रात्रि की निस्तब्धता में ,
अप्रमित कौमुदी मनोहर ,
लब्ध होते इन पलों में ,अप्रतिम जीवन धरोहर !!
कांस पर जब यूँ बरसती
चांदनी भी क्या कहो ,
है मधुर यह क्षण विलक्षण
''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
रात्रि की निस्तब्धता में ,
अप्रमित कौमुदी मनोहर ,
लब्ध होते इन पलों में ,