नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

19 August, 2011

ये सौंदर्य जीवन...!!!!

धुली-धुली सी धरा का ...
खिला-खिला सा ये रंग जीवन ...!!
बरसती पुरज़ोर घटा का...
बिखरी अलकों से टप...टप...टपकता ..
भीगा-भीगा सा ये रूप जीवन...!!

रुक जाता है मुसाफिर
छिन-छिन...पल-छिन...
पग थम जाते हैं तब ..
Painting by Pragya Singh.
चलते-चलते....जब ...
विश्रांति सा देता ये पुरनूर जीवन....!!

ऊँचे-ऊँचे दरख्तों का..
ये झूम कर लहराना ...
पुरकैफ़ हवाओं का ..
जैसे छेड़े कोई तराना ...
मद्धम-मद्धम सा ये संगीत जीवन...!!

कितनी पुलक फैली है ...
धरा के इस मनोहारी रूप में ...
छाओं और धूप में ...
देख भर-भर नयन ...
रंगों में विस्तृत ...
रागों में वर्णित .. 
धरा का ये यौवन ..ये सौंदर्य जीवन...!!!!


सुरों  का  नशेमन ...
है  गाता  जो  जीवन  ...

40 comments:

  1. कितनी पुलक फैली है ...
    धरा के इस मनोहारी रूप में ...
    छाओं और धूप में ...
    देख भर-भर नयन ...
    रंगों में विस्तृत ...
    रागों में वर्णित ..
    धरा का ये यौवन ..ये सौंदर्य जीवन...!!!!

    मन को द्रवित करने वाली यह पंक्तियाँ सीधे ह्रदय में उतर गयी .....आपका आभार

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर वर्णन प्रकृति का

    ReplyDelete
  3. bahutb sundar prakartik varnan .sundar chintr ....

    BLOG PAHELI NO.1

    ReplyDelete
  4. सौन्दर्य से भरा उल्लासमयी जीवन....... बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  5. प्रकृति की बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने....

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर.........प्रकति की अनुपम छटा को समेटे ये पोस्ट लाजवाब है........अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर देर के लिए माफ़ी के साथ आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ..........कभी फुर्सत मिले तो मेरे अन्य ब्लॉग भी देखें उम्मीद है आपको पसंद आयेंगे|

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर वर्णन प्रकृति का

    ReplyDelete
  8. इस रचना में प्रकृति का जो दृश्य आपने साकार किया है वह बरबस ही मन को मोह लेता है। अनुपम छटा की अनुपम प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  9. धरा भरी है, सुन्दरता से।

    ReplyDelete
  10. ऊँचे-ऊँचे दरख्तों का..
    ये झूम कर लहराना ...
    पुरकैफ़ हवाओं का ..
    जैसे छेड़े कोई तराना ...
    मद्धम-मद्धम सा ये संगीत जीवन...!!

    बेहतरीन काव्य चित्र

    सादर

    ReplyDelete
  11. धुली-धुली धरा का बहुत ही सुंदर चित्रण किया. रचनाकार ने हमें इतनी सुंदरता दी है,यदि जीवन भर समेटते रहें तो भी हाथ खाली रह जाएंगे.

    ReplyDelete
  12. अनुपम प्रकृति स्पंदन रागात्मक शैली में जीवन में आस उल्लास जगाती पोस्ट .बधाई ! ... .जय अन्ना !जय श्री अन्ना !आभार बेहतरीन पोस्ट के लिए आपकी ब्लोगियाई आवाजाही के लिए;
    बृहस्पतिवार, १८ अगस्त २०११
    उनके एहंकार के गुब्बारे जनता के आकाश में ऊंचाई पकड़ते ही फट गए ...
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    Friday, August 19, 2011
    संसद में चेहरा बनके आओ माइक बनके नहीं .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर रचना..लाजवाब।

    ReplyDelete
  14. konkan ka saundarya likhwa raha hai yeh sab aapse par dekhane ki nigah ka dam hai inme bahut sundar

    ReplyDelete
  15. prakriti gati hui nazar aa rahi hai- alaukik saundarya

    ReplyDelete
  16. प्रकृति की मनमोहक छटा बिखेरती ,आल्हादित करती सुँदर कविता . आभार .

    ReplyDelete
  17. कितनी पुलक फैली है ...
    धरा के इस मनोहारी रूप में ...
    छाओं और धूप में ...

    सचमुच... बहुत सुन्दरता से पिरोये हैं आपने खुबसूरत भावों को...
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  18. बहुत सुंदर रचना

    शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  19. बहुत सुंदर रचना

    शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर प्रकृति चित्रण..

    ReplyDelete
  21. ये झूम कर लहराना ...
    पुरकैफ़ हवाओं का ..
    जैसे छेड़े कोई तराना ...
    मद्धम-मद्धम सा ये संगीत जीवन...!!
    बहुत प्यारे शब्दों के साथ , भावनाओं को स्थान देती रचना ,मोहक है जी / आभार ...

    ReplyDelete
  22. ऊँचे-ऊँचे दरख्तों का..
    ये झूम कर लहराना ...
    पुरकैफ़ हवाओं का ..
    जैसे छेड़े कोई तराना ...
    मद्धम-मद्धम सा ये संगीत जीवन...!!

    बहुत खूबसूरत रचना पढकर सारा आलम ही गूंज गया |
    सुन्दर रचना दोस्त |

    ReplyDelete
  23. प्रकृति की खूबसूरत यात्रा कराने के लिए आभार !

    ReplyDelete
  24. जीवन के रंग-बिरंगे अनेक चित्र, एक ही कैनवास में।
    बहुत सुंदर।

    ReplyDelete
  25. प्रकृति का बहुत सुन्दर वर्णन,सौन्दर्य मयी सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  26. क्या खूब लिखा है आपने हमारी इस पेंटिंग पर ....इसे पढ़कर बहुत खुशी मह्सूस हो रही है और हम बार बार ये सोच रहे हैं कि.. क्या वाकई में ये पेंटिंग इतनी सुंदर है जितनी आपकी कविता.....

    .धरा के इस मनोहारी रूप में ...
    छाओं और धूप में ...देख भर-भर नयन ...रंगों में विस्तृत ...
    रागों में वर्णित .. धरा का ये यौवन ..ये सौंदर्य जीवन...!!!!

    आपके शब्दों से हमारी पेंटिंग का जीवन तो जरूर सौंदर्य हो गया है.....

    ReplyDelete
  27. ऊँचे-ऊँचे दरख्तों का..
    ये झूम कर लहराना ...
    पुरकैफ़ हवाओं का ..
    जैसे छेड़े कोई तराना ...
    मद्धम-मद्धम सा ये संगीत जीवन...!!

    sunder
    rachana

    ReplyDelete
  28. आभार आप सभी का ...मेरे भाव पसंद करने के लिए....

    ReplyDelete
  29. शास्त्री जी आपका आभार ..मेरी कविता को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए...!!

    ReplyDelete
  30. Vandana ji abhar aapka meri rachna tetaala par lene ke liye....

    ReplyDelete
  31. प्रकृति का इतना सुन्दर वर्णन किया हैं की
    ठहर के, इसे जी लेने का मन करता हैं !You have given a name to Pragya's painting.

    ReplyDelete
  32. वर्णित सौंदर्य मनोहारी है...!

    ReplyDelete
  33. कल 06/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  34. यशवंत आपका बहुत-बहुत आभार ...मेरी पोस्ट को हलचल पर स्थान देने के लिए ...

    ReplyDelete
  35. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  36. बहुत खूबसूरत सुँदर कविता

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!