नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

14 November, 2010

22-मेरा बचपन....!!


चहक उठती है
मन की चिड़िया -
महक उठती है
मन की बगिया-!

खिल उठता है
घर का कोना-कोना
जी उठता है
मन का कोना -कोना
बन जाती हूँ बच्ची मैं जब -
घर आते हैं बच्चे -
लौट आता है बचपन मेरा -
संग होते जब बच्चे -!!

है ये बच्चों का बचपन -
या मेरा बचपन -
या मेरा बचपन दोहराता हुआ -
मेरे प्यारे बच्चों का बचपन --

माँ -माँ करता गुंजित कलरव -
अमृत सा दे जाता है -
पीकर इसका प्याला -
मन हर पीड़ा दूर भगाता है --!

खो जाती हूँ रम जाती हूँ -
छोटी सी इस दुनिया में -
घर फिर घर सा लगता मुझको -
घर आते जब बच्चे-!!


24 comments:

  1. बच्चों से तो वैवाहिक जीवन महकता है।

    ReplyDelete
  2. बच्चे होते ही हैं ऐसे! उनका साथ किसे अच्छा नहीं लगता;नन्हे बच्चों की निश्छल मुस्कराहट सारी परेशानियों और थकान को पल में दूर कर देती है.
    दिल को छू गयी आप की ये कविता.

    ReplyDelete
  3. bahutb theek kaha.A very nice expression.

    ReplyDelete
  4. सच कहा है बच्चों के साथ एक बार फिर अपना बचपन जी लेते हैं हम .

    ReplyDelete
  5. मन के किसी कोने में बचपन सदैव जीवित रहता है... रहना ही चाहिए!
    सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  6. bachcho me hi to bachpan dhundhte hain ab...bahut badhiya...dil ko chune layak..

    ReplyDelete
  7. मेरा प्रयास पसंद आया-
    आप सभी का हृदय से आभार .

    ReplyDelete
  8. बच्चों के बिना घर बहुत बहुत सूना-सूना लगता है

    ReplyDelete
  9. BAHUT SUNDAR BHAVON KO SAMETA HAI AAPNE .BADHAI

    ReplyDelete
  10. BAHUT ACHCHHI BHAVNAON KO PRAKAT KIYA HAI AAPNE .AABHAR

    ReplyDelete
  11. बच्चों के साथ बच्चे बन कर बचपन जी लेते हैं फिर से सुंदर रचना !
    बधाई !!

    ReplyDelete
  12. बच्चों के बचपन में ही हम अपना बचपन एक बार फिर से जी लेते हैं ! बहुत सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  13. पढकर बचपन के यादों में खो गया,
    बहुत सुंदर प्रस्तुति,...

    ReplyDelete
  14. सुन्दर अभिव्यक्ति....
    सादर...

    ReplyDelete
  15. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  16. संगीता जी आपका ह्रदय से आभार ...मेरी पुरानी रचना का नवीनीकरण हो गया ...!!

    ReplyDelete
  17. बहुत ही अच्छी रचना......

    ReplyDelete
  18. खो जाती हूँ रम जाती हूँ -
    छोटी सी इस दुनिया में -
    घर फिर घर सा लगता मुझको -
    घर आते जब बच्चे-!!
    lag bhag har ma ka haal aapke jesa hi hai

    baht sundar racna

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!