आज रात चाँद को पुकारती रही
बादलों की ओट में कहीं रहा छिपा
दामिनी प्रकाश पुंज वारती रही ....
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
देखती रही खड़ी नयन पसार कर ...
है वियोग ही मिला सदैव प्यार कर ...
तारकों से आरती उतारती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
हो गई उदास और रात रो पड़ी....
वारने लगी अमोल अश्रु की लड़ी ...
दूर से खड़ी उषा निहारती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ....
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शोभा श्रीवास्तव का लिखा ये गीत .....
अब सुनिए मेरी आवाज़ में.......
कृपया ईयर फोन से सुने अन्यथा आवाज़ बिखरती है ....
रात तो चाँद को पूरे आकाश में चाहती है..हर समय..सुन्दर गीत, मधुर गायन..
ReplyDeleteशब्द और गायन दोनों मर्मस्पर्शी.
ReplyDeletebahut sundar evam madhur gayan . sunkar bahut achchha laga .
ReplyDeleteअनुपमा जी , आपको सुना और गुना भी..अभी प्रसंशा के दो बोल भी नहीं मिल रहे हैं..
ReplyDeletebahut hi sundar geet aur utni hi sumadhur aavaaz.... :) Best Wishes....
ReplyDeleteबेहतरीन गीत को बहुत ही सुंदर गाया आपने, गीत और गायन दोनों ही लाजवाब, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
लाजवाब,..गीत और गायन दोनों ही मर्मस्पर्शी.बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteजितना सुंदर गीत है उतना ही कर्णप्रिय गायन .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteअच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteपहले भी आपकी आवाज में गीत सुने हैं, ये भी बहुत सुंदर है।
क्या कहने..
मेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
MEDIA : अब तो हद हो गई !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form
लाजवाब..बेहतरीन..
ReplyDeletemera naya blog
rahulkmukul.blogspot.com
सुन्दर सुमधुर गीत के लिए शोभा जी को बधाई. आपकी आवाज़ में इस गीत को सुनना बहुत अच्छा लगा. बहुत अच्छा गाती हैं आप, बहुत बधाई.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अरुण ...!!
ReplyDeleteवाह वाह !!! क्या बात है,
ReplyDeleteबहुत उम्दा गीत और साथ में आपकी आवाज ,,,लाजबाब,
RECENT POST : अभी भी आशा है,
उम्दा गीत ............,लाजबाब
ReplyDelete.सुन्दर गीत, मधुर गायन............. बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteपर इस गीत को आपकी आवाज ने जीवंत कर दिया
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
बहुत अच्छे से अपने इन क्लिष्ट पंक्तियों को गाया है. मधुर गायिकी. कविता भी बहुत अच्छी है. अब पता चला धेमुराघाट पर की मेरी शिकायत चाँद से एकलौती नहीं थी :)
ReplyDeleteआज रात चाँद को पुकारती रही
ReplyDeleteव्योम मंच पर न किन्तु चाँद आ सका....
बादलों की ओट में कहीं रहा छिपा
दामिनी प्रकाश पुंज वारती रही ....
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
देखती रही खड़ी नयन पसार कर ...
है वियोग ही मिला सदैव प्यार कर ...
तारकों से आरती उतरती रही ...आरती उतारती रही गीत बंदिश और प्रस्तुति सभी बे जोड़ ंउबार्क ंउबारक मुबारक
आपको अंदाज़ा भी नहीं आपकी इस प्रस्तुति से मेरी सुबह कितनी अच्छी हो गयी है!!गीत, संगीत आवाज़ सब इतना मधुर है! :)
ReplyDelete:)) GOD BLESS U ABHI .
Deleteवाह ! सुभानअल्लाह...गीत के लिए शोभा जी को बधाई और गायन के लिए आपको ढेर सारी बधाईयाँ..अनुपमा जी !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत..उसपर आपकी मधुर आवाज...
ReplyDeleteक्या कहने.. बहुत ही बढ़ियाँ...
:-)
आपकी आवाज़ सुनने की अभिलाषा है परन्तु मैं ऑफिस में ही कंप्यूटर का इस्तेमाल करता हूँ जहाँ स्पीकर या ईयर फोन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता......क्या कोई तरीका है जिससे डाउनलोड करके मोबाइल में सुना जा सके ????
ReplyDeleteआभार इमरान जी ....आपके मोबाइल पर अगर यू ट्यूब आता हो तो भी आप सुन सकते हैं .....मेरा चैनल यू ट्यूब पर है ...anupamatripathi1 पर ....
Deletesure...i will try it
DeleteAchachha gaaya, par aapne humari abhi tak MUMBAI me ki gai farmaish par dhyan nahi diya, That will suit to your voice.
ReplyDeleteआभार बल्लु भैया .....गाना ही मेरे दिमाग से निकल गया ......कृपया दुबारा मेल कर दें ......
Deleteनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (21 -07-2013) के चर्चा मंच -1313 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteहृदय से आभार अरुण ....!!
Deleteखुबसूरत भावो की अभिवय्क्ति…।
ReplyDeleteगीत के बोल बहुत सुन्दर है और गायन कर्णप्रिय और मधुर . अप्रतिम .
ReplyDeleteमधुर गीत जैसे बादलों की ओट में चन्द्रमा के सम्मुख खींच लाया !
ReplyDeleteसरस !
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete
ReplyDeleteमधुर गीत के साथ मधुर आवाज ,बहुत अच्छा
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सभी श्रोतागणों का हृदय से आभार .....!
ReplyDeleteमधुर स्वर....मधुर विरह गीत.....बहुत ही खूबसूरत....
ReplyDeleteसाभार.....
इस गीत में आपकी मधुर आवाज़ दिल को छू गई । हार्दिक बधाई बहन अनुपमा जी ! रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
ReplyDeleteवाह!! सुन्दर गीत---आपके गायन ने चार चाँद लगा दिये..आनन्द आ गया!!
ReplyDeleteबधाई!!
वाह वाह वाह ! जितने सुंदर गीत के बोल उतनी ही सुमधुर उनकी प्रस्तुति ! अनुपमा जी आपने समाँ बाँध दिया ! आपकी कर्णप्रिय आवाज़ ने आत्मा को तृप्त कर दिया ! आभार आपका !
ReplyDeleteमाधर्य पूर्ण कर्ण मधु स्वरलहरी
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा गीत है ..और आवाज़ ..? उसने आत्मा को छू लिया . यह किस्मत है की किसी गीत को ऐसा प्यार मिले. मेरे गीत तरसते रहे हैं इसके लिये.
ReplyDeleteआपकी गायकी और लेखनी दोनों खुबसूरत है अनुपमा जी बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार २६ मई 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !