नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

10 February, 2011

31-क्षणभंगुर जीवन अनमोल

हरी  नाम की जप ले माला -
कटुक वचन मत बोल -
बीत रहा है पल-पल तेरा -
क्षणभंगुर जीवन अनमोल ...!!

दिवस गवांया खाए  के -
फिर रैना गंवाई सोए -
देख करम की पातळ रेखा -
अब मनवा क्यों रोए ..?


पढ़ा -लिखा है गुनी है ज्ञानी -
खुद बांचे अपनी ही लिखी कहानी -
पाप गठरिया बाँध सहेजे -
दीनन के दुःख हरे नहीं -
कटुक वचन से घायल करता -
घाव अभी तक भरे नहीं ...!!


पानी के बुलबुले सरीखा -
पलक झपकते फूट जाएगा -
बस पछतावा करते रहना -
होना है जो हो जायेगा ......!!!
पल दो पल का साथ ख़ुशी दे -
अंत समय सब छूट जाएगा ...!!!!


रे $$$$$$म$$$से गीत गा -
रिशब  मध्यम का साथ निभा -
सा $$$$प् $$$ को मीत बना -
षडज पंचम का साथ निभा-
पी ले निजघट  जीवन अमृत -
सुर में रम  या राम में रम -
जीवन नश्वर रहे समर्पित -


हरी नाम का पी ले प्याला -
रम जा राही मतवाला -
पंछी सा मत डोल -
ऐसे ही न बीते तेरा -
क्षणभंगुर  जीवन अनमोल ......!!!!!!!!!!!!

33 comments:

  1. बहुत सुंदर। पढकर आध्यात्मिक अनुभूति-सा सुख मिलता है।

    ReplyDelete
  2. रे $$$$$$म$$$से गीत गा -
    रिशब मध्यम का साथ निभा -
    षडज पंचम का साथ निभा-
    पी ले निजघट जीवन अमृत -
    सुर में राम या राम में राम -
    जीवन नश्वर रहे समर्पित
    अति सुन्दर.सलाम.

    ReplyDelete
  3. बहुत ही आध्यात्मिक बात बताती सुंदर अभिव्यक्ति.......

    ReplyDelete
  4. रिशब (रे ) मध्यम (म) षडज (सा ) पंचम (प् )-ये सभी शास्त्रीय संगीत में स्वरों के नाम हैं -

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भजन| आध्यात्मिक अनुभूति-सा सुख मिलता है।

    ReplyDelete
  6. आज इसी तरह की शिक्षप्रद रचनाओं की जरूरत है!
    सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  7. @ आदरणीय अनुपमा जी..
    नमस्कार !
    बहुत ही आध्यात्मिक बात सुंदर अभिव्यक्ति.......

    ReplyDelete
  8. बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)
    धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

    ReplyDelete
  9. मधुर वचन ही बोल मनवा,
    भेद जिया के खोल।

    ReplyDelete
  10. आध्यात्मिकता से ओत प्रोत और सार्थक सन्देश देती रचना.

    सादर

    ReplyDelete
  11. कबीर के भजन सा .......... बहुत कुछ ......

    ReplyDelete
  12. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

    ReplyDelete
  13. री नाम की जप ले माला -
    कटुक वचन मत बोल -
    बीत रहा है पल-पल तेरा -
    क्षणभंगुर जीवन अनमोल ...!!
    ...बहुत सुंदर आध्यात्मिक अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  14. आदरणीय अनुपमा जी
    आध्यात्मिक आनंद से सरावोर कर देने वाली रचना ...आपका प्रस्तुतीकरण बहुत सुंदर है ...आपका आभार

    ReplyDelete
  15. पढ़ा -लिखा है गुनी है ज्ञानी -
    खुद बांचे अपनी ही लिखी कहानी -
    पाप गठरिया बाँध सहेजे -
    दीनन के दुःख हरे नहीं -
    कटुक वचन से घायल करता -
    घाव अभी तक भरे नहीं ...!!

    भाषा में बहुत मिठास है और भक्ति में लीन गायक जिस तरह से अपने इष्ट को रिझाने के लिए प्रयास करता है ..इस रचना में भी ऐसा ही आभास होता है ...आपका आभार अनुपमा जी ...

    ReplyDelete
  16. आध्यात्मिक रंग में सारगर्भित गीत बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  17. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण ..... बधाई।

    ReplyDelete
  18. पानी के बुलबुले सरीखा -
    पलक झपकते फूट जाएगा -
    बस पछतावा करते रहना -
    होना है जो हो जायेगा ......!!!
    पल दो पल का साथ ख़ुशी दे -
    अंत समय सब छूट जाएगा ...!!!!

    सुंदर सूफ़ियाना गीत...बहुत बहुत बधाई।

    ReplyDelete
  19. सुन्दर अभिव्यक्ति |बधाई |

    ReplyDelete
  20. अध्यात्मिक सुख से लबरेज़ और उसका अनुभव कराती सुन्दर कविता.

    ReplyDelete
  21. सच में जीवन अनमोल है।


    प्रकृति भी हमाअरे लिये अनमोल है। यह हमारे जीवन का आधार है।


    एक निवेदन-
    मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

    ReplyDelete
  22. अंतर्मन को आलोकित करती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  23. हरी नाम का पी ले प्याला -
    रम जा राही मतवाला -
    पंछी सा मत डोल -
    ऐसे ही न बीते तेरा -
    क्षणभंगुर जीवन अनमोल ......!!!!!!!!!!!!
    भाव पूर्ण कृति

    ReplyDelete
  24. पानी के बुलबुले सरीखा
    पलक झपकते फूट जाएगा
    बस पछतावा करते रहना
    होना है जो हो जायेगा
    पल दो पल का साथ ख़ुशी दे
    अंत समय सब छूट जाएगा ।

    ज़िदगी पल दो पल का ही तो है।

    जीवन गुर सिखलाती सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  25. आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद -आपने मेरी रचना पढ़ी और इतनी पसंद की .मैं आप सभी की आभारी हूँ विशेष आभार सत्यम शिवम् जी का जिन्होंने चर्चा -मंच पर इसको लिया .

    ReplyDelete
  26. bahut sundar likha hai aapne... adhyatm darshan se aur seekh deti rachnaa... aabhaar

    ReplyDelete
  27. aha anupama ji , yahan to ek alag aanand mila hai ...

    ReplyDelete
  28. आपने अपने गीत में आध्यात्मिक तथ्यों को सरगम के बिम्ब से बहुत सुन्दर ढंग से व्यंजित किया है।

    ReplyDelete
  29. सूरदास कालिदास की परंपरा को आगे ले जाने वाली रचना ..बहुत सुन्दर ..बधाई

    ReplyDelete
  30. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 जनवरी 2018 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!


    ReplyDelete
    Replies
    1. बड़े दिनों बाद ,मेरी इतनी पुरानी कृति को आपने इस मंच पर स्थान दिया ,सादर धन्यवाद !!

      Delete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!