देखो तो कैसा दहक रहा है ...
गुलमोहर ....सुर्ख लाल ....!!
बिलकुल तपते हुए उस सूर्य की तरह ...
मेरे प्यार से ही ...
लिया है उसने ये रंग ...!!
और ....
उससे ही लिया है मैंने ...
जीवन जीने का ये ढंग ...!!
सूर्य की तपिश हो ...
या हो ...
जीवन की असह्य पीड़ा ...
क्या रत्ती मात्र भी कम कर पाई है ...
मेरे प्रेम को ........????
प्रभु तुम साथ हो तो
इस ज्वाला में भी जल जल कर ...
स्वर्णिम सी होती गई मैं ....!!
दहक रहा है भीतर मेरे ...
हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....
गुलमोहर ....सुर्ख लाल ....!!
बिलकुल तपते हुए उस सूर्य की तरह ...
मेरे प्यार से ही ...
लिया है उसने ये रंग ...!!
और ....
उससे ही लिया है मैंने ...
जीवन जीने का ये ढंग ...!!
सूर्य की तपिश हो ...
या हो ...
जीवन की असह्य पीड़ा ...
क्या रत्ती मात्र भी कम कर पाई है ...
मेरे प्रेम को ........????
प्रभु तुम साथ हो तो
इस ज्वाला में भी जल जल कर ...
स्वर्णिम सी होती गई मैं ....!!
दहक रहा है भीतर मेरे ...
हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....