बुंदियन बुंदियन ...सुधि .
अमिय रस बरसन लागा ...
पड़त फुहार ...
नीकी चलत बयार ...
पंछी मन डोले ...
संग डार डार बोले ....
आज सनेहु आयहु मोरे द्वार ....
री सखी ...
बरसन लागी बरखा बहार ....!!!
कोयल कूक कूक हुलसानी ....
पतियन पतियन हरियाली इठलानी...
गरजत बरसत घन ढोल घन न न बाजे ...
थिरकत मन सोलह सिंगार साजे ...
बरसे बदरा सुभग नीर ...
मिटी मोरे मनवा की पीर ...
आज सनेहु आयहु मोरे द्वार ...
री सखी ....बरसन लागी बरखा बहार ....!!
अमिय रस बरसन लागा ...
पड़त फुहार ...
नीकी चलत बयार ...
पंछी मन डोले ...
संग डार डार बोले ....
आज सनेहु आयहु मोरे द्वार ....
री सखी ...
बरसन लागी बरखा बहार ....!!!
कोयल कूक कूक हुलसानी ....
पतियन पतियन हरियाली इठलानी...
गरजत बरसत घन ढोल घन न न बाजे ...
थिरकत मन सोलह सिंगार साजे ...
बरसे बदरा सुभग नीर ...
मिटी मोरे मनवा की पीर ...
आज सनेहु आयहु मोरे द्वार ...
री सखी ....बरसन लागी बरखा बहार ....!!
वाह....
ReplyDeleteहमारा मन भी झूम गया...
बहुत सुन्दर..
सस्नेह
अनु
ReplyDeleteपंछी मन डोले ...
संग डार डार बोले ....
री सखी हुआ मन वृन्दावन .....प्रेमरस धार बहाती बंदिश ....आई सावन सी फुहार .
. बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति . आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
ReplyDeleteबरखा बहार आने पर बहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteशीतल शब्दों के बूँद मन पर आ गिरे. तृप्ति मिली इस रचना से.
ReplyDeleteसावन की बहार सी रचना
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत स्वागत है बरखा का ....
ReplyDeleteआज सनेह आयहु मोरे द्वार
री सखी ...बरसन लागी बरखा बहार...
सुंदर मनभावन ....भावभीना सा स्वागत....!!!!
सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति . .शुभकामनायें .
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
वाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,,,
ReplyDeleterecent post: जिन्दगी,
वाह वाह्! क्या बात है!
ReplyDeleteक्या बात है .....
ReplyDeleteमधुर झंकार से शब्द .....!!
सुना था की प्रकृति के रग रग में संगीत है,आपको पढने के बाद ये उक्ति सत्य लगती है . शब्दों और भावों की निर्झर सरिता बहा दी अग्रजा.
ReplyDeleteमाहौल को मधुर शब्दों से झंकृत कर दिया मानो शब्द बोल रहे हों, बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
बारिश में भीगी ये रचना ..... बहुत सुंदर |
ReplyDeleteटप टप बरसे बूँद सुहानी,
ReplyDeleteडोल रही बरखा हरसानी।
बरखा नयी फुहार के साथ नयी उमंग नए विचार भी लाती है. उड़ान के लिये नए पंख प्रदान करती है. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबारिश का स्वागत बहुत मधुर और मनभावन शब्दों से...बहुत खूब!
ReplyDeletebaras gain ??? waah waah ..bahut sundar shabd diye hain.
ReplyDeleteबहुत सुंदर तरीके से बरखा रानी के आगमन का सन्देश दिया है ! मन मयूर थिरक उठा ! आज यहाँ आगरा में भी बरखा रानी की धीमी पदचाप सुनाई दी है ! मन बहुत उल्लसित है ! आपकी इस प्यारी रचना ने आनंद द्विगुणित कर दिया !
ReplyDeletekhubsurat prstuti...
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी टिपण्णी का इस सुन्दर बंदिश ने मन मोह लिया रागबद्ध कर लिया .
ReplyDeleteह्रदय से आभार आपका .....मन खुश हो गया आपकी टिप्पणी पढ़कर .....!!स्नेह बनाये रखें ...
Deleteअगर आपने इसे राग बद्ध कर लिया है तो पॉडकास्ट ज़रूर सुनाएँ .....मेरे लिए अत्यंत हर्ष की बात है ....!!
पूरी रचना एक सुमधुर गीत बनकर मन में उतर गयी....बहुत सुन्दर...!!
ReplyDeleteसंध्या जी आभार ब्लॉग वार्ता पर मेरी इस रचना को जगह दी ....!!
ReplyDeleteवाह ... जैसे कोई राग बसंत बहार को सुन रहा हूं ... पढते हुए भी ऐसा ही महसूस हो रहा है ... अती सुन्दर ...
ReplyDeleteकोयल कूक कूक हुलसानी ....
ReplyDeleteपतियन पतियन हरियाली इठलानी...
गरजत बरसत घन ढोल घन न न बाजे ...
थिरकत मन सोलह सिंगार साजे ...
बरसे बदरा सुभग नीर ...
मिटी मोरे मनवा की पीर ...
प्रकृति का सांगोपांग वर्णन बहुत सुन्दर
Chitr aur Rachna...dono adbhut...waah
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मनभावन रचना
ReplyDelete:-)
मन को तन्मय कर देने वाला संगीत भरा है शब्दों में ,रस की रिमझिम फुहार !
ReplyDeleteआभार स्वीकारें !
मन को भिगोने वाली रचना।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteबहुत मधुर और मोहक गीत, बधाई.
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ReplyDeleteबड़े सशक्त बिम्ब संजोये हैं भाव और अर्थ की शानदार लयकारी समस्वरता .क्या कहने हैं इस भाव अभिव्यक्ति के . .ॐ शान्ति .
आपकी टिप्पणियाँ हमारी शान हैं शुक्रिया .बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए मुबारक बाद और बधाई क्या बढाया .ॐ शान्ति .
बहुत बहुत आभार यशोदा ....!!हृदय से ......!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सावन गीत
ReplyDeletelatest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
वाह!
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