प्रकृति गाये मधुवंती ....
और बहार राग ...
हरसूँ ऐसा छिटका ....
फाग के अनुराग का पराग ...
हृदय छंद हुए स्वच्छंद ....
मंद मंद महुआ की गंध ......
तोड़ती मन तटबंध ....
निशा रागवन्ती दिवस परागवंत ....
अलमस्त मधुमास देख .....
...वनिता लाजवंत ........
पलाश मन रंग रंगा ...
पुष्प पंखुड़ियों से रंगोली सजाई ...
फागुन की ऋतु घर आई .....!!
और बहार राग ...
हरसूँ ऐसा छिटका ....
फाग के अनुराग का पराग ...
हृदय छंद हुए स्वच्छंद ....
मंद मंद महुआ की गंध ......
तोड़ती मन तटबंध ....
निशा रागवन्ती दिवस परागवंत ....
अलमस्त मधुमास देख .....
...वनिता लाजवंत ........
पलाश मन रंग रंगा ...
पुष्प पंखुड़ियों से रंगोली सजाई ...
फागुन की ऋतु घर आई .....!!
स्वागत ऋतुराज का ..
ReplyDeletebahut sundar phagun ki bahar hai.............
ReplyDeleteसुन्दर और रंगभरा स्वागत..
ReplyDeleteपलाश मन रंग रंगा ...
ReplyDeleteपुष्प पंखुड़ियों से रांगोली सजाई
वाह ... अनुपम भाव
फागुन ऋतू का रंग भरा स्वागत करती रचना,,,
ReplyDeleteRecent post: रंग गुलाल है यारो,
रंग बिखर गए फिजाओं में :)
ReplyDeleteहृदय छंद हुए स्वछंद ....
ReplyDeleteमंद मंद महुआ की गंध ......
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फाग के अनुराग का सुन्दर चित्रण
alankaro se mukt hoti ja rahi kavita ka punah sunder shringar
ReplyDeleteमंद मंद महुआ की गंध ......
ReplyDeleteतोड़ती मन तटबंध ....
निशा रागवन्ती दिवस परागवंत ....
अलमस्त मधुमास देख .....bahut mnmohak varnan ....
वाह...फागुन की ऋतु घर आई...स्वागत है...मधुर शब्दों के संग|
ReplyDeleteबिखरी पराग गंध ,
ReplyDeleteपुलकित है मन ...........
अनुपम स्वागत......मधुमास का
साभार..........
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना। सुन्दर शब्दों से इस ऋतु का सौंदर्य और भी बढ़ गया है ..
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
हृदय छंद हुए स्वछंद ....
ReplyDeleteमंद मंद महुआ की गंध ......
तोड़ती मन तटबंध ....
निशा रागवन्ती दिवस परागवंत ....
अलमस्त मधुमास देख .....
...वनिता लाजवंत ........
पलाश मन रंग रंगा ...
पुष्प पंखुड़ियों से रांगोली सजाई ...
ऋतुराज के स्वागत में खोल दिए सब बंध
अनुपम स्वागत....... खूबसूरत रचना......!!
ReplyDelete(स्वच्छंद ,रंगोली )
ReplyDeleteबढ़िया कसावदार वर्रण प्रधान प्रस्तुति झरने सी कल कल बहती धार सी .
बहुत आभार |सुधार कर दिया है |आशीर्वाद बनाये रखें .
Deleteसादर .
अनुपमा .
स्वागत ऋतुराज का,बहुत ही सुन्दर चित्रण.
ReplyDeleteपलाश मन रंग रंगा ...
ReplyDeleteपुष्प पंखुड़ियों से रांगोली सजाई ...
मंद-मंद खुशबू के झोंके सी सुन्दर मनमोहक रचना .....
ReplyDeleteवाह .... विभिन्न ऋतुओं की छटाओं की .....उल्ल्हास भरे अहसासों की यह होली ...बहुत ही भाई....
फागुन है मनभावन ....
ReplyDeleteसुन्दर ..
बहुत सुंदर गीत, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
वाह मधुमय मन हो गया कविता पढ़! सुन्दर काव्य रचना.
ReplyDelete....और घर के कोने-कोने को बहकाई..अति सुन्दर..
ReplyDeleteरागों के बारे में तो आपको ही अधिक जानकारी होगी अनुपमा जी ...:))
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना .....!!
अनुपमा जी, फागुनी गुनगुनाहट लिए बहुत सुंदर कृति..
ReplyDeleteअनुपमा जी यह विनम्रता और सुधार की ललक हरेक में है नहीं .हम से लोग चिढ़ जाते हैं .जबकि हमारा मकसद किसी को आहत करना कभी नहीं होता ,अपना एक परिवार है हम सब उसके सह -ब्लोगर हैं सब बराबर हैं एक दूसरे से सीखते हैं .
ReplyDeleteफगुनाहट छाना शुरू हो गई ब्लॉग पर भी ...वाह ।
ReplyDeletesunder
ReplyDeleteतुम्हारे शब्द शब्द सुर साधते से लगते हैं
ReplyDeleteआभार आप सभी का ...हृदय से .....!!
ReplyDeleteअहा! कितने खूबसूरत शब्द-भाव...
ReplyDelete''तोड़ती मन तटबंध ....''
मन प्रफुल्लित हुआ, बधाई.
फागुन का शब्द चित्र सी कविता !
ReplyDeletefaalgun ki aa gayee bahar.. shabdo me khil gaya guljaar :)
ReplyDeletebehtareen..
वसंतोत्सव की ख़ुशी दुगुनी हो गई आपकी कृति पढ़ कर :))
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
रंग बिखेरती बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeletePalash ke khilne se holi ke aane ka abhash hota hai. Good poem
ReplyDeleteखूबसूरत शब्द रचना
ReplyDeleteफाल्गुन हो और रागों का साथ तो क्या बात है .... बहुत सुंदर
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