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उड़ान ...!! |
अन्धकार छा गया ...
पहुँचाता है किरणे अपनी मुझ तक....
जैसे रूप बदल कर ...!
किन्तु रात के इस अन्धकार में भी ...
मेरी यात्रा तो जारी है...
मैं पंछी बन उड़ चली हूँ ....
दूर देस.....
दूर देस.....
पूनम के चाँद को खिलते हुए ...
देख रही हूँ .... सोच रही हूँ ....
दिव्य ऊष्मा का दिव्य रूप ...
सूरज साथ है मेरे ...पहुँचाता है किरणे अपनी मुझ तक....
जैसे रूप बदल कर ...!
इस चांदनी में ...
महसूस होता है मुझे ....
महसूस होता है मुझे ....
स्निग्ध सा..
बरसता ...मुझ पर ...
बरसता ...मुझ पर ...
शांत ...शीतल ...निर्विकार......
मन के पोर-पोर तक रिसता हुआ ...
अपार ठंडक देता हुआ ...
सूरज साथ है मेरे ....!!!!!
waah virodhabhaas liye hue kavita bahut sundar
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
शीतलता मेरी, प्रकाश उसका।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना....
ReplyDeletebhaut hi sundar abhivaykti...
ReplyDeleteजब सूरज साथ हो तो किसी कालिमा का खतरा नहीं होता।
ReplyDeleteखूबसूरत भाव ..चांदनी में भी सूरज साथ है ..अश का संचार करती रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...आखिर चाँद को रोशनी भी सूरज ही देता है ...
ReplyDeleteसूरज की किरणें, चांदनी की शीतलता...
ReplyDeleteवाह, कलपना के नए आयाम।
अच्छी कविता।
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteअपार ठंडक देता हुआ ...
ReplyDeleteसचमुच....
खुबसूरत भावाभिव्यक्ति....
सादर...
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteखूबसूरत भाव ..चांदनी में भी सूरज साथ है .सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , सार्थक रचना , सार्थक तथा प्रभावी भावाभिव्यक्ति , ब धाई
ReplyDeleteप्रस्तुति स्तुतनीय है, भावों को परनाम |
ReplyDeleteमातु शारदे की कृपा, बनी रहे अविराम ||
बेह्द खूबसूरत भावो का समन्वय्।
ReplyDeleteचांदनी की शीतलता पर इतना विश्वास !! सुंदर अतिसुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...मन खुश हो गया
ReplyDeletemanmohak andaz......
ReplyDeleteकई बार भाव इतने प्रभावी होते है की उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता . आज यूँ ही .
ReplyDeleteबहुत अच्छा। मै पंछी बन उड चली हूँ।
ReplyDeleteजितनी प्यारी कविता उतना सुंदर चित्र।
ReplyDeleteअपार ठंडक देता हुआ ...
ReplyDeleteसूरज साथ है मेरे ....!!!!!
बहुत सुंदर रचना बहुत संवेदनशील. बधाई.
भरोसा बनाएं रखें ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
very nice
ReplyDeleteदिव्य ऊष्मा का दिव्य रूप ...
ReplyDeleteसूरज साथ है मेरे ...
पहुँचाता है किरणे अपनी मुझ तक....
रात्रि के सर्वत्र व्याप्त तम में भी ....aur hamesha rahega
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
ReplyDeleteअच्छी कविता.
ReplyDeleteजिस क्षण चाँद भी सूरज बन जाता है वह क्षण इबादत का ही हो सकता है... सुंदर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteइस चांदनी में ...
ReplyDeleteमहसूस होता है मुझे ....
स्निग्ध चांदनी सा..
बरसता ...मुझ पर ...
शांत ...शीतल ...निर्विकार......
मन के पोर-पोर तक रिसता हुआ ...
बहुत खूब!
बहुत ही सुन्दर पोस्ट........तस्वीरे चार चाँद लगा रही हैं पोस्ट में|
ReplyDeleteInspiring!!
ReplyDeletegood one
बहुत खूब लिखा आपने
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आइये
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
एक बार फिर आपके शब्द कौशल ने मन्त्र मुग्ध कर दिया...नमन है आपकी लेखनी को...अद्भुत
ReplyDeleteनीरज
bahut hi khubsurat rachna...
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर....अपने सूरज (प्रियतम) की निकटता से प्राप्त होने वाली सम्मोहक गर्माहट चाँद और चांदनी के माध्यम से बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त किया गया है.
ReplyDeleteAnupama bahut hi sunder post hain.It is reflecting your inner heart showing you are happy and satisfied.All my best wishes to you.
ReplyDeleteक्या बात.... सुंदर बिम्ब ,गहरे भाव....
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (१२) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /कृपया आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कमना है /आपका ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
ReplyDeleteबहुत प्रभावी भावाभिव्यक्ति..
ReplyDeleteक्या कहने, सुंदर रचना
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