प्रभु ..हम श्रुति ..तुम ह्रदय ...
श्रुति से ह्रदय का ...
नाता क्या है ...?
क्यों हमारी श्रुती ..
तुम्हारे ह्रदय तक नहीं जाती ....?
क्यों हमारी श्रुती ..
तुम्हारे ह्रदय तक नहीं जाती ....?
..जन्म दिया ..और पीर भी दी है ...
आओगे फिर पीर हरण को ....
ऐसी एक सौगात भी दी है....!!
नयन निहारें ..
मूक ..प्रतीक्षा ...
नयन निहारें ..
मूक ..प्रतीक्षा ...
अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
मुहँ बाए ही जाता है ...!!
मन संतप्त
संताप अपरिमित ...!!
फिर भी अब तुम्हें हैं ...
सहेजित भावनाएं समर्पित ..!!
नित्य ही द्वार तुम्हारे...
हे गणेश ..प्रथमेश ...
हे गणेश ..प्रथमेश ...
शीश झुकाएं......
सुगंध गंध चन्दन लगायें..
फूल चढ़ाएं ...
सर्व गुनी गुनवंत...
सर्व व्यापी तुम...सर्व शक्तिमान ..
सर्व व्यापी तुम...सर्व शक्तिमान ..
सार्वभौमिक ये रूप तुम्हारा ..
रचा हुआ यह खेल तुम्हारा ...
हम-सब की पीर अनसुनी क्यों है ....?
हे सुख-शांति निकेतन ...
.हे भूपति ..भुवनपति ...बुद्धिविधाता ..बुद्धिदाता ....
सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
कर दो अब तो जग-कल्याण ...
अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?
http://swarojsurmandir.blogspot.com/
बिसराओ अपराध हमारे ...
गणनायक पधारो..द्वारे हमारे....हे सुख-शांति निकेतन ...
.हे भूपति ..भुवनपति ...बुद्धिविधाता ..बुद्धिदाता ....
ह्रदय प्रभु का |
कर दो अब तो जग-कल्याण ...
अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?
http://swarojsurmandir.blogspot.com/
भक्तिमयी स्वर, सुन्दर प्रार्थना।
ReplyDeleteAayenge Ganpati..!
ReplyDeleteSundar likha hai Di.
सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
ReplyDeleteकर दो अब तो जग-कल्याण ...
बहुत अच्छी कामना की है आपने। गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
nice one ,
ReplyDeleteगणेश-चतुर्थी ke अवसर पर गणपति को समर्पित भावपूर्ण रचना,बहुत ही sunder रचना, शब्दों का चयन बहुत sunder hai"
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteगणेशोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की शुभकामनायें
ReplyDeleteनयन निहारें ..
ReplyDeleteमूक ..प्रतीक्षा ...
अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
मुहँ बाए ही जाता है ...!!
मन संतप्त
संताप अपरिमित ...!!
ab to ganpati aayenge hi
नयन निहारें ..
ReplyDeleteमूक ..प्रतीक्षा ...
अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
मुहँ बाए ही जाता है ....
सुन्दर बिम्ब प्रयोग...
खुबसूरत रचना...
सादर बधाई...
सुन्दर ......गणशोत्सव की शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteप्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं....
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुन लो सृष्टि का आह्वान ....
ReplyDeleteकर दो अब तो जग-कल्याण ...
अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?
पवित्र पावन कर रही है आपकी निर्मल अभिव्यक्ति.
भक्ति रस से ओत प्रोत,
'हे गणेश ..प्रथमेश ..
आपका गणेश वंदन का सुमधुर गायन झंकृत हो रहा है मन में.
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
नयन निहारें ..
ReplyDeleteमूक ..प्रतीक्षा ...
अश्रू वाचाल हो गए हैं ...
क्लेश ह्रदय का ...सुरसा जैसा ...
मुहँ बाए ही जाता है ...!!
मन संतप्त
संताप अपरिमित ...!!
अद्भुत शाब्दिक अलंकरण लिए स्तुति.....
सुन्दर प्रार्थना।
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ...गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसुन्दर प्रार्थना........
ReplyDeleteवक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभव, निर्विघ्नं कुरूमे देवः सर्व कार्येषु सर्वदा
ReplyDeleteमुंबई में गणेश उत्सव का आनंद ले रहे है इनदिनों
May Ganpati ji hear u.. n make ol ur wishes cum true... :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रार्थना!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
इस प्रार्थना में हमारे भी स्वर हैं।
ReplyDeleteसुन्दर ........आपका हिंदी ज्ञान बहुत अच्छा है |
ReplyDeleteसर्व मंगल मांगल्ये ... सबका मंगल हो. साधू ..साधू..साधू...
ReplyDeleteबहुत ही मंगलकारी आह्वान किया है आपने सिद्धिविनायक का ! आपके स्वर में एक स्वर मेरा भी मिला हुआ है इस प्रार्थना में ! गणपति सभीके विघ्न हरें और सबका कल्याण करें यही कामना है ! गणेशोत्सव की सभीको हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDelete
ReplyDelete♥
आदरणीया अनुपमा त्रिपाठी जी
सादर प्रणाम !
कुछ ऐसी गड़बड़ियां रहीं कि निरंतर आते रहने के उपरांत भी मैं बहुत समय से अपनी उपस्थिति आपके यहां अंकित नहीं कर पाया
साथ ही आभारी हूं कि आपने मेरे प्रति स्नेह बनाए रखा है …
बड़ों का यही तो बड़प्पन होता है ! कृतज्ञ हूं … … …
आपकी हर रचना की तरह यह भी बहुत उत्कृष्ट रचना है
आपकी प्रत्येक रचना के लिए आपको साधुवाद !
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आपके लिखे दो बसंत गीतों सहित आपकी कोई 4-5 गीत रचनाओं को कई हफ़्तों पहले एक सवेरे धुनें बना कर गा'कर रिकॉर्ड किया था … सोचा था जल्द ही एडिटिंग करके आपको भेज कर सरप्राइज दूंगा …
लेकिन अब वे कम्प्यूटर में भीड़ में मिल ही नहीं रही … भूल से डिलेट तो शायद नहीं हुई होगी । मिलीं तो आपको कभी भेजूंगा ज़रूर ।
# आप स्वयं सिद्धहस्त संगीत साधिका हैं …
आपसे निवेदन है कि कभी अपनी रचनाएं सस्वर भी पोस्ट किया करें ।
मैंने आपकी बहुत सारी पोस्ट संभाली … लेकिन आपकी स्वरलहरियां सुनने की उत्कंठ अभिलाषा पूर्ण नहीं हुई …
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चलते चलते …
बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर, भक्तिभाव से ओत प्रोत रचना !
ReplyDeletebahut sundar bhagtimay rachna...ganesh utsav ki badhai
ReplyDeleteमां सरस्वती की आराधना खबी भी बेकार नही जाती । मेर पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसुन लो सृष्टि का आह्वान ....
ReplyDeleteकर दो अब तो जग-कल्याण ...
अपने ही बन्दों से.... ये दूरी क्यों है ...?
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति |
बिसराओ अपराध हमारे,
ReplyDeleteगणनायक पधारो द्वारे हमारे..
बहुत सुंदर गणपति वंदना।
गणपति मय हो गया है वातावरण गणपति बप्पा मोरया . आपकी वंदना गणपति तक अवश्य पहुंचेगी . इतनी भावमय जो है
ReplyDeleteकितने प्रेम ओर आग्रह से बुला रही हो ... विघ्नहारता गणपतिबबा अवश्य तुम्हारी सुनेगे ...... भक्ति ओर प्रेम में डूबी बहुत ही सुन्दर कविता !!!!!!!!!
ReplyDeleteमेरी इस गणपति-प्रार्थना में आपसभी शामिल हुए ...मेरे सुर में अपने सुर मिलाये ...इससे बड़ा प्रसाद और क्या हो सकता है ...इस बार आपसभी के वचनों में ..मोदक के लड्डू सा आनंद आया ....
ReplyDeleteह्रदय से आभार आप सभी का ....!!!!!!