नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

22 April, 2011

जिन खोजत तिन मुतियन मांग भरावत ....!

प्रभु मूरत बिन -
चैन न आवत -
सोवत खोवत 
रैन गंवावत -
जागत पावत -
षडज सुहावत - 
सुर मिलावत-
सुध बिसरावत -

बंदिश गावत -
अति हरषावत -

राग सजावत  -
गुनी रिझावत -


ताल मिलावत -
हिय हुलासावत -

गावत गावत -
दुःख बिनसावत -


धन घड़ी..
शुभ वचन ...
धन भाग ...
मन सुहाग ......!!
स्वागत  गावत ..
चौक पुरावत.....
प्रीत निभावत ..
सजन  घर आवत ......!!!! 

गावत गावत ..
सगुन मनावत .....
जिन खोजत तिन ....
मुतियन मांग भरवात ........!!!! 

जिन खोजत तिन -
मुतियन मांग भारावत ....!!!!


 कोई भी अभिरुचि हमारी हमें इश्वर के समीप ले जाती है |चाहे चित्रकला हो या लेखन हो या संगीत या नृत्य |इन विधाओं में डूब जाने पर स्वतः ही हर्षित रहता है मन ...!

32 comments:

  1. पूर्णानंद की प्राप्ति होती है ...संगीत माध्यम से प्रभु भजन में

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  2. bilkul sach...koi bhi ruchi-abhiruchi...prabhu ke pass hone ka marg hai..:)

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  3. धन घड़ी..
    शुभ वचन ...
    धन भाग ...
    मन सुहाग ...prabhu ke nikat mann charam sukh ki anubhuti paata hai

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  4. जिन खोजत तिन -मुतियन मांग भारावत ....!!
    सच कहा……………देव अराधना किसी भी रूप मे की जाये सफ़ल होती है …………वैसे भी भगवान ने कहा है जैसे तुम मुझे भजोगे वैसे ही मै भी तुम्हे भजूंगा।

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  5. झरना नृत्य करते हुये उतर रहा है।

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  6. आध्यात्म रस ने विभोर कर दिया...
    अति सुन्दर...

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  7. कमाल है ...बेहतरीन शब्द सामर्थ्य ! शुभकामनायें आपको !!!

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  8. बेहतरीन काव्य रचना ......आखिरी पंक्तियों में आपके विचार मन को छू गए

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  9. ध्वन्यात्मकता लिए हुए सुन्दर कृति!

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  10. बड़ा माधुर्य है आपकी प्रस्तुत पंक्तियों में.

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  11. वाह अनुपमा जी ... कितना सुन्दर लिखा है...सुबह सुबह हिय हुलसावत ..मन भावन रचना आपकी खुशियों की लहर ले आवत ... बहुत प्यारा लिखा है आपने... बधाई...

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  12. ईश्वर की याद उत्कटता से दिला गयी .....

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  13. आराधना और साधना दोनों को एक साथ अपने साध लिया, बधाई !

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  14. Karm ki pradhaanta to ishvar ne sabse jyaada apne nikat rakhi hai ... saarthak sandesh deti panktiyaan ...

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  15. Oh meri pyaari anu di , dil le gayee !
    Classy ! :-)

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  16. आपने भावों की डोर में शब्दों के बहुत खूबसूरत मोती पिरो दिए हैं।

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  17. निस्संदेह आराधना ऐसा ही होती है .बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .शुभकामनायें आपको

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  18. Anupama ji.........bahut hii achchi rchnaa...prte prte man shaanti paane lgaa
    take care

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  19. आनंद मय जीवन तभी जिया जा सकता है जब हम इस आनंद के साथ जुड़ते हैं ..और इसके लिए ईश के साथ जुड़ना आवश्यक है ...आपका आभार इस सार्थक प्रस्तुति के लिए

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  20. आप सभी के आशीर्वचनो से मन को जो उर्जा मिली है ....क्या कहूँ ....!!
    छा गयो री ...तोरे नैनो में राम ...
    या .....
    मन आनंद आनंद छायो .........
    प्रभु अमृत रस ऐसे बरसे ..
    मनवा सुध-बुध बिसरायो .....
    आप सभी का ह्रदय से आभार .....!!

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  21. सुंदर, संगीतमय शब्‍द-संयोजन.

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  22. ऐसा लग रहा है जैसे भक्ति भाव में डूबा कोई गुणी बड़ा खयाल की बंदिश सुमधुर कंठ से गा रहा हो।
    मन को तृप्त करने वाली रचना।

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  23. बेहतरीन काव्य रचना|

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  24. सच कहा माध्यम कोई भी हो जिसमे भी आप डूब जायेंगे ईश्वर को पा जायेंगे.
    राह पकड़ तू एक चला चल पा जायेगा मधुशाला.

    सुंदर प्रस्तुति.

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  25. बहुत सुन्दर रचना ! मोबाइल पर देख तो लिया पर टिप्पणी मुश्किल थी ! देर आये दुरुस्त आये . कल कल बहती नदी की तरह प्रवाहमान .

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  26. प्रभु मूरत बिन -[Image]चैन न आवत -सोवत खोवत
    रैन गंवावत -जागत पावत -
    षडज सुहावत - सुर मिलावत-सुध बिसरावत -

    बंदिश गावत -अति हरषावत -

    राग सजावत -गुनी रिझावत -
    bahutsunder bha.padker dil ko aekdam sukun mila hai.sunder rachanaa ke liya badhaai.

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  27. यह भी एक प्रकार की साधना ही है...

    सुन्दर अभिव्यक्ति!!

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  28. जिन खोजत तिन मोतियन मांग भरावत, कितनी सुंदर अभिव्यक्ति की है आपने , सोवत खोवत -जागत पावत मैं कितनी गहराई के भाव छिपे हैं यह इक प्रभु-भक्ति मैं डूबने वाला मन ही अहसास कर सकता है: आपकी कविता दिन-प्रतिदिन नयी बंदिशों को पार करती जा रही है और मेरा मन बार-बार आपकी इक नयी कविता पढने को लालायित रहता है , बहुत-बहुत सुभकामनाओं के साथ: सुमन

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  29. ye sangeet mmmuj nhi sammmmmmmmmmj aata paaaaaaaaa bhut suundar hai har ek shabd

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  30. ye sangeet mmmuj nhi sammmmmmmmmmj aata paaaaaaaaa bhut suundar hai har ek shabd

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!