झर -झर प्रमोद -
कल -कल निनाद --
झिमिर -झिमिर मन --
तिमिर तिमिर तोड़ --
झर -झर मनहर
झरता ये झरना -
प्रकृति की अनुपम रचना ॥
झुरमुट सी झाड़ियों में -
सूनी सी वादियों में -
झर -झर मनहर ---
हर्षित प्रफुल्लित मुदित --
गुंजित अद्भुत संगीत --
जल की कल -कल करती -
मचलती सी राग --
भर अतुलित अनुराग --
है सुर -ताल का सुमधुर संवाद -
या कृष्ण -गोपियों का --
रसिक रास ..........!!
झर- झर मनहर --
बूँद -बूँद प्रेम -रस विभोर .....!
किलक-किलक थिरकत --
नाचत मन मोर --झर झर मन हर -
झरता ये झरना ----
प्रकृति की अनुपम रचना .....!!!!
कल -कल निनाद --
झिमिर -झिमिर मन --
तिमिर तिमिर तोड़ --
झर -झर मनहर
झरता ये झरना -
प्रकृति की अनुपम रचना ॥
झुरमुट सी झाड़ियों में -
सूनी सी वादियों में -
झर -झर मनहर ---
हर्षित प्रफुल्लित मुदित --
गुंजित अद्भुत संगीत --
जल की कल -कल करती -
मचलती सी राग --
भर अतुलित अनुराग --
है सुर -ताल का सुमधुर संवाद -
या कृष्ण -गोपियों का --
रसिक रास ..........!!
झर- झर मनहर --
बूँद -बूँद प्रेम -रस विभोर .....!
किलक-किलक थिरकत --
नाचत मन मोर --झर झर मन हर -
झरता ये झरना ----
प्रकृति की अनुपम रचना .....!!!!
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
ReplyDeleteझर- झर मनहर --
ReplyDeleteबूँद -बूँद प्रेम -रस विभोर .....!
किलक-किलक थिरकत --
नाचत मन मोर --झर झर मन हर -
झरता ये झरना ----
प्रकृति की अनुपम रचना .....!!!!
गजब कि पंक्तियाँ हैं ...
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
DHANYAWAAD ANUPMA JI.
ReplyDeleteअनुपमा, बहुत सुंदर रचना. अनुराग
ReplyDeleteध्वन्यात्मकता ने रचना की अर्थवत्ता द्विगुणित कर दी है ।
ReplyDeleteसंगीत की लयात्मकता रचना में पूर्ण रूप से उपस्थित है . बहुत अच्छा .
ReplyDeleteअनुपमा जी आपकी "झरना कविता" पढ़कर मुझे संत तुलसीदासजी की "कंकन किंकिनी नूपुर धुनी सुनी" की याद ताजा हो आई.
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 18- 08 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- मैं अस्तित्त्व तम का मिटाने चला था -
--झर झर मन हर -
ReplyDeleteरस प्लावित करती रचना
प्रकृति का खूबसूरत चित्रण |
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
बहुत अच्छा लगा यह शब्दचित्र!
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर कविता .. दिल में प्रकृति के प्रति प्रेम जगाती हुई...
ReplyDeleteआभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html