नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

16 July, 2011

चंचल चित ..ये मन मोरा .....!!


चंचल चित ..ये मन मोरा  .....
क्यूँ जागे सारी रतियाँ ...
न माने मोरी बतियाँ ..
मोर सा ..पियु  पियु  बोले  ..इत -उत डोले ...
कभी तोड़े मुझको  मुझसे ...कभी जोड़े मुझको पियु  से ...

कभी हँसे -बरखा की बूँद ..संग
खिलखिला -खिला खिला 
भीग भीग कर ...
मोर सा नाचे ..झटकार ....पंख पसार ....
पंखों से झरते ...
 टप-टप गिरते ..
मुतियन , बुन्दियन   के हार .. 
कभी रोये दुनिया देख ..
देख दुनिया के रंग हज़ार ...


आज पवन के संग ..
वो चला ,उड़  चला ..
मन..बन  उमंग ...
सबरंग ..हररंग बसे मोरे मन मा भीतर ...!!
 अरे - अरे....उड़े -उड़े मन.. बन- बन  कबूतर ...!!
बौराया-बौराया ..
आहा सखी मन कबूतर मेरा ..
मोरे मितवा ..का संदेसवा ले आया


..आया .. ..सावन आया ..
हर्ष-उन्माद लाया ...
हरा हरा ..चहुँ ओर छाया ...
तीज-त्यौहार लाया ..!!


धानी चुनरिया ओढ़े ..
संग झूले की पींग ..मन ले हिचकोले ...!
पटली जडाऊ नगदार ..
हरी-हरी चूड़ीयन  संग
मेहँदी रचे हाथ ..मन पिया संग डोले ...!


नैनं में कजरा ..
होंठों पे कजरी ..
पलकों में सपने ...
मन मीत मन भाया ..
प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
चहुँ दिस उल्लास छाया ...
छाया...लो फिर बैरी सावन आया .........!


राधा मन कैसा हुलसाया ..
कृष्ण  संग रास रचाया ..
सखीरी  ..मोह भरमाया ...
ऐसा सावन आया ..!!

34 comments:

  1. सावन की बात निराली ||
    अंदाज मस्त |
    बधाई |

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  2. नैनं में कजरा ..
    होंठों पे कजरी ..
    पलकों में सपने ...
    मन मीत मन भाया ..
    प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
    चहुँ दिस उल्लास छाया .
    Bahut sundar prastuti, badhai

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  3. मन मीत मन भाया ..
    प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
    चहुँ दिस उल्लास छाया ...
    छाया...लो फिर बैरी सावन आया .........!

    प्रभु नेह की ऐसी बरसात करने वाले आपके चंचल अनुपम मन को मेरा सादर नमन.

    प्रेम,भक्ति की अदभुत छटा बिखरती हुई आपकी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार प्रकट करने के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास.

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  4. क्या कहूं इतने सुंदर गीत के बारे में ..!

    पंखों से झरते ...
    टप-टप गिरते ..
    मुतियन , बुन्दियन के हार .

    जो शब्द चित्र आपने खींचा है उसका आनंद ले रहे हैं।
    अगर इसके स्वर भी लगा देतीं (मतलब गा कर) तो इसका प्रभाव चार गुना बढ़ जाता।

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  5. rachanaa ke madhyam se aapne sawan ka sajeev chitran prastut kiyaa hai.wakai sawan aa gayaa.bahut sunder abhibyakti.badhaai aapko.

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  6. सावन में मोर,
    बारिश का है जोर,
    आपकी रचना
    बहुत है बेजोड़!

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  7. बहुत सुन्दर सावनी भावाभिव्यक्ति....

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  8. सुन्दर कविता
    सावन का अच्छा स्वागत है
    आभार

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  9. सुन्दर कविता के साथ सावन का स्वागत..बढ़िया...

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  10. नैन में कजरा ..
    होंठों पे कजरी ..
    पलकों में सपने ...
    मन मीत मन भाया ..
    प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
    चहुँ दिस उल्लास छाया ...
    छाया...लो फिर बैरी सावन आया .........!

    सावन का इससे अच्छा स्वागत मेरे ख्याल से नहीं हो सकता। बहुत सुंदर
    बधाई

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  11. आपका गीत पढ़कर तो कबीर की बात याद आ रही है " मन मस्त हुआ अब क्या बोले"

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  12. क्या बात है,
    सामयिक रचना
    बधाई

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  13. मन का मोर,
    करे क्यों शोर,
    स् स् स् स्,
    सावन आया।

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  14. सावन का आरंभ और आपकी कविता.... सुन्दर...

    "सावन के बादर कजरारे, पी को मगन मयूर पुकारे |
    चहुँ ओर हरियाली बिखरी, धरा प्रफुल्लित सांझ सकारे ||"

    सादर....

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  15. सावन के आगमन पर हार्दिक बधाई..और इतनी सुन्दर रचना के लिए क्या कहें - बहुत खूब ... सावन की शरुआत आपने करवा ही डाली...उम्दा

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  16. सावन का माह निराला होता है सुन्दर प्रसतुति आभार मेरे ब्लाँग मे भी पधारे

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  17. सावन की मदमस्त और अल्हड़ रचना

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  18. सावन में झम झम करती सी कविता.

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  19. मन मयूर झूम रहा है पढ़कर . मनोज जी से सहमत . सुनने की इच्छा बलवती हो रही है .

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  20. क्या मौसम है ....
    हार्दिक शुभकामनायें ..

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  21. सबने सावन का स्वागत किया , आपका अनूठा तरीका है .

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  22. सावन की बात निराली ||
    अंदाज मस्त |
    बधाई |

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  23. बहुत सुन्दर सावनी रचना

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  24. वाह ... बहुत खूब कहा है आपने इस अभिव्‍यक्ति में ।

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  25. पंख फैलाये ख़ूबसूरत मोर की तस्वीर के साथ शानदार एवं भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बेहद पसंद आया!

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  26. बहुत सुन्दर सावनी भावाभिव्यक्ति....

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  27. सावन पर लिखी रचना आपसभी ने सराही ...आभार ..
    मनोज जी ..आशीष जी ..धन्यवाद इस सुझाव के लिए ..कोशिश ज़रूर करूंगी ...!!

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  28. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...

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  29. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  30. .अद्भुत रचना है ये आपकी...सावन जैसे साकार हो गया हो...बधाई

    नीरज

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  31. सावन में धूम मचाती, सुन्दर कविता

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  32. मनभावन बोलों को पढ़ कर
    मन-आँगन सब भीग गया है
    बस हर पल आवाज़ यही है
    आया सावन आया सावन

    बहुत ही मधुर और अनुपम गीत लिखा है
    बधाई स्वीकारें .

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!