नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

17 September, 2012

हृदय के रूप .......(हाइकू)

1-
हृदय  वही  
पिघले मोम जैसा,
पाषाण नहीं । 

2-
मोम-सा मन
आंच मिली ज़रा सी ..
पिघल गया  ।
3-
प्रवाह लिये  
सरिता- सा  हृदय
बहता गया  ।
4-
छाई बादरी 
बरसती  बूंदरी ....
नाचे  मयूर .. ..

5-
मेघ -घटाएँ.
छाई उर -अम्बर
भाव बरसें ।

6-
घटा सावन ,
भिगोये तन मन ..
प्रेम बरसे 

7-
मन मीन क्यों 
आकुल रहती है
लिये पिपासा...?

8-
मेरा हृदय
आस की डोर बँधा.
पतंग बना ।


46 comments:

  1. अच्छे हाइकू .पहला और दूसरा खास पसंद आया.

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत प्यारे हायकू अनुपमा जी.....
    सुन्दर प्रस्तुति....

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर.. कोमल शब्दों का चयन, भावों के अनुकूल.. !!

    ReplyDelete
  4. बहुत खूबसूरत हाइकु .... सभी एक से बढ़ कर एक .... गहनता लिए हुये

    ReplyDelete
  5. कोमल भावयुक्त बहुत खूबसूरत हाइकु ....

    ReplyDelete
  6. 1-
    हृदय वही
    पिघले मोम जैसा,
    पाषाण नहीं ।

    (मैं ने मानव को पूजा है ,पाषाणों से प्यार नहीं है )

    मेघ -घटाएँ.
    छाई उर -अम्बर
    भाव बरसें ।
    मन मीन क्यों
    आकुल रहती है
    लिये पिपासा...?
    (बीन मैं तेरी बनूंगी ,बीन की झंकार भी )

    7-
    मेरा हृदय
    आस की डोर बँधा.
    पतंग बना ।'
    (छूआ आसमां को )
    बढ़िया हाइकु एक से आगे एक .
    कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/09/blog-post_2719.html

    ReplyDelete
  7. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  8. मनमोहक सबके सब...

    ReplyDelete
  9. namaskaar bahut hi acche haiku hai sabhi

    ReplyDelete
  10. कोमल शब्दों में भाव प्रधान अभिव्यक्ति -अच्छी लगी .
    मेरी नई पोस्ट में आपका इंतजार है .जरुर आयें और अपनी राय से अवगत कराएँ.

    ReplyDelete
  11. भावपूर्ण सुन्दर हाइकू..आभार..

    ReplyDelete
  12. मन मीन क्यों
    आकुल रहती है
    लिये पिपासा...?

    अतिसुन्दर

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर हाईकू, भाव बिखेरते।

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर हाइकू ! भावपूर्ण कृति के लिए आभार !

    ReplyDelete
  15. शीर्षक के अनुरूप शब्दों का भाव पूर्ण चयन,,,हाइकू रचना मन को प्रभावित करती है,,,

    RECENT P0ST फिर मिलने का

    ReplyDelete
  16. सुन्दर क्षणिकाएं... बहुत बढ़िया...

    ReplyDelete
  17. मेरा हृदय
    आस की डोर बँधा.
    पतंग बना ।
    सचमुच ह्रदय के अनेक रूप कह दू या कह दूँ ह्रदय की विशालता जिसमें समाया संसार

    ReplyDelete
  18. मनभावन हाइकु..... अति सुंदर

    ReplyDelete
  19. इस जापानी विधा में भी आपकी लेखनी ने कमाल किया दी . स्पष्ट और अद्भुत भाव. हर हायकू सन्देश देता हुआ . बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete
  20. गहन भाव लिए ... एक से बढ़कर एक हाइकू ...

    ReplyDelete
  21. I was very encouraged to find this site. I wanted to thank you for this special read. I definitely savored every little bit of it and I have bookmarked you to check out new stuff you post.

    ReplyDelete
  22. मोम-सा मन
    आंच मिली ज़रा सी ..
    पिघल गया ...

    इन छोटे छोटे लम्हों में बहुत कुछ समेत लिया ...
    गज़ब हैं सभी हाइकू ..

    ReplyDelete
  23. मन के विभिन्न रूप छोटे छोटे हाइकू के माध्यम से...सुंदर प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  24. मोम-सा मन
    आंच मिली ज़रा सी ..
    पिघल गया ...

    ...बहुत सुन्दर..सभी हाइकु बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...

    ReplyDelete
  25. मोम-सा मन
    आंच मिली ज़रा सी ..
    पिघल गया ...

    हृदय को बखूबी परिभाषित कर गए सभी हाइकु!!

    ReplyDelete
  26. komal bhav ki sunder rachna.....

    ReplyDelete
  27. बहुत प्यारे हाइकु बहुत पसंद आये

    ReplyDelete
  28. ह्रदय को परिभाषित करते बड़े ही सुन्दर हाईकू ! बहुत बढ़िया !

    ReplyDelete
  29. आपके 'अनुपम' हाइकू
    हृदय से निकल
    हृदय तक पहुंचे

    हृदय में हुई
    गदगद,
    हृदय वाह वाह
    कहे.

    आपकी मेल के लिए आभार अनुपमा जी.
    मेरे ब्लॉग पर भी कुछ हृदय से कहियेगा जी.

    ReplyDelete
  30. मोम-सा मन
    आंच मिली ज़रा सी ..
    पिघल गया ।
    3-
    प्रवाह लिये
    सरिता- सा हृदय
    बहता गया ।

    ह्रदय सदा मोम सा ही कोमल होता है जिसमे सरिता का प्रवाह होता है जहाँ कल कल की ध्वनि भी होती है बशर्ते धारा की निर्मलता बच्चे के मन जैसी हो . आपके लेखनी ने सदा ही प्रभावित किया है सुन्दर भावों के लिए आपका कोई सानी नहीं है

    ReplyDelete
  31. Beautiful compositions. I loved the second and eighth one.:) In fact second one is very very beautiful. :)

    ReplyDelete
  32. ह्रदय के हर रूप को आपने शब्द दिया है |इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई -लिखती रहिये

    ReplyDelete
  33. मेरा हृदय
    आस की डोर बँधा.
    पतंग बना ।

    ह्रदय के उदगार प्रभावित कर गए.

    बहुत सुंदर.

    ReplyDelete
  34. आभार आप सभी का ह्रदय से ...हाइकु पर मेरा प्रथम प्रयास पसंद करने के लिए ...!!

    ReplyDelete
  35. मोम-सा मन
    आंच मिली ज़रा सी ..
    पिघल गया ।
    vah kya baat hai;;;

    bahut sundar;;

    ReplyDelete
  36. मोम-सा मन
    आंच मिली ज़रा सी ..
    पिघल गया ।

    प्रवाह लिये
    सरिता- सा हृदय
    बहता गया ।
    एकसे एक सुंदर हाइकु...

    ReplyDelete
  37. :) ye haiku bhi .. pata nahi kya chij hai...
    wo bhaw nahi ubhar pate..
    fir bhi ek nai vidha... naye aayam
    maine bhi koshish ki hai...
    post karunga...
    aap to waise bhi idol ho:)

    ReplyDelete
  38. Awesome.. reached here while exploring n discovered gold..

    Thanks to the internet and specially you for writing those lines.. wating for more to come from you.

    regards
    sniel

    ReplyDelete
  39. मन की सूक्ष्मता से पड़ताल करते हुए, उसकी तरंगो को बड़े सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है आपने इन हाइकुओं में...बहुत-बहुत बधाई!!

    ReplyDelete
  40. बहुत ही सुन्दर लगी..

    ReplyDelete
  41. अनुपमा जी,
    जवाब नहीं आपके हाइकू का!

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!