''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
गगन से अविरल बरसते हुए
मेघों में ,
मन के भाव की
ललित पुलकावलि ,
जब जब नित नवल
अलंकृत होती गई ,
बूँदन झरती आई ,
तब तब वो
अलौकिक शब्द
बने मुक्ताभ ,
निकेत बनी हृदयावलि …!!
अनुपमा त्रिपाठी
सुकृति