हरियाली छाई है ...
वर्षा की बूँदें ...
कुछ यादें लाई हैं ....
ये चंचल सी बूँदें ...
मन मेरा भीग रहा ...
लगी प्रीत मेरी खिलने ...!!
नहीं कोई कहानी है ...
मन मे बसी मेरे ....
शब्दों की रवानी है ...
तुम घर अब आ जाओ ...
सांझ घिरी कैसी...
मेरी पीर मिटा जाओ ..!!
ये मन भरमाया है ...
मेहँदी रंग लाई ......
मोरा पिया घर आया है ...!
बूंदन रस बरस रहा ...
नित नए पात खिले ....
धरती मन हरस रहा ...!!
झर झर गिरती बूंदें ...
खनक रही ऐसे ....
जैसे झूम रही बूंदें ...!!
मेरा माहिया आया है ...
लड़ियन बुंदियन का
सेहरा मन भाया है ...
मेरे कदम क्यूँ बहक रहे ...
वर्षा झूम रही ...
बन मोर हैं थिरक रहे ....!!
धिन धिन तक तक करतीं ...
साज रही बूंदें ...
धरती पर जब गिरतीं ...!!
*********************************************************
पहली बार महिया लिखने की कोशिश की है ....!!आशा है आप सभी पाठक गण इसे पसंद करेंगे ।
वर्षा की बूँदें ...
कुछ यादें लाई हैं ....
ये चंचल सी बूँदें ...
मन मेरा भीग रहा ...
लगी प्रीत मेरी खिलने ...!!
नहीं कोई कहानी है ...
मन मे बसी मेरे ....
शब्दों की रवानी है ...
सांझ घिरी कैसी...
मेरी पीर मिटा जाओ ..!!
ये मन भरमाया है ...
मेहँदी रंग लाई ......
मोरा पिया घर आया है ...!
बूंदन रस बरस रहा ...
नित नए पात खिले ....
धरती मन हरस रहा ...!!
झर झर गिरती बूंदें ...
खनक रही ऐसे ....
जैसे झूम रही बूंदें ...!!
मेरा माहिया आया है ...
लड़ियन बुंदियन का
सेहरा मन भाया है ...
मेरे कदम क्यूँ बहक रहे ...
वर्षा झूम रही ...
बन मोर हैं थिरक रहे ....!!
धिन धिन तक तक करतीं ...
साज रही बूंदें ...
धरती पर जब गिरतीं ...!!
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पहली बार महिया लिखने की कोशिश की है ....!!आशा है आप सभी पाठक गण इसे पसंद करेंगे ।
आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 17/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
हृदय से आभार यशोदा ....
Deleteसच में दीदी
ReplyDeleteमैं तो बिलकुल
भींग ही गई
छतरी भी काम न आई
सादर
:)).....साथ खींच लिया वर्षा मे ......और देखो तुमने मुझे भी कैसे भिगो दिया ....!!
Deletebahut sundar
ReplyDeletenice one
ReplyDeletehmm...aapne likha aur dekhiye saavan bhi kareeb hi hai.. :)
ReplyDeleteबढिया, बहुत सुंदर
ReplyDeleteबढिया, बहुत सुंदर
ReplyDeleteप्यारी बूँदें...!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ....
ReplyDeleteसुहानी सी यादों के साथ ...बेहद खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
दिल चाहता है
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html
बहुत ही लाजवाब और सशक्त पोस्ट
ReplyDeleteमैं तो सीखने बैठ गई
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत ही लाजवाब पोस्ट.....
ReplyDeleteमैं तो सीखने बैठ गई
नकल हो जाये तो डांटना नहीं
हार्दिक शुभकामनायें
:))....ऐसा ही प्यार बनाए रखिए ....!!
Deleteमन मोर .मचाये शोर ,घटा घनघोर
ReplyDeleteनज़रों में छाये माहिया चारो ओर ....
सुंदर भाव ...बधाई !
बहुत सुन्दर शब्द. वर्षा की तरह ही मन को भिंगोनेवाला.
ReplyDeleteमन मे बसी मेरे ....
ReplyDeleteशब्दों की रवानी है ...
शब्दों की मोहक बरसात , आत्मीयता से भीगता गात .
ReplyDeleteरकृति की कुशल चितेरी , अनुपम राग, दृष्टि अभिजात
शुभ प्रभात अग्रजा.
अनुपम..भिंगा कर प्रीत खिला रही है..
ReplyDeleteहम हँसते रहें
ReplyDeleteयह दिखती रहे
तुम अब घर आ जाओ ...
ReplyDeleteसांझ घिरी कैसी...
मेरी पीर मिटा जाओ ..!!
मन का प्यास बुझा जाओ ..... बहुत सुन्दर रचना !!
latest post सुख -दुःख
वाह.वर्षा की जीवंत चित्राण..मन मोहक रचना..
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
ReplyDeleteगर्मी में ठंडक पड गई है, बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
अनुपमा जी, इसे गाकर पढने का प्रयत्न किया अच्छा लगा..आप इसे अपनी आवाज में पेश करें..
ReplyDeleteशुभकामनाओं के लिए आभार अनीता जी ....इनको गाने की बात मेरे मन में भी आई थी !ज़रूर कोशिश करती हूँ ....!!हृदय से आभार .....!!
Deleteतुम घर अब आ जाओ ...
ReplyDeleteसांझ घिरी कैसी...
मेरी पीर मिटा जाओ ..
सुन्दर भावमय प्रस्तुति ...
बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
ReplyDeleteसुन्दर भावों की बरसात हो गई यह तो :)
ReplyDeleteतभी तो मन कहता है ...."कुछ बात तो है" रचना में .....अनुपमा जी
ReplyDeleteसंगीत भरा गीत...
ReplyDeleteबहुत सुंदर माहिया लिखे हैं .... महिया भी झमाझम बरसे हैं :):)
ReplyDeleteतुम घर अब आ जाओ ...
ReplyDeleteसांझ घिरी कैसी...
मेरी पीर मिटा जाओ ..
गहरे भावो की अभिवयक्ति******
वाह , मन भी भीगा भीगा हुआ !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगी पोस्ट।
ReplyDeleteसुंदर रसीली सावनी माहिया ।
ReplyDeleteमेरे कदम क्यूँ बहक रहे ...
ReplyDeleteवर्षा झूम रही ...
बन मोर हैं थिरक रहे ....!!
ReplyDeleteये मन भरमाया है ...
मेहेंदी रंग लाई ......मेहँदी रंग लाई
मोरा पिया घर आया है ...!
झर झर गिरती बूंदें ...
खनक रही ऐसे ....खनक रहीं ऐसे
जैसे झूम रही बूंदें ...!!
मेरा माहिया आया है ...
लड़ियन बुंदियन का
सेहरा मन भाया है ...
बेहतरीन बिम्ब मूर्तं चित्र प्रेमी का संजोया है प्रांजल भाषा में .ओम शान्ति
उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का हृदय से आभार ....!!
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