नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

29 April, 2012

खिला-खिला खुला -खुला है आसमान ...!

स्मित ....सलोनी सी मुस्कान ...
विलुप्त हो गयी ....
..रे मन .....
आज गुम सा ...
डूबा डूबा सा क्यूँ है ...?
संकुचित ,कहाँ दबी है ...
नारंगी सी  ...
वो सहज मुस्कान भीतर ....?

सिमटा-सिमटा सा ...
क्यूँ संकीर्ण हो गया है ...?
तेरे जाते ही नारंगी रंग भी -
स्याह हो गया है .....!!
प्रकाश कहीं खो गया है ...!!

इस अँधेरे में ...
अब तू क्या टटोल रहा है ....?
अपने मन में ही ढूंढ मुझे ....
मैं ही तेरी खिली सी मुस्कान हूँ .....
बस कुछ पल को सिमट गई हूँ ....
पर तुझसे दूर नहीं हूँ ...!!

मुझे ही ढूंढ रहा है न ....?
थाम  ले मुझे और निकल आ ...
इस अंधियारे से .....
 बिखर जा .....
चहुँ दिस ... चहुँ  ओर ......
मैं तो जानती हूँ .....
हैं  फिर  भी  कुछ  सुराख ...
जहाँ से ... 
बातों ही बातों में ....
ये अँधियारा निकल जायेगा ....
सहमी-सहमी सी ये रात ...
ये रात बीत जाएगी ...
और ...
तुझसे बात करते करते....
मेरी कविता भी ...
खिल -खिल जाएगी ....
जब निकल जायेंगे -
 मन के उदगार .......
विकीर्ण हो ,निकल आएगा -
सूरज भी उस पार .........
अब देख ....देख तो ......
रहा नहीं कोई अंदेशा ....
प्रभु ने भेजा है संदेशा  .....
अहीर भैरव सी ...आनंदमयी  भोर भई .......
फिर भर ले मन की  उड़ान .......
उज्जवल ...खिला-खिला खुला -खुला है आसमान ...!

 *अहीर भैरव  प्रातः का संधिप्रकाश राग है ...!

33 comments:

  1. बहुत सुंदर!!!!!!!!!!!!!!!

    खिली खिली....खुली खुली कविता......................

    सस्नेह.

    ReplyDelete
  2. सुन्दर रचना . फोटो भी अच्छे हैं ... आभार

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर

    तुझसे बात करते करते....
    मेरी कविता भी ...
    खिल -खिल जाएगी ....
    जब निकल जायेंगे -
    मन के उदगार .......

    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  4. man ko prabhaavit karatii behatariin rachana

    ReplyDelete
  5. अब देख ....देख तो ......
    रहा नहीं कोई अंदेशा ....
    प्रभु ने भेजा है संदेशा .....
    अहीर भैरव सी ...आनंदमयी भोर भई .......
    फिर भर ले मन की उड़ान .......
    उज्जवल ...खिला-खिला खुला -खुला है आसमान ...!अन्तर्मन के कोमल भावो को बहुत सुन्दर शब्दो में पिरोया है..बहुत सुन्दर..अनुपमाजी..

    ReplyDelete
  6. चित्र और कविता दोनों में अहीर भैरव की झलक दिखाई दे रही है।
    बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  7. तुझसे बात करते करते....
    मेरी कविता भी ...
    खिल -खिल जाएगी ....
    जब निकल जायेंगे -
    मन के उदगार .......
    विकीर्ण हो ,निकल आएगा -
    सूरज भी उस पार .........प्रकृति का विस्तृत कोना कोना जाग उठेगा

    ReplyDelete
  8. "...... तेरे जाते ही नारंगी रंग भी -
    अंधकारमय हो गया है ....
    प्रकाश कहीं खो गया है ...!!
    इस अँधेरे में .................."

    वाह अनुपमा जी, बहुत खूब ! सुन्दर !
    ग़ालिब साहब ने भी यह हकीकत बयां की है ;
    "हम वहां है यहाँ से हमको भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती,"

    ReplyDelete
  9. खुलापन मन के उत्साह का प्रतीक है।

    ReplyDelete
  10. अब तू क्या टटोल रहा है ....?
    अपने मन में ही ढूंढ मुझे ....
    मैं ही तेरी खिली सी मुस्कान हूँ .....
    बस कुछ पल को सिमट गई हूँ ....
    पर तुझसे दूर नहीं हूँ ...!!

    बहुत सुन्दर रचना अनुपमा जी

    ReplyDelete
  11. गहन से गहनतम परिस्थिति में उस पर आस्था और खुद पर विश्वास रखना चाहिए और खुद के अंदर से संचित सुखमय क्षणों को स्मरण कर विकट परिस्थिति को पार कर जाना चाहिए, फिर तो एक सुखमय सवेरा आएगा ही।
    एक सकारात्मक रचना जो आशावादिता को प्रकट करती है।

    ReplyDelete
  12. ... और हां अहीर भैरव प्रयोग बहुत अच्छा लगा। आखिर एक संगीत के साधक से ऐसे बिम्बों के प्रयोग की अपेक्षा तो रहती ही है।

    ReplyDelete
  13. पूरा कर लें अरमान
    बाँहों में भर लें आसमान ....
    शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति,..बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई

    MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....

    ReplyDelete
  15. आपकी अमृतमयी ,प्रवाहमयी रचना एक अलग ही उत्साह भर देती है....

    ReplyDelete
  16. खुला आसमान , जीवन की मुस्कान , ऊँची उड़ान . संगीत सा कानों में गूंजता रहा , प्रभामयी लेखन .

    ReplyDelete
  17. फिर भर ले मन की उड़ान .......
    उज्जवल ...खिला-खिला खुला -खुला है आसमान ...!
    बहुत खूब।

    ReplyDelete
  18. तेरे जाते ही नारंगी रंग भी -
    अंधकारमय हो गया है .... ....... सुंदर भावमयी प्रस्तुति हेतु आपका आभार.

    ReplyDelete
  19. अब तू क्या टटोल रहा है ....?
    अपने मन में ही ढूंढ मुझे ....
    मैं ही तेरी खिली सी मुस्कान हूँ .....
    बस कुछ पल को सिमट गई हूँ ....
    पर तुझसे दूर नहीं हूँ ...!!

    बहुत सुन्दर और शानदार पोस्ट।

    ReplyDelete
  20. बेहतरीन रचना
    अरुन (arunsblog.in)

    ReplyDelete
  21. मन की उड़ान और खुला आसमान...बहुत सुंदर भाव !

    ReplyDelete
  22. मैं तो जानती हूँ .....
    हैं फिर भी कुछ सुराख ...
    जहाँ से ...
    बातों ही बातों में ....
    ये अँधियारा निकल जायेगा ....


    .....बहुत सुंदर भावमयी रचना ....

    ReplyDelete
  23. फिर भर ले मन की उड़ान .......
    उज्जवल ...खिला-खिला खुला -खुला है आसमान ...!

    उड़ान भारती रचना

    ReplyDelete
  24. ahir-bhairav....wah....kya baat hai.

    ReplyDelete
  25. अब देख ....देख तो ......
    रहा नहीं कोई अंदेशा ....
    प्रभु ने भेजा है संदेशा .....
    अहीर भैरव सी ...आनंदमयी भोर भई
    मन को आनंदित करते भाव .... बहुत सुंदर ... यही आस्था जीवन की प्रेरणा है

    ReplyDelete
  26. आप सभी का हार्दिक आभार ...!!इस सुबह पर आपने अपने सुखद विचार दिए ...!!

    ReplyDelete
  27. बहुत ही अच्छी..

    ReplyDelete
  28. आध्यात्मिकता के रंग में रंगी बहुत ही प्यारी और सुरीली सी रचना है ! यह खिला-खिला सा आसमान सदैव इसी तरह खिला रहे और अलौकिक आलोक से जगमगाता रहे यही कामना है !

    ReplyDelete
  29. कविता सुन्दर है !

    यहाँ एक बात खटक रही है - स्मित सलोनी सी मुस्कान ..... "स्मित" और "मुस्कान" एक दूसरे के पर्याय होते हैं. दोनों का एक साथ प्रयोग करने का कोई तात्पर्य नहीं समझ आ रहा.

    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. भाव को प्रबल बनाने के लिए दोनों पर्याय प्रयोग लिखे हैं .....!!
      एक स्मित है दूसरा सलोनी सी मुस्कान है ...भाव में फर्क है ....!!
      आपने इतने रूचि से कविता पढ़ी ...बहुत आभार ....!!
      आगे भी आते रहें और अपने सुझाव देते रहें ....!!

      Delete
  30. अपने मन में ही ढूंढ मुझे ....
    मैं ही तेरी खिली सी मुस्कान हूँ .....
    बस कुछ पल को सिमट गई हूँ ....
    पर तुझसे दूर नहीं हूँ ...

    वाह ... बहुत खूब .. कोमल अहीर भैरव के कोमल स्वरों सी लाजवाब कृति ....

    ReplyDelete
  31. सुन्दर विहान गीत

    ReplyDelete
  32. सुंदर प्रेरक रचना....
    सादर...

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!