हर एक सांझ -
ऐसी निर्विकार नीरवता में -
बीतती चली
जाती है -
तुम बिन ऐसे -
डूब रहा है सूरज -
मन की असंख्य रश्मियों को -
समेटे हुए जैसे ...!!
ऐसी निर्विकार नीरवता में -
स्वयं से करती हूँ जब संवाद -
लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन का
रीता रीता सा स्वाद ...!!
डूबते हुए सूरज के साथ -
क्षीर्ण होतीं
विकीर्ण आशाएं -
विकीर्ण आशाएं -
निराशाओं में -
विलीन होती चली -
जाती हैं-
डूब ही जातीं हैं ...!!
सूनी सी पगडण्डी
क्यों खींच लाती है
इस झील तक-
इस झील तक-
धूल की गर्द -
व्यर्थ ही-
व्यर्थ ही-
जम जाती है
पैरों तक .....!!
शांत सा घर -
वापस तो बुलाता है -
वापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
नागिन सी काली रात -
डरपाती है -
डरपाती है -
राग दरबारी या मालकौंस -
रह रह कर याद आती है ...!!
जानती हूँ-
मुझ से पहले ही -
आस का पंछी-
जाग जायेगा कल -
भोर भये कागा -
तुम्हरे आवन का -
मन भावन का -
संदेसा लाएगा कल ..........................................................................................!!
बहुत सुन्दर भाव समन्वय्।
ReplyDeleteशांत सा घर -
ReplyDeleteवापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
नागिन सी काली रात -
डरपाती है -
राग दरबारी या मालकौंस -
रह रह कर याद आती है ...!!
kya kahne hain..bahut khub!!
waise darpati shabd samajh nahi aaya..!
शांत सा घर -
ReplyDeleteवापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
नागिन सी काली रात -
डरपाती है -
राग दरबारी या मालकौंस -
रह रह कर याद आती है ...!!
kya kahne hain..bahut khub!!
waise darpati shabd samajh nahi aaya..!
सुहाना सबेरा अवश्य आयेगा।
ReplyDeleteहै प्रतीक्षित ईश केवल.
ReplyDeleteरूप केवल भिन्न है.
सुन्दर ...
निर्विकार नीरवता में -
ReplyDeleteस्वयं से करती हूँ जब संवाद -
लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन का
रीता रीता सा स्वाद ...!!bhawon ko ujaagar karti rachna
bahut sunder ehsaason se dubi manbhavan rachna. aabhar.
ReplyDeletevery nice!!!
ReplyDeleteशांत सा घर -
ReplyDeleteवापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
नागिन सी काली रात -
डरपाती है -
राग दरबारी या मालकौंस -
रह रह कर याद आती है ...!!
बहुत सुंदर .....
आप सभी का ह्रदय से आभार मेरी अभिव्यक्ति को पसंद करने के लिए |
ReplyDeleteमुकेश जी -डरपाती शब्द ब्रज भाषा से लिया है |या उसका अपभ्रंश भी हो सकता है |हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में गहन रूचि होने के कारण मेरी बहुत रचनाओं में उसका प्रयोग आपको मिलेगा |इस कविता में भी रागों का समय वर्णन भी आपको मिलेगा -जैसे राग दरबारी और मालकौंस देर रात में गाये जाने वाले राग हैं और बहुत गंभीर प्रकृति के राग हैं |इन सभी बातों के प्रयोग से भी कविता अपनी बात कहने में और सक्षम हो जाती है |आशा है अब आप मेरी कविता को और समझ पाएंगे |आपका पुनः बहुत बहुत धन्यवाद अपने विचार देने के लिए |
जानती हूँ-
ReplyDeleteमुझ से पहले ही -
आस का पंछी-
जाग जायेगा कल -
भोर भये -
तुम्हरे आवन का -
मन भावन का -
संदेसा लाएगा कल
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
आशाएं ही जीवन हैं !शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है |बधाई
ReplyDeleteआशा
ऐसी निर्विकार नीरवता में -
ReplyDeleteस्वयं से करती हूँ जब संवाद
लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन क1
रीता रीता सा स्वाद ...!!
bahut sundar panktiyaan hain
adarniya shastri ji ,
ReplyDeleteफटाफट चर्चा -
बहुत बढ़िया चर्चा है -
बहुत अछे लिनक्स हैं और कार्टून भी बढ़िया हैं -
मुझे इस चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका -
वाह जी अच्छी कविता है.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteऐसी निर्विकार नीरवता में -
ReplyDeleteस्वयं से करती हूँ जब संवाद -
लेती हूँ तुम्हारे बिन जीवन का
रीता रीता सा स्वाद ...!!
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें ...
शांत सा घर -
ReplyDeleteवापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
nice
ReplyDeleteशांत सा घर -
ReplyDeleteवापस तो बुलाता है -
फिर भी -
अन्धकार गहराता है -
नागिन सी काली रात -
डरपाती है -
राग दरबारी या मालकौंस -
रह रह कर याद आती है ...!!
बहुत भावपूर्ण...शब्दों और भावों का बहुत सुन्दर समन्वय..बहुत सुन्दर
bahut hi sundar kavita hain
ReplyDeletenice blog
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वाह ..निराशाओं के बाद भी आशाओं को समेटती आपकी कविता लाजवाब... उम्दा ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें
blog par aakar honsla afjai ke liye bahut bahut shukriya
मुझे बहुत अच्छा लगा आज आपके ब्लॉग पर आ कर.... आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है... अब आता रहूँगा.....
ReplyDeleteजानती हूँ-
ReplyDeleteमुझ से पहले ही -
आस का पंछी-
जाग जायेगा कल -
भोर भये -.....
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई
Man ke niravata me run-jhun si bajti hui ..bahut sundar
ReplyDeleteजानती हूँ-
ReplyDeleteमुझ से पहले ही -
आस का पंछी-
जाग जायेगा कल -
भोर भये -
तुम्हरे आवन का -
मन भावन का -
संदेसा लाएगा कल
मन में आशा का संचार करती बहुत सुन्दर कविता ! प्रियतम के आगमन का शुभ संदेश लेकर आस का पंछी जल्दी आ जाये यही शुभकामना है !