नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

10 August, 2011

ये कौन शिल्पकार है ...?


विहंगम मधुरिम..
दृश्य धरा का ....
अविरल पड़ती बूंदे मूसलाधार ...!!
धरा  का  ये  मनोहारी  रूप ....!!
फिर भी उड़ते विहग...
साधक सुर साधें राग-विहाग....!


वर्षा की रिमझिम से दूर ...
धुन में अपनी ही ..अलमस्त...
चित्र में रंग भरता था ..
 एक चित्रकार..!!
चलता था जीवन...
अज्रस  ..अविरल ..अनवरत ..लगातार ...!!
एक शिल्पकार के लिए ...
गतिमान  जीवन की ..
फिर भी वही रफ़्तार..........!!


रे मन..
लागी रे  ये कैसी लगन....
चलता है ..चलता है....  
न  थमता है ...
न थकता  है  ..!

दूर दिखते शैल-पर्ण 
आच्छादित ..मेघ श्याम वर्ण  ....
घटा बरसती है घनघोर..
घटा बरसती घनघोर ...!!!
प्रेम  बरसाती  सराबोर..... 
कुछ इस तरह ...
जैसे कहती हो ..
हे सृजनहार ...
अबकी न मानू हार ...
रूम-झूम...
बरस जाऊं ऐसे के ..
प्यासा ना रह जाये कोई ...!!

वैविद्ध्य से रचा-बसा...
जीवन का सुंदर मेला ..
कृपानिधान कृपा करो ऐसी ..
कि रहे न कोई भी अकेला ...
शिल्पकार गढ़ रहा है..
ये कैसा अद्भुत शिल्प...
अरे देखो ..भीगती बारिश में भी ...
ये कौन वृद्ध ...सर पर छतरी लिए ..
बालक को ...
जीवन मार्ग दिखा रहे हैं ...
दूर से आती हुई बस तक ..
विद्यालय छोड़ने जा रहे हैं ..
अपने गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं ...!!
अपार..अनंत नयनसुख ..
भर नयनो में ..
विहंगम मधुरिम दृश्य देख ...
मन स्वयं से पूछ रहा है ..
जीवन लड़ियों को..
कड़ियों सा जोड़ता हुआ ..
और ..मेरी ही सोच को..
मुझसे आगे-आगे राह दिखाता हुआ ...
ये कैसा सृजनहार है ...!!
ये कौन शिल्पकार है ...?


46 comments:

  1. Anupama ji man mugdh ho gai aapki yeh rim jhim fuhaaro si pyari kavita padhkar.chitr bhi bahut sunder hain.jindagi chalti rahti hai rim jhim fuhaaron ke beech.

    ReplyDelete
  2. मनोहारी ...सुंदर शाब्दिक अलंकरण लिए रचना

    ReplyDelete
  3. अरे देखो ..
    भीगती बारिश में भी ...
    ये कौन वृद्ध ...
    सर पर छतरी लिए ..
    बालक को ...
    जीवन मार्ग दिखा रहे हैं ...अभिनव ,मनोरम ,सहभावित भाव विरेचक प्रस्तुति .बधाई ..
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Wednesday, August 10, 2011
    पोलिसिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम :एक विहंगावलोकन .
    व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ "पोली -सिस- टिक ओवेरियन सिंड्रोम" ?


    सोमवार, ८ अगस्त २०११
    What the Yuck: Can PMS change your boob size?

    http://sb.samwaad.com/
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August ८

    ReplyDelete
  4. अहा, अद्भुत चित्रकारी, कहाँ छिपा है चित्रकार?

    ReplyDelete
  5. वैविद्ध्य से रचा-बसा...
    जीवन का सुंदर मेला ..
    कृपानिधान कृपा करो ऐसी ..
    कि रहे न कोई भी अकेला ...
    शिल्पकार गढ़ रहा है..
    ये कैसा अद्भुत शिल्प...

    यह पूरी सृष्टि ही इस शिल्पकार की शिल्प कला का अद्भत नमूना है बस हम इसे महसूस कर पायें .....भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपका आभार

    ReplyDelete
  6. WAH kya likha hai aapne ye kon shilpkaar hai.man tak bhigo gayaa ye rinjhim phuaron se bhari rachanaa .bahut hi sunder shabdon ka chayan.badhaai aapko.

    ReplyDelete
  7. अत्यंत मनोहारी वर्णन , वर्षा की भीनी भीनी फुहार सा भिगो देने वाला .

    ReplyDelete
  8. सुन्दर...मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  9. अद्भुत....
    बस एक ही शब्द है आपकी इस लेखनी के लिए

    ReplyDelete
  10. बहुत खूबसूरत शब्दों में बाँध लिया शिल्पकार के शिल्प को ..शिल्पकार ही तो नहीं मिलता जब तक हम उसे बाहरी दुनियाँ में ढूँढते हैं ..

    खूबसूरत प्रस्तुति

    ReplyDelete
  11. अच्छी रचना है जी!
    ध्वन्यात्मकता देखते ही बनती है!

    ReplyDelete
  12. शब्‍द-शब्‍द में भाव समेटे प्रत्‍येक पंक्ति ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ..।

    ReplyDelete
  13. ये कौन चित्रकार है . अद्भुत मनोहारी शिल्प . आभार

    ReplyDelete
  14. और ..
    मेरी ही सोच को..
    मुझसे आगे-आगे राह दिखाता हुआ ...
    ये कैसा सृजनहार है ...!!
    ये कौन शिल्पकार है ...?
    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति दिल को सुकून देती हुई सी !

    ReplyDelete
  15. बहुत ही मनभावन रचना।

    सादर

    ReplyDelete
  16. भावो को शब्दों में बखूबी समेटा है आपने...

    ReplyDelete
  17. बहुत खूबसुरती से भावों को शब्दों में बाँधा है ...सुन्दर..

    ReplyDelete
  18. बहुत खूबसूरत रचना

    रे मन..
    लागी रे ये कैसी लगन....
    चलता है ..चलता है....
    न थमता है ...
    न थकता है ..!

    शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  19. bahut sunder shabdon se sajayee hai.....

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर रचना , बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

    ReplyDelete
  21. अत्यंत खुबसूरत... आपकी यह कविता तो मानो एक मनभावन पेंटिंग की तरह लग रही है...
    सादर बधाई....

    ReplyDelete
  22. दूर दिखते शैल-पर्ण
    आच्छादित ..मेघ श्याम वर्ण ....
    घटा बरसती है घनघोर..
    प्रेम बरसाती सराबोर.....
    कुछ इस तरह ...
    जैसे कहती हो ..
    हे सृजनहार ...
    अबकी न मानू हार ...
    रूम-झूम...
    बरस जाऊं ऐसे के ..
    प्यासा ना रह जाये कोई ...!!
    जो भी हो सृजनहार , जो भी शिल्पकार ... भीग भीग जाओ सर से पाँव तक ... देखता रह जाए शिल्पकार

    ReplyDelete
  23. बहुत भावपूर्ण रचना |
    सुन्दर और सहज अभिव्यक्ति
    आशा

    ReplyDelete
  24. मेरी ही सोच को..
    मुझसे आगे-आगे राह दिखाता हुआ ...
    ये कैसा सृजनहार है ...!!
    ये कौन शिल्पकार है ...?
    प्रकृति के सृजनहार की प्रशंशा में यह प्रस्तुति अत्यंत शोभनीय है

    ReplyDelete
  25. ye hi to vo shilpkaar hai jiska bhed aap, main, ham sab me se koi nahi jaan pata.

    ReplyDelete
  26. खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति....

    ReplyDelete
  27. मुझे तो यह चित्रकार आपमें ही दिखा जो शब्दों से चित्र गढ़ता हुआ प्रतीत हुआ। इस अद्भुत चित्रकारी को सलाम!

    ReplyDelete
  28. सुंदर बिंबों से सजी रचना।

    ReplyDelete
  29. बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  30. वाह मन को भिगो दिया इन शब्दों ने एक नए अंदाज़ में ही पेश किया आपने इन दृश्यों को मन मोह लिया आपकी इस रचना ने और शब्दों के चयन ने


    कई जिस्म और एक आह!!!

    ReplyDelete
  31. मनोहारी चित्रण - बधाई

    ReplyDelete
  32. अत्यंत खुबसूरत,सादर बधाई....

    ReplyDelete
  33. ख़ूबसूरत शब्दों का चयन! इतनी सुन्दरता से आपने हर एक शब्द लिखा है की तारीफ़ के लिए अल्फाज़ कम पड़ गए! मर्मस्पर्शी प्रस्तुती!
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  34. congrats didi.Apki poems samajh me to mujhe bahut nahi ati hai b'cos of high level,par itne intellectuals jab itne achhe comments karte hai to i really feel proud.luv u.keep up u r good work& keep moving.Amen.

    ReplyDelete
  35. हे सृजनहार ...
    अबकी न मानू हार ...
    रूम-झूम...
    बरस जाऊं ऐसे के ..
    प्यासा ना रह जाये कोई ...!!
    ...sundar vihangam drashya ukere diya aapne....

    ReplyDelete
  36. Anupma ji,
    बहुत सुन्दर, शानदार और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  37. HypnoBirthing: Relax while giving birth?
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
    रे मन..
    लागी रे ये कैसी लगन....
    चलता है ..चलता है....
    न थमता है ...
    न थकता है ..!सुन्दर बिम्ब .पारदर्शी रचना भाव सागर में डुबोती .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    HypnoBirthing: Relax while giving birth?

    ReplyDelete
  38. कविता का सौंदर्य मन को आकर्षित करने वाला है।

    ReplyDelete
  39. मन मोहित करने वाली सुंदर प्रस्तुति.

    स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  40. ओह! विलक्षण सुन्दर मनोहारी प्रस्तुति.
    मन मग्न हो गया है अनुपमाजी.
    आपके शब्द,भाव,प्रस्तुतीकरण सभी
    अनुपम हैं.
    आभार.

    ReplyDelete
  41. आप सभी का आभार ...मेरी कृति को पहचान देने के लिए...!!मन तो कृति ही रचता है ....बनती वो सुकृती आपके आशीर्वचनो से ही है .....कृपया अपना स्नेह बनाये रखें...!!अनुपमा की सुकृती को पहचान देते रहें...!!

    ReplyDelete
  42. हे सृजनहार ...
    अबकी न मानू हार ...
    रूम-झूम...
    बरस जाऊं ऐसे के ..
    प्यासा ना रह जाये कोई ..

    ये प्राकृति भी तो सरजनहार ही है ... शिप्कार ही है ... जीवन का शिल्प रचती है ... बहुत सुन्दर रचना है ...

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!