नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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09 April, 2021

सखी फिर बसंत आया है


 किसलय की आहट है 

रँग की फगुनाहट है 

प्रकृति की रचना का 

हो रहा अब स्वागत है 


मन मयूर थिरक उठा 

आम भी बौराया है 

चिड़ियों ने चहक चहक 

राग कोई गाया है 


जाग उठी कल्पना 

लेती अंगड़ाई है 

नीम की निम्बोड़ि भी 

फिर से इठलाई है 


कोयल ने कुहुक कुहक 

संदेसा सुनाया है 

अठखेलियों में सृष्टि के 

रँग मदमाया है 


सखी फिर बसंत आया है 


अनुपमा त्रिपाठी

  "सुकृति"