निष्प्राण .....निस्तेज ....
यूँ ज़मीन पर क्यों पड़ी हो ....???
तुम पत्थर क्यों हुईं ....?
बोलो न माँ ...
पत्थर बनी ...ईश्वर स्वरूप ......
अब तुम ही संबल हो मेरा ....
स्थापित मंदिर में मूरत तुम्हारी ....
अनमिट थकान से भरी ...
अब भी तुम ही से करती हूँ संवाद ...
और पा जाती हूँ ...
जीवन की हर अनबूझ पहेली का हल ....
जननी मेरी ....तुम ही तो करती हो...
पल पल रक्षा ....मेरे अस्तित्व की ....मेरे मातृत्व की भी .....
तुम आज भी जीवित हो वैसी ही ...
हृदय में मेरे ....!!
याद आता है ....5 मार्च 2000 .......आज 5 मार्च 2013 ...... माँ की तेरहवीं पुण्यतिथी पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ......!
हम भी श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं ....
ReplyDeleteमाँ के लिये विनम्र श्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteसादर
चिंता निर्वारणी ...माँ !
ReplyDeleteनमन !
माँ की ही प्रतिछाया हैं हम तो वो हम में ही हैं न.. मेरा भी नमन माँ को.
ReplyDeleteहमेशा माँ की यादें जीवित रहती हैं ....मान को विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteसशरीर साथ नहीं ....मगर माँ अकेली छोड़ सकती ही नहीं. माँ को विनम्र नमन.
ReplyDeleteहरी दूर्वा सी ,छाया बरगद सी ,
ReplyDeleteकभी रामायण ,कभी गीता सी
सदा पावन माँ
माँ कहीं जाती नहीं हैं
वो तो हमेशा के लिए
अपनी बेटियों में समाहित
हो जाती हैं.....आ.आंटी को मेरे श्रध्हा-सुमन.....
गहन और सुन्दर।
ReplyDeleteगहन और सुन्दर।
ReplyDeleteसादर श्रद्धांजलि
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteकृतज्ञता सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है... भावपूर्ण कविता
ReplyDeleteनमन...
ReplyDeleteमां की यादें कभी नही जाती, विनम्र श्रंद्धाजलि.
ReplyDeleteरामराम.
स्मृतियाँ सदा ही बनी रहेंगी, विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteमाँ और उसकी ममता दोनों अमर है
ReplyDeleteविनम्र नमन !
विनम्र श्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteहृदय से आभार प्रदीप जी ....!!
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteअनु....माता पिता की कमी जीवन भर अखरती तो है...पर फिर भी यह अहसास हमेशा जीवित रहता है ..की वे हमारे आसपास ही हैं...हमारी रक्षा कर रहे हैं...दुःख में हमें सांत्वना दे रहे हैं...हमारे सुख से खुश हो रहे हैं...बस यही काफी है
ReplyDeleteमाँ को सादर नमन !
ReplyDeleteमाँ को नमन ,सच में माँ की जगह कोई नहीं ले सकता|
ReplyDeletesunder rachna.
ReplyDeleteshubhkamnayen
माँ हमेशा बच्चों में ही जीवित है और रहेगी
ReplyDeletelatest post होली
माँ को मेरी ओर से भी श्रधांजली और नमन.
ReplyDeleteअनुपमा जी, माँ कभी पत्थर जैसी नहीं होती, पूज्या माँ कि स्मृति को नमन..सुंदर भावांजलि !
ReplyDeleteअनीता जी आपकी बात समझ कर मैंने सी हटा दिया है ।किन्तु मृत्यु के सोला घंटे
Deleteबाद उनको स्पर्श किया तो यही भाव उमड़े थे ।लगा माँ को नहीं किसी पत्थर को छूआ है !अब वही पत्थर ईश्वर स्वरुप मन में बसता है !!
बहुत आभार आपका अपने विचार देती रहिएगा ...!!
माँ ........ रूह होती है
ReplyDeleteवह कहाँ जाती है
पुण्यतिथि में पास आकर छू जाती है
सबको आशीष दे जाती है
माँ ........ रूह होती है
ReplyDeleteवह कहाँ जाती है
पुण्यतिथि में पास आकर छू जाती है
सबको आशीष दे जाती है
smriti shesh rah jati hai...
ReplyDeleteउस माँ को नमन
ReplyDeleteमाँ ही शक्ति माँ ही प्रेरणा. माँ को शत-शत नमन और श्रधांजलि!
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