जीवन जाग रहा सदियों से -
मेरे सपनो में नींद भरी है -
जीवन भाग रहा है सरपट -
मेरी चाल अभी धीमी है -
बिंदु सी आकृती है मेरी -
विराट भुवन सा कलाकृत जीवन -
चलते चलते रुक जाता मन -
रुक रुक कर चलता है ऐसे -
सघन सोच में डूबी व्याकुल -
नित ही पूछूं अपने मन से -
क्या नाता जोडूं जीवन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से ....?
स्निग्ध श्वेत झीनी चुनरिया -
जीवन के रंग रंगे बसंती -
स्वरित शांत रहने का मन है -
जीवन की बातें चटकीली-
स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
कटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग-संग कैसे....?
सघन सोच में डूबी व्याकुल -
नित ही पूछूँ अपने मन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से ....!!!!-
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मेरे सपनो में नींद भरी है -
जीवन भाग रहा है सरपट -
मेरी चाल अभी धीमी है -
बिंदु सी आकृती है मेरी -
विराट भुवन सा कलाकृत जीवन -
चलते चलते रुक जाता मन -
रुक रुक कर चलता है ऐसे -
सघन सोच में डूबी व्याकुल -
नित ही पूछूं अपने मन से -
क्या नाता जोडूं जीवन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से ....?
स्निग्ध श्वेत झीनी चुनरिया -
जीवन के रंग रंगे बसंती -
स्वरित शांत रहने का मन है -
जीवन की बातें चटकीली-
स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
कटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग-संग कैसे....?
सघन सोच में डूबी व्याकुल -
नित ही पूछूँ अपने मन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से ....!!!!-
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स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
ReplyDeleteकटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग कैसे -
कविता का प्रत्येक शब्द जीवन से जुड़ा है ...पूरी कविता जीवन दर्शन का बोध करवाती है और हमें वास्तविकता से जोडती है ...आपका आभार अनुप्रिया जी
जीवन के रंग ऊबड़ खाबड़ हैं पर पकड़ के बैठे रहिये।
ReplyDeleteजीवन से संवाद स्थापित करने का प्रयास करती कविता !
ReplyDeleteजीवन की विडम्बनाओं से उपजा काव्य सत्य -कथ्य -बहुत अच्छी लगी यह काव्याभिव्यक्ति !
ReplyDeletejeevan ke sare rang se parichay karati ek pyari rachna...:)
ReplyDeleteabhar!!
स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
ReplyDeleteकटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग-संग कैसे....?
ek khaas gahre khyaalon ka sundar varnan
कर्त्तव्य और महत्वाकंषाओं के बीच झूलता मन -
ReplyDeleteजीवन से नाता कैसे जोड़ा जाये -
क्या किया जाये क्या छोड़ा जाये ....!!
मेरी रचना पढ़ने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
कविता का भाव और लयात्मकता प्रशंसा के काबिल है.
ReplyDeletevery good.
जीवन जाग रहा सदियों से -
ReplyDeleteमेरे सपनो में नींद भरी है -
जीवन भाग रहा है सरपट -
मेरी रफ़्तार अभी धीमी है -
बहुत मर्मस्पर्शी भाव..गहन जीवन दर्शन का बोध कराती, बहुत सुन्दर प्रवाहमयी प्रस्तुति..
गहन जीवन दर्शन से ओत प्रोत सरल अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया .
शुभ कामनाएं
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
अनुपमा जी बहुत सुन्दर कविता है ! मन की उहापोह के साथ जीवन से जुड़ने की यह ललक मन को बहुत भाई ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteसघन सोच में डूबी व्याकुल -
ReplyDeleteनित ही पूछूँ अपने मन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से ....!!!!-
जीवन के विविधरंगों से सजी-सँवरी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जीवन से तो नाता हरदम ही जुड़ा रहता है दोस्त इधर तोड़ो तो दूसरी तरफ जुड़ जाता है इससे भागना बहुत कठिन है इसलिए ख़ुशी - ख़ुशी गुजार दो इसे ! तो जिंदगी आसन जरुर होती जाएगी !
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना !
सघन सोच में डूबी व्याकुल -
ReplyDeleteनित ही पूछूँ अपने मन से-
क्या नाता जोडूं जीवन से-.....
जीवन दर्शन से परिपूर्ण है आपकी कविता किन्तु पलायन की सोच से बच कर रहिए. कविता की शैली बहुत सुंदर है। बधाई।
बहुत ही बढ़िया.
ReplyDeleteसादर
नाता तो जुड़ा ही होता है ...और इसे जीना ही जीवन है ..सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteस्वप्निल सी अनुभूति मेरी
ReplyDeleteकटु सत्य जीवन हो जैसे
मैं सपना तो सच है जीवन
चलूँ भी तो संग-संग कैसे।
यही तो जीवन के रंग हैं, कभी सपना ,कभी हकीकत।
बहुत सुंदर काव्य अभ्व्यिक्ति।
स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
ReplyDeleteकटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग-संग कैसे...
अपने आप से कुछ यथार्थ भरे प्रश्न करती रचना ... धाराप्रवाह लय में बहती हुई अभिव्यक्ति ...
स्वप्निल सी अनुभूति मेरी -
ReplyDeleteकटु सत्य जीवन हो जैसे -
मैं सपना तो सच है जीवन -
चलूँ भी तो संग कैसे -
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई की पात्र है
जीवन जाग रहा सदियों से -
ReplyDeleteमेरे सपनो में नींद भरी है -
जीवन भाग रहा है सरपट -
मेरी रफ़्तार अभी धीमी है -
जीवन के दर्शन पर आधारित सुंदर कविता जिसमे भाव और ताल का सुंदर तालमेल है. बधाई.
jeewan ki vividhtao me hi to jiwan hai jise aapne khoobsurti se likha hai. badhayi.
ReplyDeleteस्निग्ध श्वेत झीनी चुनरिया -
ReplyDeleteजीवन के रंग रंगे बसंती -
स्वरित शांत रहने का मन है -
जीवन की बातें चटकीली-.......
बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
क्या नाता जोडूं जीवन से-
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ............बसंत पंचमी की शुभकामनाये
बेहद सारगर्भित और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.
मेरी कविता पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .जीवन की विविधताओं के बीच ही हम एक एक पल जीते चले जाते हैं.
ReplyDeleteइसी तरह ये खूबसूरत सफ़र चलता रहता है .
जीवन जाग रहा सदियों से -
ReplyDeleteमेरे सपनो में नींद भरी है -
जीवन भाग रहा है सरपट -
मेरी रफ़्तार अभी धीमी है -
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आखिरी लाइन को अगर
"मेरी चाल अभी धीमी है"
कर देंगी
तो प्रवाह अच्छा हो जाएगा!