Splendid picture of the rainfall in the park and a very apt and appropriate poem. Thanks for reading my blog regularly and leaving your beautiful comments. Have a nice weekend Anupama. Regards Ram
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 26/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
वाह आपने तो बूंदों की परिभाषा ही बदलदी
ReplyDeleteवाह बेहद मनभावन क्षणिका
ReplyDeletebahut sundar andaj hai aapka bahut pasand aaya
ReplyDeleteझड़ी सावन की...
ReplyDeleteसौगात नीर बहावन की ...
खुबसूरत और सच्चे एहसास !
सओगात नीर बहावन की -कितनी अनोखी सोगात है -बहुत मनभावन aditipoonam
ReplyDeleteकसकती सौगात - मार्मिक
ReplyDeletewah wah wah;;;;;;;;;;;
ReplyDeletekya baat hai
bahut acchi kavita..
बूँदो की बहुत सुन्दर परिभाषा...
ReplyDeleteअवर्णनीय
ReplyDeleteReally sweet, few but lyrical words. :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteशुभा मुद्गल जी का वो धांसू गीत याद आ गया......
रूत सावन
घटा सावन की...ऐसे चमके बरसे...
सादर..
अनु
manbhavan..
ReplyDeleteविरह को बखूबी लिखा है ... सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन खूबशूरत क्षणिका,,,,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
बहुत ही भाव-प्रवण कविता । मेरे नए पोस्ट 'समय सरग पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteसुन्दर.
ReplyDelete
ReplyDeleteजब मन दुखी हो ...तो सारी सृष्टि साथ देती है ....सुन्दर !
बहुत ही प्यारी सी छोटी सी अभिव्यक्ति.... :)
ReplyDelete************
प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
बहुत प्यारी अभिव्यक्ति....|
ReplyDeleteples....watch and join me www.sriramroy.blogspot.in
ReplyDeleteवाह, सबकी आवश्यकता है।
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
बहुत आभार शास्त्री जी ...!!
ReplyDeleteनिशब्द...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति
ReplyDeleteSplendid picture of the rainfall in the park and a very apt and appropriate poem.
ReplyDeleteThanks for reading my blog regularly and leaving your beautiful comments.
Have a nice weekend Anupama. Regards Ram
waah...
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द ,अर्थ ,भाव बिम्ब |आभार
ReplyDeleteसावन में विरह की वेदना अपने चरम पर होती हैं।
ReplyDeleteसावन की ये झड़ी मनोभावों को किसी दुसरे स्तर तक ले जाती है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
बूँदों की लड़ी में क्या कुछ रच गया...
ReplyDeleteखूबसूरत मनभावन रचना !:-)
~~सादर !!!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमनभावन...
:-)
बेहतरीन अभिव्यक्ति वाह
ReplyDeleteआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 26/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteहलचल पर अपना लिंक देख कर ह्रदय में खुशी की हलचल होती है ...!!बहुत आभार यशोदा जी ..
Deleteबरखा की नन्हीं बूदों से ही तो सब निखरता है फिर यह तो प्रेम है , सुन्दर रचना हेतु बधाई |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...मेरी नई पोस्ट मे स्वागत है आप का
ReplyDeleteसावन की बूंदों के साथ विरह अभिव्यक्ति .शब्द भले कम हो लेकिन भाव प्रबल और मनोहारी है . बहुत सुन्दर दी .
ReplyDeleteमन को छू गई
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत मनभावन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रकृति का चित्रण
ReplyDeleteशब्द और चित्र दोनों मन को भिगो गए।
ReplyDeleteबहुत आभार आप सभी को ...
ReplyDeleteइस भाव को आप सभी ने पसंद किया ...!!
वाह ! चंद शब्दों में विरह की गाथा बारिश के बहाने..
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