आद्या शक्ति माँ सुखदायिनी ...!!
हे माँ मुझे आने दो ....
अपने संसार में ...
नव राग प्रबल गाने दो ....
शक्ति दायिनी...
माँ तुम हो मेरी ...
आस मेरी ...मुझमें उल्लास भरो ....!!
भाई जैसा ...
मेरी शिराओं में भी ....
चेतना का संचार करो .....
माँ मुझसे भी तो प्यार करो ....!!
छल छल कर दुनिया छलती है ....
तुम तो न जग का हिस्सा बनो .....
मुझे जीवन दो पालो-पोसो ....
नव-शक्ति का किस्सा बनो ...
जब तुम जग से भिड़ पाओगी .....
अपनी छाया फिर देखो तुम ...
जग से मैं भी लड़ जाऊँगी ...
पोसूंगी तब अपने सपने .....
और एक उड़ान पा जाऊँगी ....!!
माँ मुझे आने तो दो ....
अपने संसार में ....
नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
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हे माँ मुझे आने दो ....
नव राग प्रबल गाने दो ....
शक्ति दायिनी...
माँ तुम हो मेरी ...
आस मेरी ...मुझमें उल्लास भरो ....!!
भाई जैसा ...
मेरी शिराओं में भी ....
चेतना का संचार करो .....
माँ मुझसे भी तो प्यार करो ....!!
छल छल कर दुनिया छलती है ....
तुम तो न जग का हिस्सा बनो .....
मुझे जीवन दो पालो-पोसो ....
नव-शक्ति का किस्सा बनो ...
जब तुम जग से भिड़ पाओगी .....
अपनी छाया फिर देखो तुम ...
जग से मैं भी लड़ जाऊँगी ...
पोसूंगी तब अपने सपने .....
और एक उड़ान पा जाऊँगी ....!!
माँ मुझे आने तो दो ....
अपने संसार में ....
नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
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मार्मिक पुकार ..... बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
ReplyDeleteवोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (06-10-2013) हे दुर्गा माता: चर्चा मंच-1390 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना चयन हेतु हृदय से आभार शास्त्री जी ।
Deleteबहुत सुन्दर......
ReplyDeleteमाँ अपनी बेटी की इस पुकार को कैसे अनसुना कर सकती हैं......
नवरात्र शुभ हों..
सादर
अनु
रचना चयन हेतु हृदय से आभार दर्शन जी ...!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति.!
ReplyDeleteनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
AMAZING!!!
ReplyDeletevery beautiful
ReplyDeleteवाह क्या बात!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत !
ReplyDeletelatest post: कुछ एह्सासें !
बहुत खूब ....माँ को वंदन
ReplyDeleteह्रदय से आयी पुकार...अश्रुत कैसे हो....
ReplyDeleteमाँ मुझे आने तो दो ....
ReplyDeleteLabels: अभिलाषा, कन्या, जन्म, हिन्दी कविता ।
आद्या शक्ति माँ सुखदायिनी ...!!
हे माँ मुझे आने दो ....
अपने संसार में ...
नव राग प्रबल गाने दो ....
शक्ति दायिनी...
माँ तुम हो मेरी ...
आस मेरी ...मुझमें उल्लास भरो ....!!
भाई जैसा ...
मेरी शिराओं में भी ....
चेतना का संचार करो .....
माँ मुझसे भी तो प्यार करो ....!!
छल छल कर दुनिया छलती है ....
तुम तो न जग का हिस्सा बनो .....
मुझे जीवन दो पालो-पोसो ....
नव-शक्ति का किस्सा बनो ...
जब तुम जग से भिड़ पाओगी .....
अपनी छाया फिर देखो तुम ...
जग से मैं भी लड़ जाऊँगी ...
पोसूंगी तब अपने सपने .....
और एक उड़ान पा जाऊँगी ....!!
माँ मुझे आने तो दो ....
अपने संसार में ....
नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
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Posted by Anupama Tripathi
मत मारो मुझे पूतना बन ,
क्योंकि यहां न कोई कृष्ण
अब -
सिर्फ बचे हैं कंस।
हम सभी ईश्वर के रूप में शक्ति पूजक हैं .....दुर्गा हों या कृष्ण ....शक्ति के दो भिन्न रूप ....कृष्ण तो वो प्रबल शक्ति हैं जो स्वयं तो बचेंगे ही ....साथ ही हम सब की भी रक्षा करेंगे .....कृष्ण से ही संसार है .....!!
ReplyDeleteनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें .....
ReplyDeleteभक्ति भरी पुकार ..नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
ReplyDeleteनिश्चल वंदन - बहुत सुंदर
ReplyDeleteमाँ की स्तुति में बहद सुन्दर शब्दों का गुलदस्ता ... नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteमाँ से ही करे पुकार , दुनिया जो अनसुनी हो !
ReplyDeleteमार्मिक !
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteमाँ मुझे आने तो दो ....
ReplyDeleteअपने संसार में ....
नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
भावमय करते शब्दों का संगम ....
नवराग निकलेगा और जगत को गुंजित करेगा।
ReplyDeleteप्रांजल भाषा में अप्रतिम भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआप सभी का हृदय से आभार इस कृति पर अपने विचार दिये ....माँ दुर्गा दुर्गति दूर करती हैं ....उन्हीं से ये प्रार्थना है कि हम स्त्रियॉं को ऐसी शक्ति दें कि अपने ही भ्रूण को नाश करने का विचार भी कभी न आए ....और हम गर्व से कन्या को जन्म दे सकें ....!!उसे सगर्व पाल पोस कर बड़ा कर सकें ....!!
ReplyDeleteकरुण पुकार किसी भी मां के ह्रदय को आर्द्र बना देती है . बहुत सुन्दर दी.
ReplyDelete
ReplyDeleteमाँ मुझे आने तो दो ....
अपने संसार में ....
नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!--------
माँ दुर्गा को प्रतीक मानकर नारी शक्ति को
बड़ी गहनता से उजागर किया है----
बहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है- मेरे ब्लॉग में भी समल्लित हों
पीड़ाओं का आग्रह---
http://jyoti-khare.blogspot.in
बधाई हो
ReplyDeleteअच्छी कविता बन पडी है
क्या बात है कि कोई कविता नहीं डाल रही हैं ?
ReplyDeleteअच्छा लगा अमृता जी आपने याद किया …। कुछ दिनों से यात्रा ही यात्रा चल रही है। ....बस अब शीघ्र ही डालती हूँ। …।!!
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