छाई चहुँ ओर घोर- घोर --
घन घटा निराली -
काली काली ॥
उमड़ घुमड़ कर --
गरज -गरज कर
बरस पड़ेंगे घनघोर -मृत्यु के बादल -
जाने किस पल किस पर.......?
क्षणभंगुर जीवन ..........!!!!!!!
भोला मानुस उछल पडा -
मौसम मनमोहक देख कर -
काले बादल को देख कर -
सावन की थी छटा निराली -
जीवन सावन था उसका ---
प्रीत पिया संग ऐसी उसकी --
कोमल यौवन --उज्जवल सा मन था उसका ....
चेहरा अंचरा बीच छिपा के ॥
जाने ढूंढे कौन पिया के -
नैना रो-रो नीर बहाए -
सावन रीता बीत न जाये !!
काली काली ॥
उमड़ घुमड़ कर --
गरज -गरज कर
बरस पड़ेंगे घनघोर -मृत्यु के बादल -
जाने किस पल किस पर.......?
क्षणभंगुर जीवन ..........!!!!!!!
भोला मानुस उछल पडा -
मौसम मनमोहक देख कर -
काले बादल को देख कर -
सावन की थी छटा निराली -
जीवन सावन था उसका ---
प्रीत पिया संग ऐसी उसकी --
कोमल यौवन --उज्जवल सा मन था उसका ....
चेहरा अंचरा बीच छिपा के ॥
जाने ढूंढे कौन पिया के -
नैना रो-रो नीर बहाए -
सावन रीता बीत न जाये !!
waah saavan aur virah bada dukhdaayi...adbhut rachna...
ReplyDeleteएक पल में ही जीवन कितना बदल जाता है .
ReplyDeleteमेरी प्रिय सखी के पति की असामायिक मृत्यु पर-
ये मेरे मन के उदगार हैं --
पर जो होना था सो तो हो ही चुका है!!!!