नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

29 March, 2012

रे मन ... पथिक ...रसिक ....अलबेला ....!!


रे मन  पथिक ..रसिक ..अलबेला ....
झूम-झूम चलता ......
 ..रस लेता ...
मकरंद मंद-मंद मुस्काता ...
बुनता जाता  ताना-बना ...
अद्वैत ..
तीन  लोक  ..पञ्च तत्व  ...सप्त सुर ...नवल  रस ...!!
गुन गुन रमता जाता है मस्ताना ...
जग से अनजाना  ...

छन-छन ,राग ,अनुराग...
स्वर ...अलंकार .....!!
बढ़ता चल ...करता चल ...
अलंकृत ....विभूषित.....मन को ..
राग से ,अनुराग से ..असंख्य प्रकार ...!!



सृष्टि के सौरभ से ...स्वयं को ....
मन रंग ,रंग ,रंग ले .





सँवर जा  भाँति-भाँति ले ....
 भर-भर ले ,झर-झर दे ....
...धन-धन भाग सुहाग ...
...रस रंग सुभग सुभाग ......!!

45 comments:

  1. छन-छन ,राग ,अनुराग...
    स्वर ...अलंकार .....!!
    बढ़ता चल ...करता चल ...
    अलंकृत ....विभूषित.....मन को ..
    राग से ,अनुराग से ..असंख्य प्रकार ...

    सुंदर पंक्तियाँ .........

    मन की चंचलता का बहुत सुंदर चित्रण किया आपने अपनी प्रस्तुति में

    ReplyDelete
  2. अलबेली रचना ..झुमाती हुई..

    ReplyDelete
  3. वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब अनुपमा जी
    सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....


    MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....

    ReplyDelete
  4. सृष्टि के सौरभ से ...स्वयं को ....
    मन रंग ,रंग ,रंग ले ....
    पावन आवाहन... सुंदर कृति....
    सादर।

    ReplyDelete
  5. शीतल मंद बयार सा गीत.

    ReplyDelete
  6. पढ़ा, तो लगा कानों में कुछ बजा.....


    बहुत सुन्दर.....

    ReplyDelete
  7. एक सुमधुर गीत जैसी रचना...सुन्दर!!

    ReplyDelete
  8. वाह बहुत ही सुंदर गीत है……… आभार

    ReplyDelete
  9. क्या बात है...!!
    kalamdaan.blogspot.in

    ReplyDelete
  10. प्रकुति से ज्ञान के रस को भर लेना चाहिए। भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुके रहते हैं सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.

    ReplyDelete
  11. मन के रंग बरसा दिये ... अनुपम अलंकारों से सुसज्जित रचना बहुत सुंदर लगी

    ReplyDelete
  12. छन-छन ,राग ,अनुराग...
    स्वर ...अलंकार .....!!
    बढ़ता चल ...करता चल ...
    अलंकृत ....विभूषित.....मन को ..
    राग से ,अनुराग से ..असंख्य प्रकार ...

    ।बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा धन्यवाद .

    ReplyDelete
  13. albeli rachna ..bahut sundar...prakriti ke rangon se bharpoor

    ReplyDelete
  14. प्रकृति का सौन्दर्य अभिभूत करता है।

    ReplyDelete
  15. सुंदर रचना,ह्रदयस्पर्शी पंकितयां ....

    ReplyDelete
  16. सृष्टि के सौरभ से हमने तो अपना तन मन रंग लिया अनुपमाजी..अनुपम भाव..सुन्दर...

    ReplyDelete
  17. खुबसूरत शब्दों से सुसज्ज्ति मनभावन प्रस्तुति हेतु आभार.............

    ReplyDelete
  18. खन खानाता , राग अनुराग लिए एक सुंदर गीत !

    ReplyDelete
  19. छन-छन ,राग ,अनुराग...
    स्वर ...अलंकार .....!!
    बढ़ता चल ...करता चल ...
    अलंकृत ....विभूषित.....मन को ..
    राग से ,अनुराग से ..असंख्य प्रकार ...!!
    सौन्दर्य रस से परिपूर्ण भाव

    ReplyDelete
  20. स्वरों की नाव पर अबाध गतिसे बहती कविता ....प्रवाहमयी ..सुन्दर !

    ReplyDelete
  21. गीत रुपी ये पोस्ट शानदार है ।

    ReplyDelete
  22. स्वरों की नाव पर अबाध गतिसे बहती कविता ....प्रवाहमयी ..सुन्दर !

    ReplyDelete
  23. निर्बाध गति से बहती धारा।

    ReplyDelete
  24. उछाह उमंग नव-स्वर :)

    ReplyDelete
  25. प्रकृति के रंगों को संगीत में डुबोकर , अनुपम कृति का रसास्वादन करने का मौका दिया आपने . आपकी कविताओ में संगीत और भाव पक्ष दोनों भी प्रबल होते है . जो बात इस जगह है और कही पे नहीं .

    ReplyDelete
  26. अनुपम भाव संयोजन लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

    ReplyDelete
  27. मन अलबेला ... वाह ..

    ReplyDelete
  28. अनुपमा जी, नमस्कार. बारामासा की हमराही बनने और मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार. आपका स्नेह इसी भांति बना रहेगा, यही कामना है. पुनः आभार !

    ReplyDelete
  29. इसका तो पॉडकास्ट शास्त्रीय संगीत के साथ सुनने में आनंद आता। बहुत सुंदर।

    ReplyDelete
  30. hello Anupama mam !!
    thanks 4 visiting me and giving me the opportunity to land here :)

    Lovely blog u have..
    Awesome expressions in above lines... the naughtiness and curiosity of "MAN" is fantastically expressed !!

    Wish to c u more at Random Scribblings :)

    ReplyDelete
  31. सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  32. 'मन पथिक' - भ्रमर सा डोलता .. बगियाँ में. सुन्दर - भावपूर्ण कविता - सादर.

    ReplyDelete
  33. 'मन पथिक' - भ्रमर सा डोलता .. बगियाँ में. सुन्दर - भावपूर्ण कविता -सादर.

    ReplyDelete
  34. आप सभी का बहुत बहुत आभार ...इस मन पथिक के भाव पर आपने अपने विचार दिए ...
    अपना स्नेह ...अपना आशीर्वाद बनाये रखें ....!!

    ReplyDelete
  35. बहुत बढ़िया अनुपम रचना,सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....अनुपमा जी बधाई

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

    ReplyDelete
  36. सुंदर भाव,बेहतरीन अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  37. अलंकार-संयोजन ऐसा है मानो झर-झर झरना बहता हो।

    ReplyDelete
  38. कल 16/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  39. मनभावन भावों से युक्त सुन्दर गीत !!

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!