteरंगों की मधुर आभा लिए ... शब्द ओर चित्र ....
ReplyDeleteबहुत ही अनुपम भाव लिए ...
प्रकृति के रंग.
ReplyDeleteशब्दों में बिखेर दिये आपने
चुटकियों के संग!
हृदय भक्ति ....
ReplyDeleteमन ओस की बूंद ...
पावन लगे ...
वाह ... बहुत खूब सभी हाइकु एक से बढ़कर एक
आभार
जीवन रंग
ReplyDeleteभर दिये शब्दों में
हाइकु संग ....
बहुत सुंदर हाइकु ...
ह्रदय शक्ति ...
अँधियारा मिटाए ...
प्रभात खिले .. सच मन की शक्ति ही खुशियों के रंग बिखेरती है ...
प्रकृति के सहज रंगों को उकेरती अद्भुत हाइकु
ReplyDeleteमनभावन हाईकू की यह सचित्र यात्रा बहुत सुखद लगी !
ReplyDeleteसुमन खिले
शब्दों की सुरभि उड़े
हृदय जुड़े !
बहुत प्यारे हाईकू अनुपमा जी ! सचमुच जियरा जुड़ा गया !
वाह साधना जी .....बहुत सुन्दर हाइकु आपका भी ...!!मन खुश हो गया ...!!बहुत बहुत आभार ...!!
Deleteवाह अनु...बहुत सुन्दर लगे यह सतरंगी...प्रेमासक्त.... हाइकू
ReplyDeleteबेहतरीन!!
ReplyDeleteरंग भरे ये रंग ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
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