रात्रि के नीरव एकांत में ,
चाँद रौशन हुआ ,
मन का जब दीप जला,
पथ प्रदर्शित हुआ !!
मन चिन्मयानन्द हुआ …!!
बहती हवाओं में ,
फिर मेरा मैं चलता ही रहा ,
वो दीप जलता ही रहा …!!
माँ की दुआओं से ,
मन के अडिग विश्वास से ,
सदाओं का तेल भरता ही गया ,
असर ऐसा रहा ,
वो दीप जलता ही रहा
मेरा मैं
अपनी राह चलता ही रहा …
और …
और भोर हो गई ...!!
चाँद रौशन हुआ ,
मन का जब दीप जला,
पथ प्रदर्शित हुआ !!
मन चिन्मयानन्द हुआ …!!
बहती हवाओं में ,
फिर मेरा मैं चलता ही रहा ,
वो दीप जलता ही रहा …!!
माँ की दुआओं से ,
मन के अडिग विश्वास से ,
सदाओं का तेल भरता ही गया ,
असर ऐसा रहा ,
वो दीप जलता ही रहा
मेरा मैं
अपनी राह चलता ही रहा …
और …
और भोर हो गई ...!!
waah bahut sundar ....wo diya jlta hi raha ...
ReplyDeleteवाह ! सुंदर यात्रा मैं की...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-07-2015) को "भोर हो गई ..." {चर्चा अंक-2047} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-07-2015) को "भोर हो गई ..." {चर्चा अंक-2047} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह !
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को शनिवार, २५ जुलाई, २०१५ की बुलेटिन - "लम्हे इंतज़ार के" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत खूब ... दुआओं में बहुत असर होता है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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ReplyDeleteमाँ की दुआओं से ,
मन के अडिग विश्वास से ,
सदाओं का तेल भरता ही गया ,
असर ऐसा रहा ,
वो दीप जलता ही रहा
मेरा मैं
अपनी राह चलता ही रहा …
और …
और भोर हो गई .
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति
सुन्दर..!
ReplyDelete"मेरा मैं "गान बिम्ब बना हैं ।बधाई ।
ReplyDelete"मेरा मैं "गान बिम्ब बना हैं ।बधाई ।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक रचना। अति सुन्दर भाव । बधाई। सस्नेह
ReplyDeleteज्ञानवर्धक, अति सुन्दर whatsapp awesome
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