नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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29 September, 2013

झरने लगे हैं पुष्प हरसिंगार के....................!!

पुनः शीतल चलने लगी  बयार  ....
झरने लगे हैं पुष्प हरसिंगार ...........
आ गए फिर दिन गुलाबी ....
प्रकृति करे  फूलों से  श्रृंगार ………….!!

नवलय भरे किसलय पुटों में........
सुरभिमय रागिनी के ....
प्रभामय नव छंद लिए कोंपलों में.............
अभिज्ञ  मधुरता हुई दिक् -शोभित….
सिउली के पुष्पों से पटे हुए वृक्ष .............!!

सुरभि से कृतकृत्य हुई  धरा..............
पारिजात  संपूर्णता  पाते जिस  तरह ......
जब खिलकर झिर झिर झिरते हैं ...
धरा का ..प्रसाद स्वरूप आँचल भर देते हैं ..
और अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं ....
पुनः धरा को ही ....इस तरह ....!!!

....................................................................................................


11 September, 2013

मयुर पंखी मन कर जाता .....!!




सँजो रही हूँ ....
जीवन का एक एक पल
और ...बूंद  बूंद सहेज  ....
भर रही हूँ मन गागर ...
टिपिर टिपिर मन पर पड़ती ....
तिमिर हटाती बूंद बूंद ........
जैसे झर रही है  वर्षा ...
उड़ेलने को है व्याकुल.......
अपना समग्र प्रेम सृष्टि पर ...
कुछ चुन रही हूँ   शब्द  .....
गुन  रही हूँ भाव ...
कुछ भर रही हूँ  रंग ....
कुछ बुन रही हूँ   ख़ाब ....

कभी घिर जाती हूँ ..
 मदमाती सावन  की श्यामल घटाओं से ....

कभी भीग जाती हूँ ......
तर बतर अतर .....
वर्षा  की बौछारों से .....

झूमती डार डार ....
कभी मंद मंद मलयानल ....
जैसे लहरा देता है .....
सृष्टि का आँचल .....

मन  में हर दृश्य नया रंग भर जाता ...
  सावन ....मनभावन ...सा
मयुर पंखी मन कर जाता .....

26 May, 2013

तुम्हारा गुलमोहर ....

देखो तो कैसा दहक रहा है ...
  गुलमोहर ....सुर्ख लाल ....!!

बिलकुल  तपते  हुए उस सूर्य  की तरह ...

मेरे प्यार से ही  ...
लिया  है उसने ये रंग ...!!

और ....

उससे ही  लिया है मैंने ...
जीवन जीने का ये  ढंग ...!!

सूर्य की तपिश हो ...
या हो ...
जीवन की असह्य पीड़ा ...
क्या रत्ती मात्र भी कम कर पाई है ...
मेरे प्रेम को ........????

प्रभु तुम साथ हो तो
इस ज्वाला में भी जल जल कर ...
स्वर्णिम सी  होती गई मैं ....!!

दहक रहा है  भीतर मेरे ...
हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....