कटुक वचन मत बोल -
बीत रहा है पल-पल तेरा -
क्षणभंगुर जीवन अनमोल ...!!
दिवस गवांया खाए के -
फिर रैना गंवाई सोए -
देख करम की पातळ रेखा -
अब मनवा क्यों रोए ..?
पढ़ा -लिखा है गुनी है ज्ञानी -
खुद बांचे अपनी ही लिखी कहानी -
पाप गठरिया बाँध सहेजे -
दीनन के दुःख हरे नहीं -
कटुक वचन से घायल करता -
घाव अभी तक भरे नहीं ...!!
पानी के बुलबुले सरीखा -
पलक झपकते फूट जाएगा -
बस पछतावा करते रहना -
होना है जो हो जायेगा ......!!!
पल दो पल का साथ ख़ुशी दे -
अंत समय सब छूट जाएगा ...!!!!
रे $$$$$$म$$$से गीत गा -
रिशब मध्यम का साथ निभा -
सा $$$$प् $$$ को मीत बना -
षडज पंचम का साथ निभा-
पी ले निजघट जीवन अमृत -
सुर में रम या राम में रम -
जीवन नश्वर रहे समर्पित -
हरी नाम का पी ले प्याला -
रम जा राही मतवाला -
पंछी सा मत डोल -
ऐसे ही न बीते तेरा -
क्षणभंगुर जीवन अनमोल ......!!!!!!!!!!!!
फिर रैना गंवाई सोए -
देख करम की पातळ रेखा -
अब मनवा क्यों रोए ..?
पढ़ा -लिखा है गुनी है ज्ञानी -
खुद बांचे अपनी ही लिखी कहानी -
पाप गठरिया बाँध सहेजे -
दीनन के दुःख हरे नहीं -
कटुक वचन से घायल करता -
घाव अभी तक भरे नहीं ...!!
पानी के बुलबुले सरीखा -
पलक झपकते फूट जाएगा -
बस पछतावा करते रहना -
होना है जो हो जायेगा ......!!!
पल दो पल का साथ ख़ुशी दे -
अंत समय सब छूट जाएगा ...!!!!
रे $$$$$$म$$$से गीत गा -
रिशब मध्यम का साथ निभा -
सा $$$$प् $$$ को मीत बना -
षडज पंचम का साथ निभा-
पी ले निजघट जीवन अमृत -
सुर में रम या राम में रम -
जीवन नश्वर रहे समर्पित -
हरी नाम का पी ले प्याला -
रम जा राही मतवाला -
पंछी सा मत डोल -
ऐसे ही न बीते तेरा -
बहुत सुंदर। पढकर आध्यात्मिक अनुभूति-सा सुख मिलता है।
ReplyDeleteरे $$$$$$म$$$से गीत गा -
ReplyDeleteरिशब मध्यम का साथ निभा -
षडज पंचम का साथ निभा-
पी ले निजघट जीवन अमृत -
सुर में राम या राम में राम -
जीवन नश्वर रहे समर्पित
अति सुन्दर.सलाम.
बहुत ही आध्यात्मिक बात बताती सुंदर अभिव्यक्ति.......
ReplyDeleteरिशब (रे ) मध्यम (म) षडज (सा ) पंचम (प् )-ये सभी शास्त्रीय संगीत में स्वरों के नाम हैं -
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भजन| आध्यात्मिक अनुभूति-सा सुख मिलता है।
ReplyDeleteआज इसी तरह की शिक्षप्रद रचनाओं की जरूरत है!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
@ आदरणीय अनुपमा जी..
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत ही आध्यात्मिक बात सुंदर अभिव्यक्ति.......
बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)
ReplyDeleteधन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
मधुर वचन ही बोल मनवा,
ReplyDeleteभेद जिया के खोल।
आध्यात्मिकता से ओत प्रोत और सार्थक सन्देश देती रचना.
ReplyDeleteसादर
कबीर के भजन सा .......... बहुत कुछ ......
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
री नाम की जप ले माला -
ReplyDeleteकटुक वचन मत बोल -
बीत रहा है पल-पल तेरा -
क्षणभंगुर जीवन अनमोल ...!!
...बहुत सुंदर आध्यात्मिक अभिव्यक्ति....
आदरणीय अनुपमा जी
ReplyDeleteआध्यात्मिक आनंद से सरावोर कर देने वाली रचना ...आपका प्रस्तुतीकरण बहुत सुंदर है ...आपका आभार
पढ़ा -लिखा है गुनी है ज्ञानी -
ReplyDeleteखुद बांचे अपनी ही लिखी कहानी -
पाप गठरिया बाँध सहेजे -
दीनन के दुःख हरे नहीं -
कटुक वचन से घायल करता -
घाव अभी तक भरे नहीं ...!!
भाषा में बहुत मिठास है और भक्ति में लीन गायक जिस तरह से अपने इष्ट को रिझाने के लिए प्रयास करता है ..इस रचना में भी ऐसा ही आभास होता है ...आपका आभार अनुपमा जी ...
आध्यात्मिक रंग में सारगर्भित गीत बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण ..... बधाई।
ReplyDeleteपानी के बुलबुले सरीखा -
ReplyDeleteपलक झपकते फूट जाएगा -
बस पछतावा करते रहना -
होना है जो हो जायेगा ......!!!
पल दो पल का साथ ख़ुशी दे -
अंत समय सब छूट जाएगा ...!!!!
सुंदर सूफ़ियाना गीत...बहुत बहुत बधाई।
सुन्दर अभिव्यक्ति |बधाई |
ReplyDeleteअध्यात्मिक सुख से लबरेज़ और उसका अनुभव कराती सुन्दर कविता.
ReplyDeleteसच में जीवन अनमोल है।
ReplyDeleteप्रकृति भी हमाअरे लिये अनमोल है। यह हमारे जीवन का आधार है।
एक निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
अंतर्मन को आलोकित करती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
हरी नाम का पी ले प्याला -
ReplyDeleteरम जा राही मतवाला -
पंछी सा मत डोल -
ऐसे ही न बीते तेरा -
क्षणभंगुर जीवन अनमोल ......!!!!!!!!!!!!
भाव पूर्ण कृति
पानी के बुलबुले सरीखा
ReplyDeleteपलक झपकते फूट जाएगा
बस पछतावा करते रहना
होना है जो हो जायेगा
पल दो पल का साथ ख़ुशी दे
अंत समय सब छूट जाएगा ।
ज़िदगी पल दो पल का ही तो है।
जीवन गुर सिखलाती सुंदर रचना।
bhakiti ras ki shandar rachna
ReplyDelete--- sahityasurbhi.blogspot.com
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद -आपने मेरी रचना पढ़ी और इतनी पसंद की .मैं आप सभी की आभारी हूँ विशेष आभार सत्यम शिवम् जी का जिन्होंने चर्चा -मंच पर इसको लिया .
ReplyDeletebahut sundar likha hai aapne... adhyatm darshan se aur seekh deti rachnaa... aabhaar
ReplyDeleteaha anupama ji , yahan to ek alag aanand mila hai ...
ReplyDeleteआपने अपने गीत में आध्यात्मिक तथ्यों को सरगम के बिम्ब से बहुत सुन्दर ढंग से व्यंजित किया है।
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति!
ReplyDelete'मिलिए रेखाओं के अप्रतिम जादूगर से '
सूरदास कालिदास की परंपरा को आगे ले जाने वाली रचना ..बहुत सुन्दर ..बधाई
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 जनवरी 2018 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बड़े दिनों बाद ,मेरी इतनी पुरानी कृति को आपने इस मंच पर स्थान दिया ,सादर धन्यवाद !!
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