पूछ रही थी -
मैं सपनों से-
रोज़ -रोज़ ये क्यों दिखते हो ?
क्यों आते हो रोज़ -रोज़ ये ....
मुझे रुलाने ???
फिर देखे ये नन्हे नन्हे कोमल-कोमल --
पौधे जैसे छोटे छोटे --
कब से मन में थे जो मेरे ---
कब उपजे थे ...........????
बरसों बीते ----
जब उपजे थे ,तब उपजे थे ---
अब अंकुरित हुए हैं !!!!!
खुश हो सोचा --
जो है सो है ----
है तो मेरे ....!!!
इन्हें सुधारूं इन्हें सवारूँ इन्हें सजाऊँ .......
रोज़ रोज़ फिर सीचूं इनको -
इन्हें ही गाऊँ ---
सपनो को गाने लगी जब ----
गाने लगी गीत सपनो में ---
बुनने लगी ख्यालों को मैं ----
गाने लगी गीत सपनो में ....
गीत से प्रीत
प्रीत से रीत
रीत से प्रीत
प्रीत से फिर गीत
दृढ प्रतिज्ञ --
गाते गाते अब मैं समझी -
सपनों से था प्यार मुझे --
सपनो में मैं चलते -चलते कभी न थकती
गाते -गाते कभी न रूकती
दृढ़ प्रतिज्ञ ---
गाते गाते अब मैं समझी ---
वही प्रीत अब रंग लायी है ---
सपनो से हो प्यार अगर तो ---
निश्चित सपना सच होता है!!!!!
सपनो से हो प्यार अगर तो ---
सपना सच हो जाता है !!!!!!!!!
मैं सपनों से-
रोज़ -रोज़ ये क्यों दिखते हो ?
क्यों आते हो रोज़ -रोज़ ये ....
मुझे रुलाने ???
फिर देखे ये नन्हे नन्हे कोमल-कोमल --
पौधे जैसे छोटे छोटे --
कब से मन में थे जो मेरे ---
कब उपजे थे ...........????
बरसों बीते ----
जब उपजे थे ,तब उपजे थे ---
अब अंकुरित हुए हैं !!!!!
खुश हो सोचा --
जो है सो है ----
है तो मेरे ....!!!
इन्हें सुधारूं इन्हें सवारूँ इन्हें सजाऊँ .......
रोज़ रोज़ फिर सीचूं इनको -
इन्हें ही गाऊँ ---
सपनो को गाने लगी जब ----
गाने लगी गीत सपनो में ---
बुनने लगी ख्यालों को मैं ----
गाने लगी गीत सपनो में ....
गीत से प्रीत
प्रीत से रीत
रीत से प्रीत
प्रीत से फिर गीत
दृढ प्रतिज्ञ --
गाते गाते अब मैं समझी -
सपनों से था प्यार मुझे --
सपनो में मैं चलते -चलते कभी न थकती
गाते -गाते कभी न रूकती
दृढ़ प्रतिज्ञ ---
गाते गाते अब मैं समझी ---
वही प्रीत अब रंग लायी है ---
सपनो से हो प्यार अगर तो ---
निश्चित सपना सच होता है!!!!!
सपनो से हो प्यार अगर तो ---
सपना सच हो जाता है !!!!!!!!!
बहुत सुंदरता से कही अपनी बात
ReplyDeletewaah bahut sundar...
ReplyDeleteBahut sundar aur bhavpoorn rachana---.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना .. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है !!
ReplyDeletesapno si sunder rachna.
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
umda prastuti...
ReplyDeleteanupamaa....theek-thaak-si lagi tumhari kavita....aur nikhaarne kee aavshyaktaa hai ise....
ReplyDeleteअच्छी भावनाओं को शब्दों में बखूबी पिरोने की कला है आपके पास...लिखते रहिए......
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
ReplyDeleteसपने देखना और उन्हें शब्दों में बांधना. जीवन है तो सपना है . निश्चल कविता सीधे सीधे कहने वाली बात . वाह.
ReplyDelete"सपनो से हो प्यार अगर तो --- निश्चित सपना सच होता है!!!!!" शब्द, भाव और प्रस्तुति - बहुत सुंदर
ReplyDeleteखुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!
ReplyDeleteसामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।
अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
हम हमेशा ये सोचते थे ...सपने तो बस सपने होते हें...वो कभी सच नहीं होते ...पर आज आपकी इस कविता को पढकर लगा सपना कभी भी देखा गया हो उसे साकार रूप देना भी हमारे हाथ में ही है ...उन्हें बस सजाने और सवारने की जरूरत है ...
ReplyDeleteसच कहा आपने ..." सपनो से है प्यार अगर तो , निश्चित सपना सच होता है "
बहुत ही सुंदर....
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 15 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... सपनों से है प्यार मुझे . .
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 15 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... सपनों से है प्यार मुझे . .
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति !
ReplyDeleteजो है सो है ----
ReplyDeleteहै तो मेरे ....!!!
इन्हें सुधारूं इन्हें सवारूँ इन्हें सजाऊँ .......
रोज़ रोज़ फिर सीचूं इनको -
सुन्दर भाव भरी रचना....
सादर...
सपनो से हो प्यार अगर तो ---
ReplyDeleteनिश्चित सपना सच होता है!!!!!
बिलकुल सच्ची बात कही आपने।
सादर
कितनी सुन्दर रचना एकदम सपनो सी.
ReplyDeleteइस काव्य कृति के प्रवाह ने दिल जीत लिया, बहुत खूब - बहुत खूब
ReplyDeleteगीत से प्रीत
प्रीत से रीत
रीत से प्रीत
प्रीत से फिर गीत
गेयता विहीन काव्य हमें नीरस अधिक बनाता है, गेयता हमें प्रेम के अथाह समंदर की ओर ले जाती है। बहुत बहुत बधाई।