मीठे सुमधुर थे वो क्षण -
अब पल पल द्रवित होता है मन ....!
भूली बिसरी सी याद -
फिर कर गयी भ्रमण -
और भर आये नयन .......!
मनवा जब जब पीर पड़े-
तू काहे ना धीर धरे .....!
झर -झर असुअन नीर झरे-
इन असुअन का मोल ही क्या -
जब दुःख पड़ता तब-
आँखों से गिर जाते हैं-
नयनी तोरे नयना नीर भरे -
सयानी समझ -बूझ पग धरना -
मोती से इन असुंअन का -
मोल अनमोल समझना
अमिय की इस बूँद को -
नैनन में भर लेना ....!!
ह्रदय पीर बन जाये -
निर्झर नीर ...!!
नैनन से मन की गागर -
गागर जब बन जाये सागर ---
आंसू तब बन जाएँ मोती --
मोती फिर बन जाये माला -
और कविता रस का प्याला......!!
आँसू बन जाएँ मोती
ReplyDeleteमोती बन जाए माला
माला ......
प्रशंसनीय ।
मार्मिक कविता.
ReplyDeleteclassic creation...keep going :)
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण मन को छूती रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
यहाँ बारिश बिल्कुल नहीं हो रही . पर तुम्हारी कविता पूरा भिगों गयी .
ReplyDeleteनैनन से मन की गागर
ReplyDeleteगागर बन जाये सागर ---
आंसू बन जाएँ मोती --
मोती बन जाये माला -
कविता फिर रस का प्याला
बहुत सुन्दर एवम भावपूर्ण रचना ! चित्र भी बहुत आकर्षित करता है ! बधाई एवम शुभकामनाएं !
http://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com
सुन्दर और संवेदनशील रचना ..
ReplyDeleteमीठे सुमधुर थे वो क्षण -
ReplyDeleteअब पल पल द्रवित होता है मन ....!
भूली बिसरी सी याद -
फिर कर गयी भ्रमण -
भाव भीनी प्रस्तुति के लिए आभार।
very nice poem..............
ReplyDeleteupedra (www.srijanshikhar.blogspot.com )
नैनन से मन की गागर -
ReplyDeleteगागर बन जाये सागर ---
आंसू बन जाएँ मोती --
मोती बन जाये माला -
कविता फिर रस का प्याला
बहुत मार्मिक मन को छूती रचना |
अति सुन्दर। किसी कवि की पंक्तियाँ याद हो आई- मुझको तो हीरा मोती हैं
ReplyDeleteतुमको केवल खारा पानी। है सही बात किस काम तुम्हारे आएँगें मेरे आँसू।
aasuo ke moti aur motio ke mala man ko choo gayi. kabilay tareef.
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। लाजबाव हैँ आपकी रचना। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जब तन्हा होँ किसी सफर मेँ............. गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
ReplyDeleteOur emotions are priceless :-). classic creation..what a thought!!
ReplyDeleteexcellent !
ReplyDeleteमेरा ये प्रयास पसंद करने के लिए -
ReplyDeleteकविता पसंद आने के लिए -
सभी गुनीजनो का आभार-
ह्रदय से -
संवेदनशील रचना ..
ReplyDeleteआंसू बन जाएँ मोती --
ReplyDeleteमोती बन जाये माला -
कविता फिर रस का प्याला
.......
क्या बात कही...वाह !!!
भावपूर्ण सुन्दर रचना....
bahut accha...
ReplyDeletegood
ReplyDeletemarmsparshi shabd rachna!
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteनैनन से मन की गागर -
ReplyDeleteगागर जब बन जाये सागर ---
आंसू तब बन जाएँ मोती --
मोती फिर बन जाये माला -
और कविता रस का प्याला......!!
बेहद खूबसूरत।
सादर
वाह ..बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल 21/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
aapki ye kavita dil ko chhoo gayi....umda prastuti
ReplyDeleteभावपूर्ण/संवेदनशील सुन्दर रचना....
ReplyDeleteसादर ...
बहुत मधुर भावपूर्ण गीत !
ReplyDeleteजन्नत में जल प्रलय !
आपका हृदय से आभार शास्त्री जी ये कविता चर्चा मंच मे लेने हेतु ...!!
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